Wednesday, 29 April 2015

Will Durant की पुस्तक "The Case For India " को पढ़ें / Part-2 भारत का आर्थिक इतिहास और समाजशास्त्र


#मनुस्मृति_को_जलाकर_क्या_घंटा_मिलेगा?
भारत का आर्थिक इतिहास और समाजशास्त्र
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एक और बात समझना पड़ेगा। किसी भी समाज की स्थिति को सिर्फ मनुस्मृति में लिखे श्लोक से समझ पाना मुश्किल है। देश की आर्थिक स्थिति समाज का दर्पण प्रस्तुत करता है । स्किल्ड इंडिया का नारा समझिये । शिक्षित इंडिया का नहीं। भारत में क्शिक्षा हमेशा - अर्थकरी च विद्या रही है। यानी शिक्षा ऐसी जो आपको रोजगार दे सके जीवन यापन के लिए धन कमाँ सकें । 
महाभारत से उद्धृत :
 
"हर मनुष्य के जीवन में सुख और दुख आते-जाते रहते हैं। इसीलिए कहा जाता है कि कोई भी मनुष्य कभी भी पूर्ण सुखी नहीं होता। कोई न कोई कमी हर मनुष्य के जीवन में जरूर रहती है, लेकिन महाभारत के एक प्रसंग में महात्मा विदुर ने कुछ ऐसी चीजें बताई गई हैं, जो अगर किसी इंसान के पास हो तो वह कभी दुखी नहीं होता यानी वह किस्मत वाला होता है। महाभारत के उद्योग पर्व में महात्मा विदुर ने इस लोक में 6 प्रकार के सुख गिनाए हैं, जो इस प्रकार है-

श्लोक
अर्थागमों नित्यमरोगिता च प्रिया च भार्या प्रियवादिनी च।
वश्यश्च पुत्रो अर्थकरी च विद्या षट् जीव लोकेषु सुखानि राजन्।
अर्थ- 1. धन, 2. निरोगी शरीर, 3. सुंदर पत्नी, 4. वह भी प्रिय बोलने वाली हो, 5. पुत्र का आज्ञाकारी होना और 6. धन पैदा करने वाली विद्या का ज्ञान होना - ये 6 बातें इस लोक में मनुष्य को सुख देती हैं।" 
 
और  इस शिक्षा   मे  #कला  का  विशेष  महत्व था/  humanities   वाला कला नहीं- शिल्प   शास्त्र यानि  निर्माण  और उत्पादन  कला का  जिसको गूंगे और बहरे  भी  कर  सकते हों यथा-   तरण  कला ( तैरने  की   कला )  वस्त्र सममार्जन  कला ( वस्त्र  धोने  की  कला )  स्नेह निसकासन कला ( तिलादि  से तैल  निकालने  की  कला )  वेणु तृणादि पात्र कृत कला  ( बांस  , घास आदि से  टोकरी बनाने  की कला )  लोहाभिसार शस्त्र अस्त्र आदि कृत कला ( लोहे आदि से अस्त्र शस्त्र  और वाहन आदि - निर्माण कला )  वाद्य यंत्र निर्माण कला -- इस तरह की 64  कलाएं / 


