Thursday, 4 July 2019

नुनिया और नमक आंदोलन

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#कहाँ_गए_नुनिया

#लोनिया

नुनिया या लुनिया (लोनिया) "कोली या कोरी | " जात और जाति " का फर्क
आज कोरी या कोली भारत के एस सी हैं , 1872 मे M A Sherring के अनुसार - " कोली बैस राजपूतों के सम्मानित वंशज हैं "  , जो बुनकर हुआ करते थे /
मुसहर आज सबसे गरीब कुनबा है भारतीय समाज का , जो अंग्रेजों के नमक कारोबार पर मोनोपोली कायम करने के पूर्व  नमक का निर्माता हुआ करता था / वो भी आज S C है / यानि depressed class = अछूत /
क्या है रहस्य इन सच्चाईयों का , जो इतिहास के पन्नो मे दफन है /

नुनिया या लुनिया (लोनिया)

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अंग्रेजों के लूट का व्योरा देते हुये आर्थिक इतिहासकर अमिय बघची लिखते है  -  "बिहार और बंगाल की  GDP से  1793 से 1807  तक का एवरेज सालाना लगभग ४७४,२५०,००० (47 करोड़ 42 लाख 50 हजार प्रति वर्ष )  रुपया भारत से ब्रिटेन जाता था ।इसमें भारत के अंदर बाकी हिस्सों पर कब्ज़ा करने में लगने वाला खर्च शामिल नहीं है लेकिन वो भी विहार और बंगाल के ही रेवेनुए से आता था जो लगभग एक मिलियन पौड सालाना था । इसका अर्थ हुवा कि बिहार और बंगाल की  7.07  प्रतिशत जीडीपी को देश के बाहर भेज दिया जाता था जो लौट के नहीं आता थी ।

हमको ये भी याद रखना चाहिए कि इंग्लैंड में औद्योगीकरण  में होने वाला इन्वेस्टमेंट  7 प्रतिशत जीडीपी से ज्यादा नहीं था खास तौर पे शुरुवाती दशकों में जब भारत मैन्युफैक्चरिंग के दिशा में 15 से 20  प्रतिशत का हिस्सेदारी से नीचे जा रहा था और उन्नीसवीं शताब्दी में यह इकॉनमी घटकर १० प्रतिशत के नीचे आ गयी थी ।

                  लगातार होने वाले disinvestment या ड्रेन के कारन , जिस पर ब्रिटिश ओब्ज़र्बेर और भारत के राष्ट्रवादी दोनों एक मत थे , प्रोडक्शन घटता जा रहा था ,इसलिए जो लोग जिन्दा बचे इस क्षेत्र में ( मैनुफेक्चुरिंग  के क्षेत्र मे ) ,उन्होंने उसी तरह काम करना शुरू किया जैसे बिना उर्वरक मिलाये खेती , जिसके कारण उनको घटिया स्तर के उत्पाद बनाने को मजबूर होना पड़ा, जिसकी घरेलू खपत तो थी लेकिन अंतराष्ट्रीय बाजार में कोई पूंछ नहीं थी, खास तौर पर तब जब यूरोपियन इस क्षेत्र में आगे जा चुके थे /"

अमिय कुमार बागची ;कोलोनिअलिस्म एंड इंडियन इकॉनमी : प्रस्तावना पेज xxix -xxx"
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अब एक क्षेत्र था नमक के निर्माण का जिसको ईसाई अंग्रेजों ने नूनिया या लोनिया कास्ट से वर्णित किया है / नमक का व्यवसाय वो पहला व्यवसाय है जिस पर अंग्रेजों ने सबसे पहले एकाधिकार जमाया। 1780 मे नमक पर टैक्स मात्र 3 पैसे प्रति मन / मोन्द ( 40 सेर = 1 मन ) था जिसको बढ़ाकर ईस्ट इंडिया के वाइस रॉय ने 3 रुपये 25 पैसे प्रति मन कर दिया । 6 व्यक्तियों के परिवार के लिए प्रतिवर्ष नमक का खर्च 2 रुपये आता था , और एक मजदूर की उस जमाने मे 2 रुपये कमाने के लिए 2 माह मेहनत करना पड़ता था । जिन लोगों को इस बात पर आपत्ति हो कि मॉडर्न हिएयरची आधारित कास्ट सिस्टम अंग्रेजों ने नहीं बनाई , भारत मे पहले से थी , तो उनको बता दूँ कि -- जात का अर्थ भारत मे मैनुफेक्चुरिंग इकाई हुआ करती थी जिसमे समाज का कोई भी वर्ण शामिल हो सकता था , आपस मे ही शादी व्याह करते थे , जिसमे कोई ऊंच नीच नहीं थी / नीचे उद्धृत लेख से ये बात स्पस्ट हो जाएगी / बाकी नमक के इतिहास को प्रेमचंद के "नमक का दारोगा " गांधी के दांडी मार्च और नमक आंदोलन से समझा जा सकता है /

