Friday 25 April 2014

A UN ANSWERED QUESTION BY HISTORIAN AND SOCIA:L SCIENTIST OF INDIA ???
                                        नवीनतम उपलब्ध डेटा के अनुसार , NDA सरकार के दौरान विकास दर ८.४% थी , जिसने ६२ मिलियन (६.२ करोड़ ) नौकरियां ६ साल के शाशन के दौरान पैदा की / उसी डेटा के अनुसार UPA सरकार के शासन काल के अंत में विकास दर मात्र ४.८% रह गयी , और इस सरकार ने १० सैलून में मात्र १५ मिलियन लोगों को नौकरियां दे पाई / अब अगर इसको प्रतिशत में , दर्शाया जाय तो लगभग विकास दर में ९०% घटोत्तरी की वजह से नयी नौकरियां प्रदान करने में कितनी कमी आयी, आप खुद निर्णय करें /
   अब एक और डेटा को पढ़ें और उस पर विचार करें / Angus  maddison के अनुसार १७५० में भारत का GDP , पुरे विश्व की जीडीपी का २५% था , और उस समय ब्रिटेन और अमेरिका , दोनों की मिलाकर कुल GDP विश्व की GDP का मात्र २% था / ब्रिटेन के लूट और तानाशाही शाशन के कारन , भारत की सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था पूर्णतः नष्ट हो गयी / यद्यपि भारत कृषि प्रधान देश था परन्तु , १८३० तक भारत , यूरोप को मात्र अनाज और मसाले ही नहीं , सूती वस्त्र , मलमल , पोर्सेलिने , लोहा और स्टील , लाख , घी , और हीरे जवाहरात भी निर्यात करता था / १९०० आते - आते भारत की GDP मात्र २% बची , और इसी को प्रतिशत में व्यक्त करें तो भारत का गृह व्यापर १५० सालों में १२००% घट गया , और इसका शक्तिशाली गृह उद्योग पूरी तरह से नष्ट हो गया / भारत , जो २००० सालों से ज्यादा दिनों से एक निर्यातक आर्थिक राष्ट्र था, मात्र १५० सालों में , एक आर्थिक दिवालिये और आयातक राष्ट्र में बदल गया / एक डेटा के अनुसार १७५० में जहाँ भारत और ब्रिटेन की प्रतिव्यक्ति आय, और पर व्यक्ति industrilisation लगभग बराबर था , १९०० आते आते उसमें भारी परिवर्तन आया / मात्र १५० सालों में भारत की per capita deindustrialisation ७००% की गिरावट आयी /
   अब एक महत्वपूर्ण प्रश्न ???
        भारतीय घरेलू उद्योग , जिसने हजारों सालों से लोगो को रोजगार प्रदान करता था , और उनके टेक्निकल skill के कारन भारत २००० सालों से ज्यादा एक महान आर्थिक शक्ति , और निर्यातक राष्ट्र हुवा करता था , इस घरेलू व्यापर के नष्ट होने से कितने लोग बेरोजगार हुए , वे कौन लोग थे , और उनकी संतानों का क्या हुवा ??? जो हज़ारों वर्षों से भारत के आर्थिक इतिहास की रीढ़ हुवा करते थे , और अपने तकनीकी ज्ञान का प्रयोग कर जीवन यापन करते थे , वो कौन थे और उनका क्या हुवा ??? इस पर भारत के इतिहासकार और समाज शाश्त्री मौन हैं /
अब एक महत्वपूर्ण प्रश्न ???
