Monday, 20 October 2014

"शूद्र कौन थे"- डॉ आंबेडकर , तथ्य या मिथ...?? Part-9 आर्यन मिथ का खुलासा

यूरोपीय देशों के भारत पर आधिपत्य जमाने के दौरान गीता और कालिदास द्वारा रचित शकुंतला जैसे ग्रंथों का यूरोपीय भाषाओँ में जब अनुवाद हुवा , और वहां के विद्वानों ने उनको पढ़ा , तो एक नयी ज्योति उनको देखने को मिली ।प्रकृति को समझने की दिशा में, बाइबिल में जिन प्रश्नों के उत्तर उनको नहीं मिल रहे थे, उसके उत्तर खोजने के लिए वहां जिस नई चेतना का जन्म हो रहा था , उनके उत्तर इन ग्रंथों ने दिए।
इसके पहले, आप सब इस तथ्य से विज्ञ हैं कि 1600 AD के आस पास ब्रूनो नामक वैज्ञानिक को चर्च ने 7 साल के कारावास के बाद , आग में जलाकर मार डालने की सजा दी थी, सिर्फ इस बात के लिए ,कि ब्रूनो ने कहा कि सूर्य स्थिर है और पृथ्वी उसका चक्कर लगाती है इसको heliocentric theory के नाम से जाना जाता रहा है। (भारतीय वैज्ञानिकों ने अपने ग्रंथो में न जाने कितने साल पहले इसका वर्णन किया हुवा है)।
खैर बाद में ब्रूनो को "विज्ञानं के शहीद " की उपाधि दी गयी।
इसीतरह Galileo को भी इसी वैज्ञानिक तथ्य को आगे बढाने के कारण आजीवन गृह कैद दिया गया।
अब मजे की बात 2000 AD जब ब्रनो का 400 साल की वर्षी मनाई गयी, और यूरोप के शीर्ष चर्च के पादरी से पूंछा गया कि क्या चर्च ब्रूनो की हत्या को पश्चाताप करना चाहता है , तो उसने कहा कि -एकदम नहीं , ब्रूनो को अपने बचाव में अपनी बात कहने का पूरा मौका दिया गया।
अंत में बाइबिल ये मानती है कि धरती स्थिर है, और सूर्य चलायमान है।

 अब आते हैं बाइबिल के कुछ और तथ्यों पर जिनको आधार बनाकर भारत के ग्रन्थों का बाइबिल के पात्रों से जोड़ने के प्रयासों पर।
बाइबिल में Genesis चैप्टर में cosmology के अनुसार जब महान बाढ़ (deluge) आई तो गॉड ने Noah से (इस्लाम में नूह) से कहा कि तुम दुनिया के
जितने जीव है उनका एक जोड़ा ले लो और एक नाव बनाओ (ark ऑफ़ Noah) और इस नाव में सबको सुरक्षित रख कर चले जाओ , जिससे इस प्रलय के बाद दुनिया फिर से आबाद हो सके।
Noah ने वही किया और दुनिया के सारे जीव दुबारा आबाद हुए।
Noah के तीन पुत्र थे -Jepheth Shem और Ham।
प्रलय ख़त्म होने के बाद गॉड ने फिर Noah से कहा कि कुछ खेती बाड़ी करो।
उन्होंने अंगूर की खेती की और उससे शराब बनाई। और शराब पीकर किसी दिन लापरवाही में निर्वस्त्र हो गए,तो Ham ने उनकी दशा के बारे में बाकी दोनों भाइयों को बताया ,और साथ में उसको हंसी आ गयी।
इस पर Noah ने Ham को curse किया कि तुम्हारे इस अपराध के लिए तुम और तुमसे उत्पन्न संतानो की संताने,तुम्हारे दोनों भाइयों के वंशजों के गुलाम होंगे ,- (Perpetual servitude )
अब इसका जिक्र क्यों ??
क्योंकि बाइबिल के अनुसार पूरी दुनिया Noah के इन्ही तीन पुत्रों की वंशजों से ही बसने वाली है।
"God blessed Noah and his sons , and blessed unto them,be fruitful and multiply, and replenish the earth "9.1Genesis.
क्योंकि आने वाले वर्षों में जब यूरोपियन क्रिस्चियन पूरी दुनिया पर कब्ज़ा करने वाले थे, गुलाम बनाये हुए देशो को Ham के वंशजों की संताने मानकर उनकी गुलामी को Bible फलसफा के अनुसार उचित ठहराने वाले है।
बाद में उन्होंने भारत और अफ्रीका के लोगों को Hamitic
अरबी लोगों को Semetic
बाकी white यूरोपियन Jepheth के वंशज।
ये मत्वपूर्ण इसलिए भी है कि आगे जब हम सवर्ण और अवर्ण (असवर्ण) की बात करेंगे तो समझ में आएगा की ,वर्ण का मतलब चमड़ी के रंग से है , जिन्होंने इस सबंध की व्याख्या की उसका सम्बन्ध संस्कृत ग्रंथो से नहीं बल्कि उसकी जड़ें बाइबिल में छुपी है।