हर मनुष्य के जीवन में सुख और दुख आते-जाते रहते हैं। इसीलिए कहा जाता है कि कोई भी मनुष्य कभी भी पूर्ण सुखी नहीं होता। कोई न कोई कमी हर मनुष्य के जीवन में जरूर रहती है, लेकिन महाभारत के एक प्रसंग में महात्मा विदुर ने कुछ ऐसी चीजें बताई गई हैं, जो अगर किसी इंसान के पास हो तो वह कभी दुखी नहीं होता यानी वह किस्मत वाला होता है।  महाभारत के उद्योग पर्व में महात्मा विदुर ने इस लोक में 6 प्रकार के सुख गिनाए हैं, जो इस प्रकार है- - See more at: http://www.ajabgjab.com/2015/05/vidur-niti-jiske-paas-hoti-hai-ye-6.html#sthash.A7FaBuMA.dpuf
विदुर कहते है की-
अर्थागमों नित्यमरोगिता च प्रिया च भार्या प्रियवादिनी च।
वश्यश्च पुत्रो अर्थकरी च विद्या षट् जीव लोकेषु सुखानि राजन्।
अर्थ- 1. धन, 2. निरोगी शरीर, 3. सुंदर पत्नी, 4. वह भी प्रिय बोलने वाली हो, 5. पुत्र का आज्ञाकारी होना और 6. धन पैदा करने वाली विद्या का ज्ञान होना – ये 6 बातें इस लोक में मनुष्य को सुख देती हैं।
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विदुर कहते है की-
अर्थागमों नित्यमरोगिता च प्रिया च भार्या प्रियवादिनी च।
वश्यश्च पुत्रो अर्थकरी च विद्या षट् जीव लोकेषु सुखानि राजन्।
अर्थ- 1. धन, 2. निरोगी शरीर, 3. सुंदर पत्नी, 4. वह भी प्रिय बोलने वाली हो, 5. पुत्र का आज्ञाकारी होना और 6. धन पैदा करने वाली विद्या का ज्ञान होना – ये 6 बातें इस लोक में मनुष्य को सुख देती हैं।
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विदुर कहते है की-
अर्थागमों नित्यमरोगिता च प्रिया च भार्या प्रियवादिनी च।
वश्यश्च पुत्रो अर्थकरी च विद्या षट् जीव लोकेषु सुखानि राजन्।
अर्थ- 1. धन, 2. निरोगी शरीर, 3. सुंदर पत्नी, 4. वह भी प्रिय बोलने वाली हो, 5. पुत्र का आज्ञाकारी होना और 6. धन पैदा करने वाली विद्या का ज्ञान होना – ये 6 बातें इस लोक में मनुष्य को सुख देती हैं।
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विदुर कहते है की-
अर्थागमों नित्यमरोगिता च प्रिया च भार्या प्रियवादिनी च।
वश्यश्च पुत्रो अर्थकरी च विद्या षट् जीव लोकेषु सुखानि राजन्।
अर्थ- 1. धन, 2. निरोगी शरीर, 3. सुंदर पत्नी, 4. वह भी प्रिय बोलने वाली हो, 5. पुत्र का आज्ञाकारी होना और 6. धन पैदा करने वाली विद्या का ज्ञान होना – ये 6 बातें इस लोक में मनुष्य को सुख देती हैं।
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विदुर कहते है की-
अर्थागमों नित्यमरोगिता च प्रिया च भार्या प्रियवादिनी च।
वश्यश्च पुत्रो अर्थकरी च विद्या षट् जीव लोकेषु सुखानि राजन्।
अर्थ- 1. धन, 2. निरोगी शरीर, 3. सुंदर पत्नी, 4. वह भी प्रिय बोलने वाली हो, 5. पुत्र का आज्ञाकारी होना और 6. धन पैदा करने वाली विद्या का ज्ञान होना – ये 6 बातें इस लोक में मनुष्य को सुख देती हैं।
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अब एक आंकड़ा प्रस्तुत कर रहा हूँ। उस आंकड़े को timeline के अनुसार , और सामाजिक स्थित को ध्यान में रखकर पढियेगा खासकर 1857 के संग्राम के पश्चात शासन और क्रिस्चियन मिसनरियों के धर्म परिवर्तन करने , और दुबारा 1857 की घटना दुबारा न हो , इस बात को ध्यान में रखकर जो नीतियाँ  अंग्रेजों ने  अपनाईं , उसको समझने की कोशिस करें /
Angus Maddison नाम के अर्थशाष्त्री ने 10 वर्षो की रिसर्च किया और 2000 में एक पुस्तक लिखी - Economic history of world; a melineum perspective. जिसमे 0 AD से 2000 AD तक का विश्व की आर्थिक इतिहास का वर्णन है। इनको OECD ग्रुप के देशों ने नियुक्त किया था ये जांचने के लिए की क्या पश्चिमी देश हमेशा से अमीर रहे हैं और पूर्वी देश हमेशा से ही गरीब रहे हैं । क्योंकि अभी भी हमें बताया जाता रहा है की महान रोमन सभ्यता।
A Maddison ने ये प्रमाणित किया की भारत और चीन 0 AD से 1750 तक दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक ताकत थे। 1750 में भारत की GDP पूरी दुनिया की GDP का 25% हिस्से का हिस्सेदार हुवा करता था / 1500 AD के पूर्व तक भारत का विश्व जीडीपी मे लगभग 33% हिस्सा हुआ करता था , और 2000 सालो से ज्यादा समयकाल तक । जबकि UK + USA का कुल हिससेदारी मिलकर मात्र 2% थी।   भारत और UK की प्रतिव्यक्ति आय लगभग बराबर थी । भारत एक निर्यातक देश था ।खाली मसलों का नहीं रत्न लाख गुड खांड पोर्स्लीन घी सूती वस्त्र और छींट के कपडे। भारत से आयातित वस्तुएं इंग्लॅण्ड के घरों में स्टेटस सिंबल मानी जाती थी। ईस्ट इंडिया कोंपनी से आयातित कपड़ो के कारण जब ब्रिटेन मे वस्त्र उद्योग मे मंदी छा गई तो ब्रिटिश संसद ने 1700 AD मे सूती कपड़ो के आयात पर पाबंदी लाग्ने का कानून बनाया था /