M A Shering की पुस्तक से उद्धृत (1872)

"नुनिया शब्द नून या लोन (नमक) से उद्धृत है इसलिए नुनिया शब्द से ही इनके व्ययसाय का पता चल जाता है के ये नमक के उत्पादक यानि मैन्युफैक्चरर है।लेकिन अब यह व्यवसाय दूसरे लोगों के हांथों में चला गया है।
इस cast के लोग इस व्यवसाय को पूरी तरह से त्यागने को बाध्य है अन्यथा वो भूख से मर गए होते ।भारत सरकार ने इस पर मोनोपोली कर के कब्जा कर लिया है । और अब वह कुछ जिलों को छोड़कर , किसी को भी इसके निर्माण की अनुमति नहीं देती यद्यपि यह जमीन में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।उदाहरण के लिए बनारस प्रान्त के विभिन्न भागों की जमीन saltpetre से भरी पड़ी है ।इसलिए इन जिलों में नमक की मैन्युफैक्चरिंग आसान बात है परंतु नमक के व्यवसाय का कोई स्कोप न होने के कारण इन लोगों ने बुद्धिमानी का परिचय दिया और दूसरे क्षेत्रों में लेबर का काम करने लगे है । वो अब कुवां पोखर और तालाब खोदने लगे हैं ।ईंट और टाइल बनाने का भी वो काम करने लगे हैं ।
इस क्षत्र के नुनिया लोग सम्भल से आये हैं । इनके ट्राइब के 7 सब devision हैं जो एक दूसरे से अलग हैं ।मेरे पास दो सुंचिया हैं , एक बनारस से और एक मिर्जापुर से , जिनमे काफी भिन्नता है।
बनारस के नुनिया लोगों का सब devision
1.चौहान
2.औधिया (अवध के निवासी )
3.मुसहर
4. बिंद
5.भुइँहार
6. लोढ़ा
मिर्जापुर के नुनिया ट्राइब का सब devision
1.बक्ष गोत्र चौहान (जनेऊ धारी )
2.बक्ष गोत्र चौहान ( बिना जनेऊ वाले )
3.भुइँहार
4. पंचकौता
5.लोध
6. मुसहर "
सोर्स : Caste and tribes of India ; M A Sherring

Note: अब ये देखें कि आधुनिक भारत में एक ही व्यव्साय से जुड़े कुल और वंशज आज किस कास्ट में विभाजित हैं ?  उनकी आर्थिक और सामजिक स्थिति क्या है ?? और इसके लिए जिम्मेदार कौन है ?
मनुस्मृति ??

नोट : अब इस पोस्ट के आर्थिक पहलु को देखें और समझें।नमक व्यवस्साय और उसकी मैन्युफैक्चरिंग एक स्वतंत्र व्यापार था ।जिसमे समाज के कई वर्ग भाग लेते थे जिनका ऊपर वर्णन है। इन वर्गों को अंग्रेज और यूरोपीय ईसाई कभी caste कभी ट्राइब या कभी clan यानि कुल परिवार के नाम से पुकारते थे।
ये लोग नमक मैन्युफैक्चरिंग का काम कितने वर्षों से करते थे इसकी जानकारी नहीं है ।लेकिन जब अंग्रेजों ने नमक व्यवसाय पे कब्जा किया तो ये सब बेरोजगार और बेघर होकर कुछ अन्य कार्य करने लगे जैसे मजदूरी। ऊपर वर्णित है।
जे सुन्दरलैंड लिखता है कि किसी भी देश मे नमक वह वस्तु है जिस पर टैक्स नही लगाया जाता है या बहुत कम टैक्स लगता है क्योंकि वह सबसे अधिक उनकी आवश्यकता है जो श्रम करते हैं, पसीना बहाते हैं।
गांधी को इस बर्बर सिस्टम को खत्म करने के लिए नमक आंदोलन चलाना पड़ा, जो अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ बनी। प्रेमचन्द नमक का दरोगा नामक कानून बनाते हैं।
लेकिन इन कथाओं और अत्याचारों की बात कोई नही करता जिनके कारण करोड़ो भारतीय लोग बेरोजगार हुए जिनको राजनैतिक हन्थियार बनाते हुए अंग्रेजो ने अछूत और schedule Caste का अलग वर्ग तैयार किया।

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