 विल्लियम जोंस ने जब १८वॆ शताब्दी के अंत में संस्कृत की तुलना लैटिन और ग्रीक से किया और उसको उन भाषाओँ से उन्नत घोषित किया, और फिर बाद में ये प्रचारित किया कि -"संस्कृत सारी भाषाओँ कि जननी है ,,,जिसको आज भी बहुतायत भारतीय जनमानस गर्व के साथ स्वीकार करता है, तो वे उस साजिश को नहीं समझ पाते कि इस घोषणा के पीछे एक ईसाईयत मानसिकता काम कर रही थी /
क्या है वो ईसाईयत मानसिकता ??
बाइबिल में दुनिया की विभिन्न भाषाओँ के उत्पत्ति के बारे में GENESIS में जिक्र है, जिसमे लिखा है की बाढ़ या महाप्रलय के बाद जब संगठित ह्यूमैनिटी जब पूर्व से निकलकर आगे बढ़ी , तो गॉड ने उनसे कहा कि एक विशाल टावर बनाओ जिसकी ऊंचाई स्वर्ग तक हो/ लोगों ने जब उस टावर को बनाया इसको बाइबिल में टावर ऑफ़ बेबल (स्वर्ग का द्वार) कहा गया है ,तो गॉड फिर आये और उन्होंने कहा कि तुम लोग एक ही भाषा बोलते हो , लेकिन जब पहले जब गॉड ने बोल दिया कि जेफेथ सैम और हम कि संतानों को पूरी दुनिया में बसना है ,तो वो उन जगहों कि अलग भाषा को समझेगे कैसे ,,इसलिए गॉड ने विभिन्न भाषाएँ बनाई /
अब बाइबिल के इस तथ्य को सच साबित करने के लिए संस्कृत एकदम उचित भाषा थी ,जिसको दुनिया कि समस्त भाषाओँ कि जननी बताना आवश्यक था/ और यही बात जोंस ने अपने निष्कर्षों में घोषित किया /
अब एक बात ये थी कि ये टावर बेबीलोन के आसपास या ईरान के आसपास बनाया गया था , इसलिए संस्कृत को इंडोईरानियन ,और संस्कृत बोलने वाले आर्यों को इंडोईरानियन रेस घोषित किया जाना लाजिमी था /

  अब संस्कृत भाषा को बोलने वाले लोगो (आर्यों) को इंडो ईरानियन घोषित करने के बाद और आगे की यात्रा - कैसे हुई ??
संस्कृत को इंडोयूरोपियन और इंडोजर्मन भाषा घोषित किये जाने , और संस्कृत भाषा को बोलने वाले लोगो (आर्यों) को इंडोयूरोपियन और इंडोजर्मन नस्ल / रेस घोषित होने के पूर्व अब यूरोप और जेर्मनियों की रूचि ,,इस भाषा और इसको बोलने वाले लोगों (आर्यों) में क्यों बनी इस पर कुछ चर्चा /

 यूरोप और क्रिश्चियनिटी का पिछले 500 - 1000 सालों की यात्रा खूँरेजी की कहानी है / इतनी लड़ाइयां हुयी कि उनका अंदाजा लगाना मुश्किल है / कितने लोग मारे गए ,इसको बताना मुश्किल है / फ्रांस और जर्मनी नेपोलियन के अंतिम लड़ाई तक ,,न जाने कितनी लड़ाइयां लड़े / 
1500 ई के बाद जब यूरोपीय देशों ने पूरी दुनिया में पहुंचकर अपनी कॉलोनियां बसाई ,,तो इंग्लॅण्ड के पास 18 वीं शताब्दी तक भारत के साथ और न जाने कितने देश उसके कब्जे में थे / फ्रांसीसी हालांकि भारत में पैर न जमा सके ,, लेकिन अमेरिका में उसकी काफी तगड़ी पकड़ थी / नेपोलियन से पराजित जर्मनों के पास देश में बहुत निराशा और हताशा थी ,, और उनकी रूचि कॉलोनी स्थापित करने में भी नहीं थी / दूसरे फ्रांस के पास महान रोमन संस्कृति के उत्तराधिकारी होने कि धरोहर थी , इसलिए उसका मनोबल काफी ऊँचा था / तीसरे यूरोपीय और खास तौर से फ़्रांसिसी , जर्मनियों को बर्बर राष्ट्र कहते थे , जिन्होंने रोमन सभ्यता को नष्ट किया /
ऐसे उस निराशा के माहौल में जर्मन राष्ट्रवादियों को कुछ ऐसा चाहिए था , जो उनके राष्ट्र्रीय अस्तित्व और स्वाभिमान को पुनर्षथापित कर सके / मैक्समूलर और उसके बाद जितने भी जर्मन राष्ट्रवादी थे , जब उनको ये मौका मिला कि आर्य एक नोबल रेस थी, जो कहीं बाहर से आयी थी , तो उन्होंने हांथो हान्थ इस मौके को लपक लिया / जिससे जर्मनी ने एक नवीन राष्ट्रवाद का उदय Indo German भाषा संस्कृत , और संस्कृत बोलने वाले लोगों (आर्यों) पर अपनी दावेदारी ठोंक दी / ये काम उन्होंने कैसे किया ? ये बाद में /

No comments:

Post a Comment