लेकिन मात्र 150 सालों में स्थिति उल्टी हो गयी ।1900 आते आते क्ष भारत का हिस्सा विश्व GDP का मात्र 2% रह गया और UK+USA का हिस्सा 40% के ऊपर हो गया। और ये औद्योगिक क्रांति के कारण नहीं । बल्कि सिलसिलेवार लूट और भारतीय घरेलू उद्योगों को नष्ट करके। अगर क्या क्या समान भारत से जाता था इंग्लॅण्ड उसकी जानकारी चाहिए तो दादा भाई नौरोजी की Unbritish Rule in India नामक पुस्तक जो 1906 के आसपास छपी थी। उससे ले सकते है।
अब इसका एक दूसरा हिस्सा देखिये। अगर भारत देश निर्यातक था । तो मैन्युफैक्चरिंग भी होती रही होगी। इसका मतलब स्किल्ड और अपने ज़माने के interpreuner भी रहे होंगे। रोजगार युक्त होंगे ।उनके द्वारा निर्मित सामान एक्सपोर्ट होता था तो मानना चाहिए कि लोग संपन्न न सही लेकिन विपन्न न रहे होंगे । उसी स्किल को तो मॉडर्न टाइम में मोदी हल्ला मचाये हुए है। उसी स्किल्ड लोगों की वजह से तो चाइना आज सबको बांस किये हुए है। किसी भी देश और समाज की सम्पन्नता उसके ह्यूमन रिसोर्स की क्वालिटी पर निर्भर करता है। आज BA MA पास humanities के छात्र बेरोजगार घूम रहे हैं। और इनही लाखों छात्रों मे से   कुछेक सौ  छात्र यदि  सिविल  सर्विसेस  ( शूद्र कर्म )  मे  सिलैक्ट हो जाते हैं  तो  सुर्खियां  बटोरते हैं /
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क्या आप अनुमान लगा सकते हैं कि कितने प्रतिशत लोग बेरोजगार हुए होंगे?
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जो लोग हजारों वर्षों से अपनी हस्तकला और उससे जुड़े व्यवसाय जैसे खरीदकर ट्रांसपोर्ट करना , या सोचिये किसी भी मुख्य व्यवसाय से सम्बंधित जितनी भी auxillary व्यवसायी रहे होंगे, और जो हजारों साल से वही काम करके जीविकोपार्जन करते थे। बेरोजगार हुए होंगे तो बेघर भी हुए होंगे।
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"The rise and fall of the great powers" - पॉल कैनेडी द्वारा लिखे पुस्तक के P. 149 पर एक बेल्जियन इकोनॉमिस्ट पॉल बैरोच द्वारा तैयार एक डाटा प्रकाशित किया गया है। वो बेहद रुचिकर और ज्ञानियों के चक्छु खोलने वाला है ।
Table.6 Relative shares of World Manufacturing Output 1750-1900
में पब्लिश की गयी रिपोर्ट के अनुसार 1750 में पूरे यूरोप का उत्पादन विश्व उत्पादन का 23.2% था और भारत अकेले का उत्पादन 24.5 % था।
ब्रिटेन का योगदान मात्र 1.9% था।
अब 1900 को देखिये
यूरोप अकेले 62.0%
ब्रिटेन 18.5%
भारत 1.7%

पूरे विश्व उत्पाद का ।यानी massive Fall of economy of of India
And rise of west .
विश्व सकल उत्पाद में भारत का योगदान datawise
1750-----24.%
1800------19.7%
1830-------17.6%
1860-------8.6%
1880--------2.8%
1900--------1.7%

अब एक दूसरा डाटा उसी पुस्तक से पॉल बैरोच का।Table 7.
Per capita level of Industrialisation :
1750 में
Europe as a whole---- 8
UK––------------------------ 10
USA–-----–------------------ 4
India----–---------------------7
अब per capita industrial isation in 1900
Europe as whole --35
UK--–--100
USA-----69
India------1
A massive de industrialization of India
यानी बेरोजगारी का चरम 150 वर्षों में।
  अब एक दूसरा डाटा उसी पुस्तक से पॉल बैरोच का।Table 7.
Per capita level of Industrialisation :
1750 में
Europe as a whole---- 8
UK––------------------------ 10
USA–-----–------------------ 4
India----–---------------------7
अब per capita industrialisation in 1900
Europe as whole --35
UK--–--100
USA-----69
India------1
A massive de industrialization of India
यानी बेरोजगारी का चरम 150 वर्षों में।
  Paul bairoch says -- a horrifying state of affair , whereas in 1750 per capita industrialisation in Europe and third world was not too far apart from each other , but by 1900 , later was only one eighteenth (1/18) of Europe and one fiftieth (1/50) of UK.
  यानी हिंदी में समझा जाय तो यदि 1900 में मात्र 1 व्यक्ति भारत में उत्पादन व्यवसाय में कार्य करता था तो 1750 में 7 लोग उत्पादक रोजगारों में employed थे।
यानी अगर कोई statistic वाला व्यक्ति इस पेज पर हो तो वो जनसँख्या के अनुपात में कितने लोग बेरोजगार हुए , बता सकता है । जो लोग हजारों वर्षों से अपने तकनीकी ज्ञान की वजह से खुशहाल रहे होंगे। सोचिये क्या हुवा होगा उनके परिवारों का और भावी वंशजों का। न रोजगार है तो रहने का खाने का ठिकाना ही नहीं ।
तो शिक्षा की कौन सोचेगा??
कुछ पल्ले पड़ा भाइयों ??
ये काम ब्राम्हणों ने किया ???

#मनुस्मृति_क_जलाकर_घंटा_मिलेगा?

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