Monday 8 July 2019

फूली और अछूतपन

#फूली_और_अछूतपन:

आपने तीन पीढ़ी पहले इस बीमारी वाले लोगों को देखा होगा। फूली कहते थे गांव वाले। आंख की पुतली सफेद हो जाती है। अब नहीं दिखते इसके मरीज।
क्यों ? आप गुलाम नहीं रहे, शरीरिक रूप से। लेकिन मानसिक गुलामी अभी भी बरकरार है।  यह मूलतः ट्रेकोमा नामक वायरस से संक्रमित लोगों को होता था। वायरस आप जानते हैं कि संक्रामक रोग होता है।

इससे बचाव ही इसका इलाज है, और इसके प्रसार प्रचार की रोकथाम मात्र सैनिटेशन और हाइजीन से हो सकता है। जिसको हिन्दू धर्म में शौच कहते हैं। यह सर्वाधिक उन लोगों को प्रभावित करता है जिनके शरीर मे कुपोषण के कारण प्रतिरोधक क्षमता का अभाव हो जाता है।

लेकिन यदि इस बीमारी से संक्रमित होने के कारण किसी की आंख की रोशनी चली जाय तो आपको दोष किसको देना चाहिये?
ट्रेकोमा वायरस और कुपोषण को या उनको जिनके पास आंख बच गयी है प्रभु की कृपा से?

वही हाल किया है फर्जी इतिहासकारों ने। तथाकथित अशौच और भूंखमरी में जीने के लिए बाध्य किये गए हिंदुओं के दुर्दशा का कारण तथाकथित सवर्णों को दोषी ठहराया गया।
अब सैकङो प्रमाण आ चुके हैं जो यह बताते है कि भारत आज से मात्र 250 वर्ष पूर्व तक विश्व की 24%जीडीपी का उत्पादक था और ब्रिटेन मात्र 1.8% का। भारत के कृषि शिल्प वाणिज्य का ब्रिटिश दस्युवो ने सर्वनाश किया और भारत से खरबों की धन संपत्ति लूटकर अपने यहाँ यांत्रिक विकास किया। मैकाले तक यह कहता है कि ब्रिटेन का औद्योगीकरण भारत के लूटे हुए धन से हुवा था।

अभी हाल में उषा पटनायक नामक एक आर्थिक इतिहासकार ने ऑक्सफ़ोर्ड में एक पेपर पब्लिश कराया है जिसमे उन्होंने लिखा है कि ब्रिटेन भारत से 45 ट्रिलियन पौंड लूटकर ले गया जो आज ब्रिटेन के 17 साल की जीडीपी के बराबर होगा।

कल कहीं एक लेख पढ़ रहा था जिसमे मोदी जी ने दावा किया है कि 5 ट्रिलियन रुपयो का टैक्स कलेक्शन करेंगे जिससे पूरे भारत के गरीबों को लगभग मुफ्त भोजन टट्टी घर और 5 करोड़ मुसलमानों को वजीफा, विवाह में दहेज आदि आदि की व्यवस्था करेंगे।

आप सोच सकते हैं कि यदि ब्रिटिश दस्युवो के लूट का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा होगा।
क्या प्रभाव पड़ा है इसके सीधे प्रमाण भी हैं।

- 1853 में कार्ल मार्क्स लिखता है कि 1818 में ढाका में 1,50,000 शिल्पी थे, जिनकी संख्या 1836 में घटकर मात्र 20,000 बची। ( गूगल में उसका आर्टिकल है) बाकी 1,30,000 कहाँ गए? पूरे भारत मे यही हुआ। उनकी संख्या जोड़ सकते हैं।

- अम्बेडकर जी की एक पुस्तक है " What Congress and Gandhi did to Untouchables". उसमें एनी बेसेन्ट के एक लेख का जिक्र है। ब्रिटिश भारत के लूटे हुए माल से अपने यहां कपड़ों की इंडस्ट्री लगा रहा था और अपने अकुशल लोगों को ट्रेनिंग देकर कुशल बना रहा था, फिर भी एक बहुत बड़ी संख्या थी जो उस समय भी ब्रिटेन में बेरोजगार थी। वहीं भारत के करोड़ो शिल्पी कृषक और वाणिज्यिक बेरोजगार कर दिए गए थे। भूंखमरी और संक्रामक बीमारियों से मरने के लिए बाध्य कर दिए गए थे। जिनके संकरण से बचने का मात्र एक ही तरीका था - शौच पूर्ण जीवन शैली। जिसको कालांतर में अम्बेडकर जी की सहायता से अछूत घोसित किया जाएगा जिससे कि भारत में " बांटो राज्य करो, झूंठा इतिहास और समाजशास्त्र लिखो और ईसाइयत में धर्म परिवर्तन का आधार तैयार करो", की नीति लागू किया जा सके। एनी बेसेन्ट लिखती हैं कि " भारत के छठवें जेनेरिक डिप्रेस्ड क्लास की सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति ब्रिटेन के दसवें तलछट की आबादी जैसी है"।

क्या अर्थ है इसका?
कोई भी मूर्ख इसका अर्थ समझ सकता है। लेकिन मैकाले के प्रशिक्षित मूर्ख पिछलग्गू इसका अर्थ नही समझ सके आज तक।

-1930 में विल दुरंत लिखता है कि भारत के लोगों दुनिया के सबसे सफाई पसंद लोग हैं। वे आज भी प्रतिदिन नहाते और अपने वस्त्र साफ करते हैं परंतु गरीबी इतनी अधिक है कि सामाजिक सुचिता बनाये रखना असंभव है।

- 1930 में ही विल दुरंत लिखता है कि " जिन किसानों की जमीन कुर्क हो जाती थी वे सौभग्यशाली थे। वे दिल्ली जैसे शहरों की ओर जाते थे, और यदि वहां कम्पटीशन कम हुई तो उनको गोरों का मेला साफ करने का काम मिल जाता था। गुलाम इतने सस्ते हों तो शौचालय कौन बनवाये"।

ऐसे सैकङो प्रमाण है जिनसे यह प्रमाणित होता है कि अछूतपन ब्रिटिश लूट के कारण भारत मे जन्मी एक सामाजिक संस्कृति थी न कि हिन्दू धर्म का अविभाज्य अंग।

लेकिन हुवा वही।
फूली के लिए ट्रेकोमा के बजाय आंख वालों को दोषी सिद्ध किया गया।

नीचे ऐतिहासकर अंगुस मैडिसन द्वारा विश्व की 2000 वर्षो की पूरे दुनिया भर की तुलनात्मक जीडीपी का चार्ट है। उसी चार्ट के आधार पर मैंने 1929 में जे सुन्दरलैंड द्वारा लिखित पुस्तक "इंडिया इन बाँडेज" से भारत की गिरती हुई जीडीपी और उसके कारण भुखमरी और संक्रामक महामारियों से मरने वाले भारतीयों का एक चार्ट तैयार किया है। उसको ध्यान से देखिए। दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।

Singh Tri Bhuwan

1 comment:

  1. आँख खोलने वाला बहुमूल्य लेख........

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