  नवीनतम उपलब्ध डेटा के अनुसार , NDA सरकार के दौरान विकास दर ८.४% थी , जिसने ६२ मिलियन (६.२ करोड़ ) नौकरियां ६ साल के शाशन के दौरान पैदा की / उसी डेटा के अनुसार UPA सरकार के शासन काल के अंत में विकास दर मात्र ४.८% रह गयी , और इस सरकार ने १० सैलून में मात्र १५ मिलियन लोगों को नौकरियां दे पाई / अब अगर इसको प्रतिशत में , दर्शाया जाय तो लगभग विकास दर में ९०% घटोत्तरी की वजह से नयी नौकरियां प्रदान करने में कितनी कमी आयी, आप खुद निर्णय करें /
   अब एक और डेटा को पढ़ें और उस पर विचार करें / Angus  maddison के अनुसार १७५० में भारत का GDP , पुरे विश्व की जीडीपी का २५% था , और उस समय ब्रिटेन और अमेरिका , दोनों की मिलाकर कुल GDP विश्व की GDP का मात्र २% था / ब्रिटेन के लूट और तानाशाही शाशन के कारन , भारत की सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था पूर्णतः नष्ट हो गयी / यद्यपि भारत कृषि प्रधान देश था परन्तु , १८३० तक भारत , यूरोप को मात्र अनाज और मसाले ही नहीं , सूती वस्त्र , मलमल , पोर्सेलिने , लोहा और स्टील , लाख , घी , और हीरे जवाहरात भी निर्यात करता था / १९०० आते - आते भारत की GDP मात्र २% बची , और इसी को प्रतिशत में व्यक्त करें तो भारत का गृह व्यापर १५० सालों में १२००% घट गया , और इसका शक्तिशाली गृह उद्योग पूरी तरह से नष्ट हो गया / भारत , जो २००० सालों से ज्यादा दिनों से एक निर्यातक आर्थिक राष्ट्र था, मात्र १५० सालों में , एक आर्थिक दिवालिये और आयातक राष्ट्र में बदल गया / एक डेटा के अनुसार १७५० में जहाँ भारत और ब्रिटेन की प्रतिव्यक्ति आय, और पर व्यक्ति industrilisation लगभग बराबर था , १९०० आते आते उसमें भारी परिवर्तन आया / मात्र १५० सालों में भारत की per capita deindustrialisation ७००% की गिरावट आयी /
   अब एक महत्वपूर्ण प्रश्न ???
        भारतीय घरेलू उद्योग , जिसने हजारों सालों से लोगो को रोजगार प्रदान करता था , और उनके टेक्निकल skill के कारन भारत २००० सालों से ज्यादा एक महान आर्थिक शक्ति , और निर्यातक राष्ट्र हुवा करता था , इस घरेलू व्यापर के नष्ट होने से कितने लोग बेरोजगार हुए , वे कौन लोग थे , और उनकी संतानों का क्या हुवा ??? जो हज़ारों वर्षों से भारत के आर्थिक इतिहास की रीढ़ हुवा करते थे , और अपने तकनीकी ज्ञान का प्रयोग कर जीवन यापन करते थे , वो कौन थे और उनका क्या हुवा ??? इस पर भारत के इतिहासकार और समाज शाश्त्री मौन हैं /
भारत में हिन्दू समाज के  विभाजन के पीछे का सच 
१५ वीं शताब्दी के जितने मशहूर यात्री हैं , उन्होंने भारत में व्यापारी बनकर , देश के काफी महत्वपूर्ण हिस्सों का दौरा किया और उस समय के भारतीय समाज का विस्तृत वर्णन किया है / R H Major द्वारा संकलित पुस्तक "Narratives of Voyages in India in fifteenth सेंचुरी " , नामक पुस्तक को आप डाउनलोड कर सकते हैं फ्री में / इस पुस्तक में वर्णित व्याख्यान के अनुसार उस समय तक किसी मंदिर में (पुरी के मंदिर का वर्णन है ) किसी भी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित नहीं था , न ही किसी अछूत पन