Saturday, 18 October 2014

"घूरे के संस्कृति " Vs "मोदी का भारत स्वच्छता अभियान "

"घूरे के संस्कृति " Vs "मोदी का भारत स्वच्छता अभियान "
दीपावली को महिमामंडित करने की जिम्मेदारी तो बहुतों की है ,लेकिन  मेरी कोशिश "घूरे" की विशिष्टता और उसकी अहमियत पर आपकी नजरे इनायत करवाना है / अवधी में में एक कहावत है - घूरव का दिन फिरा थै" / अब वो  दिन कौन सा है ,जब ग्राम्यजीवन के जानवरो और मनुष्यों के उच्छिष्ट को अपने अंदर समाहित कर, और उसको नयी ऊर्जा से संचारित करने वाले  घूरव का दिन वापस आता है , ये तो हमें नहीं मालूम, लेकिन दिवाली वो अवसर है ,,जब दीपमाला का एक "दिया" और प्रथम दिया ,उस घूरे को ही  मिलता है /
          शहरी लोग 'घूर " का मतलब नहीं जानते होंगे , लेकिन घूर ग्रामीण जीवन का अभिन्न अंग है / गांव में हर घर और परिवार का अलग घूर होता है / गावं के लोग अपनी निवास स्थान के आस - पास एक जगह गड्ढा खोदते हैं, जिसमे जानवरो का मलमूत्र और घर, आँगन, रसोई और दुवार (द्वार) का सारा कूड़ा, चूल्हे की राख,  मिटटी, और पेड़ों की पत्तियाँ इकठ्ठा करके उसमे डालते जाते हैं/ साल - ६ महीना में उस घूरे में ये उच्छिस्ट एक खाद (कम्पोस्ट) में परिवर्तित हो जाता है ,,जिसको आजकल जैविक उर्वरक के नाम से जाना जाता है /
मोदी जी का आजकल जैविक उर्वरक का व्यख्यान करते हुए आपसब लोगों ने सुना होगा / इस उर्वरक को खेतों में फसल लगाने के पहले डालने से फसल की पैदावार बढ़ जाती है /
  दिवाली में जब दिया जलाया जाता है , तो पहला दिया उस घूरे पर , दूसरा दिया कुएं पर , और तीसरा दिया खेतों में जलाया जाता है , और उनकी पूजा की जाती है / ये घूरे की संस्कृति प्रकृति की पूजा के साथ साथ , आजकल waste recycle के नाम से जानी जाने वाली नवीन विज्ञानं, पुराने सनातनी संस्कृति का नया अवतार भर  है / इसी को मोदी जी स्वच्छता अभियान के नाम से शहरों में चलाना चाहते हैं /
 इसे मै " घूर संस्कृति " के जीर्णोद्धार के नाम से परिभाषित करने की आज्ञा चाहूँगा /
साथ में एक स्लोगन -"गवांर माने मूर्ख नहीं , गावं के निवासी ", जो शायद waste  रीसायकल , renewable एनर्जी , sustanable डेवलपमेंट को हमसे ज्यादा अच्छी तरह जानते हैं , और प्रकृति से उतना ही लेते हैं , जिससे उनका भरण पोषण हो सके , और आने वाली पीढ़ियों के लिए जीवन जीने के साधन बचे रहें /
"दिवाली की शुभ कामनाये "

  

2 comments:

  1. बहुत शानदार ! चीजों को देखने का आपका नज़रिया स्पष्ट है।
    "घूर संस्कृति" पर स्वमन्थन कराने के लिए धन्यवाद।

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