#मनुस्मृति_जलाओ लेकिन क्या मिलेगा ? #बाबाजी_जी_का_घंटा ?
इन सच्चाईयों को किस ग्रंथ वेद पुराण और स्मृति से व्याख्यायित करोगे #बाबा_साहेब के अविवेकी विद्वानों ?
बाबा साहेब तो रहे नहीं नहीं तो उन्हीं से पूंछता / अब तो तुम्ही बताओ , जो पिछले 68 साल से #रंडी_रोना मचाये हुये हो , कि कहाँ गए वो लोग और उनकी वंशजे जिन बहुमूल्य वस्तुओं के इंडस्ट्री की बात 1929 मे जे सुनदेरलंद कर रहा है , जिसकी लालच मे दरिद्र और बर्बर तुर्क मोघल अफगानी और समुद्री डकैत इस भारत भूमि पर चले आए लूट मार हत्या और धर्म परिवर्तन करने के लिए अपनी संघितबद्ध मजहबी पुस्तकों के आज्ञा अनुसार ?
इसका उत्तर कौन देगा ?
" जो लोग आज हिंदुओं की अवर्णनीय गरीबी और असहायता आज देख रहे हैं , उन्हें ये विस्वास ही न होगा ये भारत की धन वैभव और संपत्ति ही थी जिसने इंग्लैंड और फ्रांस के डकैतों (Pirates) को अपनी तरफ आकर्षित किया था। इस " धन सम्पत्ति" के बारे में Sunderland लिखता है :---
" ये धन वैभव और सम्पत्ति हिंदुओं ने विभिन्न तरह की विशाल (vast) इंडस्ट्री के द्वारा बनाया था। किसी भी सभ्य समाज को जितनी भी तरह की मैन्युफैक्चरिंग और प्रोडक्ट के बारे में पता होंगे ,- मनुष्य के मस्तिष्क और हाथ से बनने वाली हर रचना (creation) , जो कहीं भी exist करती होगी , जिसकी बहुमूल्यता या तो उसकी उपयोगिता के कारण होगी या फिर सुंदरता के कारण, - उन सब का उत्पादन भारत में प्राचीन कॉल से हो रहा है । भारत यूरोप या एशिया के किसी भी देश से बड़ा इंडस्ट्रियल और मैन्युफैक्चरिंग देश रहा है।इसके टेक्सटाइल के उत्पाद --- लूम से बनने वाले महीन (fine) उत्पाद , कॉटन , ऊन लिनेन और सिल्क --- सभ्य समाज में बहुत लोकप्रिय थे।इसी के साथ exquisite जवेल्लरी और सुन्दर आकारों में तराशे गए महंगे स्टोन्स , या फिर इसकी pottery , पोर्सलेन्स , हर तरह के उत्तम रंगीन और मनमोहक आकार के ceramics ; या फिर मेटल के महीन काम - आयरन स्टील सिल्वर और गोल्ड हों।इस देश के पास महान आर्किटेक्चर था जो सुंदरता में किसी भी देश की तुलना में उत्तम था ।इसके पास इंजीनियरिंग का महान काम था। इसके पास महान व्यापारी और बिजनेसमैन थे । बड़े बड़े बैंकर और फिनांसर थे। ये सिर्फ महानतम शिप बनाने वाला राष्ट्र मात्र नहीं था बल्कि दुनिया में सभ्य समझे जाने वाले सारे राष्ट्रों से व्यवसाय और व्यापार करता था । ऐसा भारत देश मिला था ब्रिटिशर्स को जब उन्होंने भारत की धरती पर कदम रखा था ।"
पेज- 8-9
---------------------------------------- ---------------------------------------- --------------------ये
वही धन संपत्ती थी जिसको कब्जाने का ईस्ट इंडिया कंपनी का इरादा था / पहले
ही 1686 में कंपनी के डाइरेक्टर्स ने अपने इरादे को जाहिर कर दिया था --"
आने वाले समय में भारत में विशाल और सुदृढ़ अंग्रेजी राज्य का आधिपत्य
जमाना " / कोम्पंय ने हिन्दू शाशकों से आग्रह करके मद्रास कॅल्कटा और
बम्बई में व्यवसाय के केन्द्रा स्थापित किये , लेकिन उनकी अनुमति के बिना
ही , उन केन्द्रों मे ( जिनको वो फॅक्टरी कहते थे ) उन केन्द्रों को गोला
बारूद और सैनकों सेसुदृढ़ किया / 1756 में बंगाल के राजा ने इस अनाधिकृत