जैसे सामाजिक बुराई का वर्णन है / हाँ "सती प्रथा' के प्रचलन का जरूर वर्णन है / मात्र एक वर्ग के लोग अछूत माने जाते थे , वे थे 'हलालखोर ' / अगर इन हलालखोरों के इतिहास के बारे में खोज किया जाय तो इनका वर्णन सर्वप्रथम , इन्हीं पुस्तकों में मिलता है , और इनका वर्णन आइन ई अकबरी में भी है , जिनको महलों में सफाई का कार्य सौंपा जाता था / ये पर्शियन भाषा बोलते थे , और इनके पूर्वज पर्शिया से आये थे / ये हिन्दू समाज के अंग नहीं थे / लेकिन २० वीं शताब्दी में हिन्दू समाज के एक बहुत बड़े वर्ग को अछूत घोषित किया गया , और इनकी उत्पत्ति के सन्दर्भ में, वेदों और स्म्रित्यों का उद्धरण पेश किया गया / इसी को आधार बनाकर , आंबेडकर जैसे बड़े विद्वान लोगों ने इनके लिए अलग electorate की मांग की , जिसके विरोध में गांधी को अनशन करना पड़ा , और उसका अंत "पूना पैक्ट" में हुवा /लेकिन यदि यह सच है , तो मात्र ५०० साल पहले के किसी ऐतिहासिक दस्तावेज में उल्लखित क्यों नहीं है ??, यदि यह हिन्दू धर्म की आदिकालीन परंपरा है , तो ये इन ऐतिहासिक दस्तावेजों से क्यों गायब है ??? इसका उत्तर शायद इसी तथ्य में छुपा है कि १७५० तक भारत, इकनोमिक रूप से , विश्व का (चीन के बाद) सबसे ताकतवर राष्ट्र था और पूरी दिनिया का २५% GDP का उत्पादन करता था , जबकि अमेरिका और ब्रिटेन मिलकर मात्र २% / जो ब्रिटिश नीतियों कि वजह १९०० आते आते भारत का शेयर घटकर मात्र २% रह गया , और अमेरिका और ब्रिटेन का शेयर बढ़कर ४१% हो गया / इसकी वजह से भारत में मात्र डेढ़ सौ सालों में , per Capita Industrialisation में, 700 % की घटोत्तरी हुयी / इसी बेरोजगार और बेरोजगारी से तबाह दरिद्र जनसमुद्र को ब्रिटेन की रानी ने 20 वीं शताब्दी में Oppressed class (दलित) का नाम दिया / दलित चिंतकों को गांधी का हरिजन (भगवन के सामान) शब्द नहीं पचा , लेकिन ब्रिटेन की रानी , जिसने लूट और सामाजिक विभाजन करके राज्य करने कि नीति अपनाई थी , उसका दिया हुवा नाम (दलित) , अति पसंद है / और ये दलित चिंतक ऐतिहासिक तथ्यों को नजरअंदाज करते हुए अभी भी , ब्रम्हानिस्म /हिंदूइस्म के नाम पर विष बो रहें है , जिसका फल उनके नेता काट रहें है / लेकिन सत्य को उजागर करना हमारा फ़र्ज़ है , वो चाहे कितना भी कठोर हो / जय हिन्द जय भारत /
कौन कहता है कि , कौन, किसको ,पाकिस्तान भेजेगा ??
क्यों कोई तुमको पाकिस्तान भेजेगा ???
जिनको जाना था पाकिस्तान ,चले गए /

चले गए मादरे वतन को छोड़कर,
साथ में तुमको भी छोड़कर, हमको भी छोड़कर /
क्योंकि उनके साथ , न तुम थे, न हम थे /
उनके साथ था , उनका मजहब /
लेकिन हमारे साथ था , हमारा धरम ,
जो ये सिखाता है कि इबादत की तरकीब जुदा हो सकती है ,
लेकिन मंजिल एक है, जिसको हासिल करना ही
मानवजीवन का लक्ष्य है /
जिसको ब्रम्ह /अल्लाह / जीसस , के नाम से जाना जाता है /
लेकिन सिर्फ धरम ही ये इज़ाज़त देता है /
मजहब और रिलिजन , ये इज़ाज़त नहीं देते /
इसी को समझ लो मित्रों , भारत , जितना मेरा है , उससे ज्यादा तुम्हारा है /
कौन है जो, इस बात को समझ ले , तो कौन है , जो उसको पाकिस्तान भेजेगा ??