Wednesday, 29 April 2015

From : The Case For India ; by Will Durant 1930 . से संक्षिप्तान्श Part -4

Caste System of India
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======================"भारत की वर्तमान जाति व्यवस्था 4 वर्गों मे बंटी हुई है:
- वास्तविक ब्राम्हण यानि ब्रिटिश ब्युरॉक्रसी ;
- वास्तविक क्षत्रिय यानि ब्रिटिश आर्मी ;
- वास्तविक वैश्य यानि ब्रिटिश व्यापारी ;
-वास्तविक शूद्र यानि हिंदू जनता ; "
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"केन्द्रीय विधायिका जो दिल्ली में बैठी थी ,जिसे लोवर हाउस या असेंब्ली कहते थे , उसमें कुल 144 सदस्य होते थे , उसमें ३१ सरकार द्वारा नियुक्त होते थे , बाकी १०४ का चुनाव franchise restricted by property qualification द्वारा होता था , और उसमें भी २५० में से मात्र एक व्यक्ति को वोट देने का अधिकार था /
इस केन्द्रीय विधायिका के ऊपर ब्रिटन की रानी द्वारा चुना गया वाइस्राइ और एग्ज़िक्युटिव काउन्सिल होती थी , जो इस विधायिका के प्रति जबाबदेह नहीं होता था / ब्रिटिश प्रलियामेण्ट द्वारा चुना गया वाइसरॉय सर्वशक्तिमान होता था लेकिन सर्वाग्य नहीं होता था , जो मात्र इस प्रशाशनिक काबिलियत के कारण चुना जाता था कि गरीब जनता से कैसे ज्यादा से ज्यादा tax वसूली करने में कितना सक्षम है / वो इस बात के लिये कभी भी नहीं चुना जाता था कि उसको भारत के बारे में कितना ज्यादा ज्ञान है , ; और भारतीयों के प्रति सुहानीभूति रखना उसको इस पद के लिये अयोग्य ठहरा सकती थी जैसा कि लॉर्ड राइपन को अयोग्य घोषित किया गया था / ५ साल में जब तक उसको यहाँ के लोगों और इस देश के बारे में थोड़ा बहुत ज्ञान होने लगता था , उसको बदल दिया जाता था /

Few Excerpts From : The Case For India 1930
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"जॉन मॉर्ली ने अनुमान लगाया कि अकेले 19वीं शताब्दी में इंग्लेंड ने भारतीय सेना कि मदद से 111 लड़ाइयां लड़ीं / लाखों (मिलियन्स) हिन्दुओं ने अपना खून बहाया कि भारत गुलाम बन जाय / भारत को जीतने के लिये एक एक आना पाई भारतीयों पर लगाये गये टॅक्स से आया था ; अंग्रेज़ों ने इस जीत में एक ही पैसा न लगने के लिये अपनी पीठ खुद ही थपथपाई / ये वाकई एक आश्चर्यजनक उपलाधि हैं कि एक quarter million mile एरिया पर कब्जा (चोरी) किया जाता है और उसमे खर्च हुये एक एक पैसे को victim (शिकार) से ही वसूला जाता है /"
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हाउस ऑफ कामन्स कि एक जांच समिति 1804 मे कहती है : " एक अंग्रेज़ को इस आत् से अवश्य तकलीफ होनी चाहिये कि जबसे कोम्पनी ने भारत पर कब्जा किया है, भारतीय जनता की हालत पहले से बहुत खराब हो गयी है " अंग्रेज़ बिशप हेरबेर ने 1826 में लिखा : " जिन प्रदेशों मे कोम्पनी का शासन है वहां के किसानों कि हालत , भारतीय राजाओं के अधीन शासित किसानों कि तुलना में बहुत खराब, गरीबी की मार से ग्रसित और दयनीय है ............मैं बहुत काम लोगों से मिला हून जो अश्वासन दिलाने के बाद भी ( कि ये बात लीक न्हीं होगी) इस बात में यकीन रखते हैं कि लोगों से बहुत ज्यादा टॅक्स वसूला जा रहा है , और देश धीरे धीरे आर्थिक रूप से दरिद्र होता जा रहा है "/ भारत के इतिहासकार James Mill ने कहा : "भारत के दो सबसे धनी प्रांत अवध और कर्नाटक के लोग ब्रिटिश सरकार पर निर्भरता और उसके कुशासन के कारण अत्यंत दयनीय और दुखी हैं, जिसकी मिशाल पूरी दुनिया में अन्यत्र कहीं भी नहीं मिलती "/ 




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" ऐसी सरकार ( ब्रिटिश) जो भारत के प्रति नहीं बल्कि इंग्लैंड के प्रति जबावदेह हो , तो टैक्सेशन के अधिकार का असीमित प्रयोग किया जा सकता है ।अंग्रेजों के आने के पूर्व जमीन प्राइवेट प्रॉपर्टी हुवा करती थी , लेकिन सरकार ने इस पर मालिकाना कब्जा जमाया और इसके एवज में उत्पाद का पांचवा हिस्सा जमीन के टैक्स के रूप में वसूलने लगी।
पूर्व में कई स्थानों पर पैदावार का आधा , और कुछ जगहों पर तो पैदावार से भी ज्यादा ; सामान्यतायाः अंग्रेजी शासन की तुलना में पूर्व में लगने वाले टैक्स के दुगुना या तिगुना टैक्स वसूली की गयी। सर्कार के पास नमक मैन्युफैक्चरिंग का एकाधिकार है , जिसके ऊपर प्रति puond पर आधा cent का सेल्स टैक्स लगाया जाता है।
जब हमें स्मरण होता है कि भारत में एवरेज सालाना इनकम (प्रति व्यक्ति ) 33 डॉलर थी ; और फिर एक मिशनरी अख़बार जिसका नाम India Witness था , उसका निर्णय स्मरण आता है कि -" ये मानना ज्यादा उचित होगा कि 10 करोड़ भारतियों की एवरेज सालाना आय प्रतिव्यक्ति 5 डॉलर से ज्यादा नहीं है "। तब ये बात समझ में आती है कि ये टैक्स कितने दमनकारी थे , और ये कितने असंख्य हिंदुओं के बर्बादी और दुर्दशा के लिए जिम्मेदार थे "।

From : The Case For India ; by Will Durant 1930 .
से संक्षिप्तान्श
अंग्रेजी शासन द्वारा प्रतिबंधित पुस्तक

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