अतिक्रमण के विरुद्ध इंग्लीश फ़ोर्ट विलियम पर आक्रमण किया और 146
अंग्रेज़ों को कॅल्कटा के "black Hole" मे बंदी बना दिया, जिसमे से अगली
सुबह मात्र २३ लोग जिंदा बाहर् आये / इसी के एक साल बाद रॉबर्ट क्लाइव ने
बंगाल की सेना को पराजित किया जिसमें मात्र २२ ब्रिटिशर मारे गये और कंपनी
को भारत के सबसे धनी प्रांत का मालिक घोषित कर दिया गया / उसने बाकी
क्षेत्रों पर धोखाधड़ी से ,पूर्व मे किये समझौतों का उल्लंघन करके , एक
राजा को दूसरे के खिलाफ लड़ाकर , घूस लेकर या देकर , कब्जा किया / एक ही
बार में ४० लाख डॉलर कॅलकत्ता भेजा गया / उसने हिन्दू शासकों को सैनिक
सहायता और गोला बारूद मुहैया करने के एवज में 1170000 (11 लाख 70 हजार )
डॉलर उफार स्वरूप लिये और उसको अपने पॉकेट के हवाले किया / इसके साथ साथ
140,000 डॉलर सालाना रकम अलग से लेता था / (इस आरोप के खिलाफ) ब्रिटिश
पार्लियामेंट ने उसकी जांच की , मुकदमा चलाया , परंतु बरी कर दिया / लेकिन
उसने आत्महत्या कर ली / उसने (क्लाइव ने ) कहा कि -" जब भी मैं उस देश की
विलक्षण सम्पन्नता के बारे मे सोचता हूँ , और तात्कालिक समय में उसके एक छोटे हिस्से को मैं खुद हथिया लेता हों तो मुझे अपने moderation पर
आस्चार्य होता है " / इस तरह का तो नैतिक आदर्श था उन लोगों का , जो भारत
में सभ्यता लाने की बात करते थे / "
पेज - 9
From : The Case For India by Will Durant , 1930 ( अंग्रेज़ों द्वरा प्रतिबंधित )
बाबा जी तो गुजर गए / और आज इतने महान हो गए कि हर चौराहे पर बगल के एक इंपोर्टेड विचारों की पुस्तक टेंट मे दबाये सबकी आँख मे उंगली पेलने को उद्धत दिखाई देते हैं मूर्ति रूप मे / नहीं तो उनही से पूंछता / खैर अब जब वो नहीं रहे तो क्या - बाबा जी के चेले क्या ये बताने का कष्ट करेंगे कि यदि अगर वेदिक काल से एक बहुत बड़ा तबका अछूत और गुलाम था, तो इन बहुमूल्य उत्पादो का उत्पादन कर्ता कौन था ?
ब्रामहन यदि शिक्षा और पूजा अर्चना के माध्यम से लोगों को लूटने और इन अछूतों और गुलामों के खिलाफ खडयंत्र करने मे व्यस्त था /
क्षत्रिय विलासी राज करने मे और ब्रांहनों की शजिश को अंजाम देने मे व्यस्त था /
वैश्य यदि इन अछूत और गुलाम लोगों की सूदखोरी मे व्यस्त था ? ये अछूत और गुलाम करते क्या थे सूद के पैसों का ? कच्ची शराब पीते थे ?
तो व्यापार कौन करता था ? और किस चीज का व्यापार करता था ?
और इन विश्व मे अनुपलब्ध , और भारत मे प्रचुर मात्रा मे उपलब्ध इन उत्पादो का उत्पादक कौन था?
जिसकी लालच मे तुर्क मुग़ल कसाई और यूरोप के ईसाई अपने रेगिस्तान और बर्फीले शान्तिप्रिय और आरामदेह देशों से भागते हुये भारत की ओर चले आए ?
इन सच्चाईयों को किस ग्रंथ वेद पुराण और स्मृति से व्याख्यायित करोगे #बाबा_साहेब के अविवेकी विद्वानों ?
बाबा साहेब तो रहे नहीं नहीं तो उन्हीं से पूंछता / अब तो तुम्ही बताओ , जो पिछले 68 साल से #रंडी_रोना मचाये हुये हो , कि कहाँ गए वो लोग और उनकी वंशजे जिन बहुमूल्य वस्तुओं के इंडस्ट्री की बात 1929 मे जे सुनदेरलंद कर रहा है , जिसकी लालच मे दरिद्र और बर्बर तुर्क मोघल अफगानी और समुद्री डकैत इस भारत भूमि पर चले आए लूट मार हत्या और धर्म परिवर्तन करने के लिए अपनी संघितबद्ध मजहबी पुस्तकों के आज्ञा अनुसार ?
