#इमोशनल_टॉक्सिन्स_सीरीज -6
#यथा_पिंडे_तथा_ब्रम्हांडे:
सनातन के ऋषियों का कहना है कि मनुष्य शरीर ब्रम्हांड का एक सैंपल है। जो ब्रम्हांड में है वह सब इस पिंड में हैं। परमात्मा से लेकर माटी तक। जितना जल संसार मे है उतना ही प्रतिशत जल इस शरीर मे हैं। समस्त ब्रम्हांड पांच तत्वो से बना है और यह शरीर भी - आकाश वायु अग्नि जल और मिट्टी।
इसी शरीर मे ही काम निर्मित होता है और क्रोध भी।
इसी शरीर मे लोभ भी निर्मित होता है और मोह भी।
इसी शरीर मे मद और मत्सर भी निर्मित होता है।
इसी शरीर मे खुशी भी निर्मित होती है, आनंद भी और दुख तथा गम भी।
हम सदैव अपने क्रोध के लिए दूसरे को उत्तरदायी मानते हैं।
और खुशी और आनंद के लिए भी हम दूसरों के ऊपर निर्भर करते हैं।
लेकिन सच तो यह है कि यह सब आपके ही शरीर के अंदर हैं।
अब इसको थोड़ा मेडिकल बायोकेमिस्ट्री के दृष्टिकोण से बात करते हैं। मेडिकल साइंस के अनुसार हमारे सारे इमोशन्स हमारे अंदर निर्मित होने वाले केमिकल्स से पैदा होते हैं।
मेरे अनुसार हमारे सारे इमोशन्स हमारे सिस्टम में केमिकल्स निकालते हैं। हमारे सिस्टम में ही विषाक्त केमिकल निकलते हैं, और आनंद के केमिकल भी जिसको आज मेडिकल साइंस #आनंद_एमाइड कहते हैं।
सारी समस्या यह है कि हम अपने इमोशन्स को मैनेज करना नही जानते हैं। यदि यह समझ मे आ जाय तो हमको यह भी समझ मे आ जायेगा कि हम अपने अंदर विषाक्त केमिकल के स्थान पर आनंद मयी केमिकल कैसे निकालें।
लेकिन इसमें मेडिकल साइंस आपकी मदद नहीं कर सकता।
योगिक साइंस ही आपको बता सकता है कि यह कैसे संभव है।
ॐ
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