Saturday 20 July 2019

इमोशनल टोक्सिन - 1

#टेंशन : #इमोशनल_टोक्सिन_सीरीज - 1

पहले मेरा फंडॉ था- टेंशन देने का, लेने का नहीं।
लेकिन नया फंडा है -"न टेंशन लेने का न टेंशन देने का"।
कारण क्या है?
टेंशन चाहे लो चाहे दो, टेंशन आपके व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाता है।
टेंशन आपके सिस्टम में केमिकल टॉक्सिन्स निकालता है जिसका प्रभाव आपके समस्त अंगों और मन पर पड़ता है। इन टॉक्सिन्स को मैं #इमोशनल_टोक्सिन कहता हूँ।
अभी हाल में ऐसे कई लोगों को दिल का दौरा पड़ा है जो उन आदतों के शिकार नहीं थे, जिनको इस बीमारी के लिये दोषी ठहराया जाता रहा है यथा - सिगरेट शराब आदि आदि।
बहुत से लोग जो टेंशन लेने और देने दोनों में यकीन करते हैं उनके साथ एक और समस्या रहती है। टेंशन देने के पूर्व टेंशन लेना ही पड़ता है। कई बार स्थिति ऐसी होती है कि टेंशन पूरी तरह रिलीज नही हो पाता क्योंकि परिस्थियां ऐसी हैं या सामने वाला व्यक्ति ऐसा है कि यदि टेंशन रिलीज किया तो स्थिति बिगड़ सकती है और डबल टेंशन लेना पड सकता है।
ऐसे में उनके अंदर दो भावनात्मक स्थितियां पैदा होती हैं। प्रथम तो टेंशन लिया उसके कारण इमोशनल टोक्सिन निकले। फिर टेंशन रिलीज न हो जाय, इसलिए टेंशन की अभिव्यक्ति को रोकने की टेंशन लेना पड़ता है। उसमे फिर से इमोशनल टोक्सिन रिलीज होते हैं।
हो सकता है कि आप घर जाकर पत्नी और बच्चों पर टेंशन रिलीज कर लेवें। लेकिन आज के आधुनिक युग मे यह भी संभव नहीं है। फिर आप जब तक वह टेंशन लेकर घूमते रहते हैं, तब तक उनके रक्त में विषाक्त केमिकल निकलता रहता है।
कुछ लोग परमानेंट टेंशन में रहते हैं, उनके अंदर सदैव विष टपकता रहता है।
ऐसा हुआ कि आज मॉर्निंग वॉक पर एक मित्र मिले जिन्होंने 60 घण्टे का टेंशन राजनेता पब्लिक अपराधियों को गरियाते हुए निकाला। वे किसी राजनैतिक कारणों से सरकारी कर्तव्य निबाहते हुये 60 घण्टे निरन्तर टेंशन में थे। उसी से इस पोस्ट का जन्म हुआ है।
तो प्रश्न उठता है कि इसका इलाज क्या है?
भगवतगीता में इसका इलाज लिखा हुआ है।
इन्द्रियः इन्द्रियार्थेषु राग द्वेष व्यवस्थितौ।
तयो न वशं आगच्छेत तौ हि अस्य परिपंथनौ।।

भगवान कृष्ण अर्जुन को बताते हैं कि तेरे मन का स्वरूप ऐसा है कि यह सदैव किसी व्यक्ति वस्तु भाव या विचार का साक्षात्कार करते ही उसके पक्ष या विरोध में खड़ा होआ जाता है। तेरा मन निर्णय कर लेता है कि यह या तो गलत है या सही है। और यही इस टेंशन का कारण है।
तुमको निर्णय नही लेना है। देख लो। बस उनके न पक्ष में खड़े हो न विपक्ष में। न उसे लाइक कर न डिस्लाइक। पार्टी मत बन।

तो भैया टेंशन न लेने का न देने का।
मगन रहने का।
© त्रिभुवन सिंह

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