इसका उत्तर कौन देगा ?
" जो लोग आज हिंदुओं की अवर्णनीय गरीबी और असहायता आज देख रहे हैं , उन्हें ये विस्वास ही न होगा ये भारत की धन वैभव और संपत्ति ही थी जिसने इंग्लैंड और फ्रांस के डकैतों (Pirates) को अपनी तरफ आकर्षित किया था। इस " धन सम्पत्ति" के बारे में Sunderland लिखता है :---
" ये धन वैभव और सम्पत्ति हिंदुओं ने विभिन्न तरह की विशाल (vast) इंडस्ट्री के द्वारा बनाया था। किसी भी सभ्य समाज को जितनी भी तरह की मैन्युफैक्चरिंग और प्रोडक्ट के बारे में पता होंगे ,- मनुष्य के मस्तिष्क और हाथ से बनने वाली हर रचना (creation) , जो कहीं भी exist करती होगी , जिसकी बहुमूल्यता या तो उसकी उपयोगिता के कारण होगी या फिर सुंदरता के कारण, - उन सब का उत्पादन भारत में प्राचीन कॉल से हो रहा है । भारत यूरोप या एशिया के किसी भी देश से बड़ा इंडस्ट्रियल और मैन्युफैक्चरिंग देश रहा है।इसके टेक्सटाइल के उत्पाद --- लूम से बनने वाले महीन (fine) उत्पाद , कॉटन , ऊन लिनेन और सिल्क --- सभ्य समाज में बहुत लोकप्रिय थे।इसी के साथ exquisite जवेल्लरी और सुन्दर आकारों में तराशे गए महंगे स्टोन्स , या फिर इसकी pottery , पोर्सलेन्स , हर तरह के उत्तम रंगीन और मनमोहक आकार के ceramics ; या फिर मेटल के महीन काम - आयरन स्टील सिल्वर और गोल्ड हों।इस देश के पास महान आर्किटेक्चर था जो सुंदरता में किसी भी देश की तुलना में उत्तम था ।इसके पास इंजीनियरिंग का महान काम था। इसके पास महान व्यापारी और बिजनेसमैन थे । बड़े बड़े बैंकर और फिनांसर थे। ये सिर्फ महानतम शिप बनाने वाला राष्ट्र मात्र नहीं था बल्कि दुनिया में सभ्य समझे जाने वाले सारे राष्ट्रों से व्यवसाय और व्यापार करता था । ऐसा भारत देश मिला था ब्रिटिशर्स को जब उन्होंने भारत की धरती पर कदम रखा था ।"
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From : The Case For India by Will Durant , 1930 ( अंग्रेज़ों द्वरा प्रतिबंधित )
बाबा जी तो गुजर गए / और आज इतने महान हो गए कि हर चौराहे पर बगल के एक इंपोर्टेड विचारों की पुस्तक टेंट मे दबाये सबकी आँख मे उंगली पेलने को उद्धत दिखाई देते हैं मूर्ति रूप मे / नहीं तो उनही से पूंछता / खैर अब जब वो नहीं रहे तो क्या - बाबा जी के चेले क्या ये बताने का कष्ट करेंगे कि यदि अगर वेदिक काल से एक बहुत बड़ा तबका अछूत और गुलाम था, तो इन बहुमूल्य उत्पादो का उत्पादन कर्ता कौन था ?
ब्रामहन यदि शिक्षा और पूजा अर्चना के माध्यम से लोगों को लूटने और इन अछूतों और गुलामों के खिलाफ खडयंत्र करने मे व्यस्त था /
क्षत्रिय विलासी राज करने मे और ब्रांहनों की शजिश को अंजाम देने मे व्यस्त था /
वैश्य यदि इन अछूत और गुलाम लोगों की सूदखोरी मे व्यस्त था ? ये अछूत और गुलाम करते क्या थे सूद के पैसों का ? कच्ची शराब पीते थे ?
तो व्यापार कौन करता था ? और किस चीज का व्यापार करता था ?
और इन विश्व मे अनुपलब्ध , और भारत मे प्रचुर मात्रा मे उपलब्ध इन उत्पादो का उत्पादक कौन था?
जिसकी लालच मे तुर्क मुग़ल कसाई और यूरोप के ईसाई अपने रेगिस्तान और बर्फीले शान्तिप्रिय और आरामदेह देशों से भागते हुये भारत की ओर चले आए ?
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