Thursday, 25 July 2019

Manual of Human Intelligence

#इंटेलिजेंस_मैन्युअल :

जीवन एक सतत प्रक्रिया है। मृत्यु भी एक सतत प्रक्रिया है। जिस दिन पैदा होते हो मृत्यु शुरू हो जाती है:
जातस्य हि ध्रुवो मृत्यु: ध्रुवं जन्म मृतस्य च।
तस्मात अपरिहार्ये अर्थे न त्वं शोचितुम अर्हसि।।
- भगवतगीता।
जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है।

अनुभूति भी सतत प्रक्रिया है।
उसका एक और सुंदर नाम है - समझ।
जब जीवन को समझने का प्रयत्न आप शुरू करते हैं तो समझ विकसित होना शुरू होती है। शास्त्र उसमे आपकी सहायता करते हैं। शास्त्र पथ हैं या पथ प्रदर्शक हैं। मंजिल नहीं हैं।
मंजिल तो realization है अनुभूति है। वह भी एक सतत प्रक्रिया है। शुरुवात करोगे तभी उस दिशा में आगे जा सकोगे। पहला कदम महत्वपूर्ण है। वही एक दिन अंतिम कदम बनेगा।
आप एक छोटा सा कंप्यूटर खरीदते हैं। उसमें आर्टिफीसियल इंटेलेजेन्स होता है। उसकी मैन्युअल आती है। आप उस मैन्युअल को पढ़कर डरते डरते उसको ऑपरेट करना शुरू करते हैं। धीरे धीरे आप निर्भय होकर उसको ऑपरेट करना सीख जाते हैं।
इसी तरह आपके पास नेचुरल इंटेलिजेंस है।
लेकिन उसका ऑपरेटिंग मैन्युअल कहाँ है?
आप अपने इंटेलिजेंस के मैन्युअल को पढ़े और समझे बिना उससे काम ले रहे हैं?
यह सिर्फ आपके जीवन मे डिजास्टर पैदा करेगा - तनाव चिंता बेचैनी क्रोध अवसाद।

आपके नेचुरल इंटेलिजेंस का मैनुअल हैं - भगवतगीता, राम चरित मानस, उपनिषद, योगसूत्र, आदि आदि।
उनको पढ़कर जीवन को समझने का प्रयास जब आप शुरू करते हैं तभी आप इस डिजास्टर और जीवन मृत्यु के भय से मुक्ति प्राप्त करने की ओर अग्रसर होते हैं।
सावधानी यह बरतनी है कि यह मैन्युअल कोडेड लैंग्वेज में है।आपके कंप्यूटर की मैन्युअल यदि चीनी में  हो तो आप क्या करते हैं। सीधे किसी एक्सपर्ट से ऑपरेट करने की विधि सीख लेते हैं।
वही बात इसमे भी लागू होती है।
सदगुरु उसी एक्सपर्ट का नाम है जो कोडेड मैन्युअल को डिकोड करता है।

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