Saturday 22 June 2019

ध्यान क्या है ?

महर्षि पतंजलि कहते हैं कि "योगः चित्त वृत्ति निरोध:"।
मनुष्य के सॉफ्टवेयर के चार हिस्से हैं - मन बुद्धि चित्त अहंकार। पतंजलि मन को चित्त कह रहे हैं। मन काम करता है बुद्धि के द्वारा अहंकार के सहयोग से। अहंकार ईगो नही है। अहंकार हर वह वस्तु, व्यक्ति, भाव या विचार हैं, जिनको आप अपना समझते हैं। मन का अर्थ है वह सारी स्मृतियां जो आपका हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर अपने साथ लेकर चलता है। बुद्धि काम करती है भेदभाव से डिस्क्रिमिनेशन से। रात और दिन, सुबह और शाम आदि का भेद बुद्धि करती है।
मन का स्वभाव है चंचलता, अस्थिरता। मन एक जगह नही टिकता। ध्यान से अपने मन को देखना। मन कहाँ से कूदकर कहाँ जा रहा है। फिर वहां से कहाँ जा रहा है। एक तरह से जिस तरह एक कंप्यूटर में एक साथ कई विण्डो खुली रहती हैं वैसे मन मे भी एक समय मे अनेक विषय चलते रहते हैं।
मेडिकल साइंस कहता है - कि ब्रेन में पांच तरह की तरंगें, वेव्स निकलती हैं। डेल्टा,थीटा, गामा बीटा अल्फा। तरंगों की संख्या के अनुरूप यह बंटवारा किया गया है। सबसे कम या लगभग तरंग हीन स्थिति को डेल्टा कहा गया है। गाढ़ी निद्रा और ध्यान की स्थिति में यह तरंग ब्रेन में निकलती है।
योगिक साइंस में इन्हें बहुत पहले बताया गया कि मन की पांच अवस्थाएं होती हैं - मूढ़, क्षिप्त,विक्षिप्त, एकाग्र और निरोध। पतंजलि ने बताया कि चित्त अर्थात मन की वह अवस्था जिसनें मन की तरंगों का निरोध हो जाता है उसी को योग कहते हैं। 
ध्यान को एकाग्रता भी कहते हैं निरोध के पूर्व की अवस्था।
जिस तरह आप के कंप्यूटर में यदि अनेक विण्डो खुली हों तो आप एक एक करके विण्डो बन्द करते जाते हैं, कंप्यूटर को बंद करते समय, वैसे ही ध्यान में मन की खिड़कियों को बंद करते हैं, एक के बाद एक करके।
जब एक विषय पर मन केंद्रित हो जाता है तो उसी को ध्यान के पूर्व की स्थित कहते हैं - धारणा।
पतंजलि के अष्टांग योग की अंतिम स्टेज है - धारणा ध्यान समाधि। धारणा को क्रमशः गहराई में ले जाने से ध्यान और समाधि की अवस्था प्राप्त होती है।
लेकिन धारणा वाली स्थिति में आने के लिए भी काफी समय तक अभ्यास करना पड़ता है।
बच्चों को यदि ध्यान के लिए प्रेरित किया जाय तो वे बहुत कम प्रयास से धारणा या ध्यान की स्थिति में पहुंच सकते हैं। और उनके अंदर एकाग्रता विकसित की जा सकती है।
आपको स्वयं और अपने बच्चों को ध्यान में जाने का अभ्यास अवश्य करना चाहिए।