Wednesday, 24 July 2019

सभी धर्म एक ही शिक्षा नही देते।

#अब्राहमिक_धर्म_ग्रंथो_और_हिन्दू_धर्म_ग्रंथो_में_सैद्धांतिक_अंतर:

भारत में कई दशकों से यह दुष्प्रचार किया जा रहा है कि सभी धर्म एक ही जैसे हैं और एक ही उपदेश देते हैं।
अनेक झूंठों में यह भी एक झूंठ है जिसको प्रसारित करने के लिए प्रचार के संसाधनों का उपयोग किया गया है।
फिल्मों को एक सशक्त माध्यम की तरह प्रयोग किया गया इस झूंठ को फैलाने हेतु।

दूसरा यह भ्रम फैलाया गया कि हिंदुत्व कहता है कि सभी धर्म भगवान को प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त्र करता है।

हिंदुत्व मात्र हिन्दू धर्म मे सुझाये गए विभिन्न मार्गों की बात कर सकता है। उसे क्या पता कि X-ianity, यहूदी और इस-लाम के लोग क्या पढ़ते पढ़ाते हैं?

क्योंकि इन रेलिजन्स मे भगवान को प्राप्त करने का कोई सिद्धांत नही है। उनके यहां भगवान उनके कर्मों का हिसाब किताब रखने वाला है। और डे ऑफ जजमेंट के दिन वह हिसाब करेगा कि उनके अनुयायियों का कर्म उनकी पाक पुस्तकों में वर्णित किये गए नियमों के कितना अनुकूल है और कितना प्रतिकूल था। उनके बही खातों से उनका डेटा निकाला जाएगा और तय किया जाएगा कि उनको स्वर्ग में जगह दिया जाय या जहन्नुम में उन्हें आग में जलाया जाय?
उनके अनुसार स्वर्ग और नर्क एक भौगोलिक स्थान है।

हिन्दू धर्मशास्त्रों को समझने वाले यह जानते हैं कि स्वर्ग और नर्क एक मानसिक स्थिति है, कोई भौगोलिक स्थान नही है।
सरग नरक चर अचर लोक सब बसै मध्य मन तैसे।
- विनय पत्रिका तुलसीदास

  वस्तुतः ऐसे किसी भगवान की परिकल्पना ही नही है जो आपके कर्मों का लेखा जोखा रखता हो। आप जो कर्म करेंगे उसी के अनुसार आपका प्रारब्ध स्वतः निर्मित होगा। एक वैज्ञानिक और तर्कपूर्ण बात - कर्म संस्कार का सिद्धांत। आपको डॉक्टर बनना है तो डॉक्टर बनने के लिये पढ़ना पड़ेगा। नही पढ़ेंगे तो प्रवेश नही होगा किसी मेडिकल संस्थान में। भगवान अकर्ता है। वह दृस्टा मात्र है।

उनकी पुस्तक को पवित्र पुस्तक कहते हैं। क्योंकि एक लेवल लगाना आवश्यक है अनुयायियों के मष्तिष्क को मैनिपुलेट करने हेतु। भारतीय ग्रंथो में किसी भी ग्रंथ पर पवित्र का लेवल नही लगा है।

अभी हाल में कुछ भूतपूर्व पादरियों ने यह स्वीकार किया है कि चर्च ने स्वर्ग और नर्क का सिद्धांत ही मनुष्य मस्तिष्क को लोभ और भय से नियंत्रित करने के लिए ही रचा था। इसीलिए यूरोप में चर्च खाली हो गए है। बहुत कम लोग हैं जो चर्च में जा रहे हैं। वे नास्तिक बन रहे हैं।

उनकी पाक पुस्तकें ह्यूमन माइंड को नियंत्रित करने के लिए लिखी गयी हैं। वही समस्त संस्कृत ग्रंथ ह्यूमन माइंड को समझने की मैन्युअल हैं। उसको समझने के बाद कुछ वैज्ञानिक योग विधियों की सहायता से आप भगवान की सत्ता को स्वयं अनुभव कर सकते हैं और आप कह सकते हैं कि - #अहं_ब्रम्हास्मि।

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