Tribhuwan Singh
दूसरी बात जो अम्बेडकरवादी ब्राम्हणत्व को प्राप्त कर चुके वे 3 पीढ़ियों से लगातार लाभ लेते जा रहें हैं। क्या वे अपनी ही विरादरी के निम्नतम पायदान पर बैठे दलित के लिए वो जगह देने के लिए तैयार हैं ?? क्योंकि मैंने तो देखा है 3 पीढ़ियों से एक ही व्यक्ति के वंशजों को आरक्षण का लाभ लेते हुए।
क्या ब्राम्हण के एक मूल चरित्र अपरिग्रह का अर्थ ये दलित ब्राम्हण समझेंगे।
क्या अधिकार की बात करने वाले कर्तव्यों की भी बात करेंगे??
Reverednd M A Shering wrote a book in 1872 known as "Hindu Tribes and caste" which is encyclopedic in coverage ,starting from Bramhans then moving towards Kshatriyas and then down the Varna scale .But unlike earlier colonial works that relied on textually derrived Varna categories as a general categories about Indian Society .Sherring used these categories as frame for his attempt to marry textual and his empirical knowledge " ---from Castes of Mind by Nicholas B dirk
Reverednd M A Shering को आंबेडकर जी ने अपनी पुस्तक में काफी क्वोट किया है ,,और यही दलितों की बाइबिल है / शेररिंग कोई सामाजिक शास्त्री नहीं थे बल्कि पादरी थे , जाति समूह और संरचना भारतीय समाज की एक ऐसी व्यवस्था थी , जिससे ईसाइयत में धर्म परिवर्तन में सबसे बड़ी बाधा थी . यही बात मॅक्समुल्लर ने भी कही है / अब देखें क्या लिखता है वो --तो आपको लगेगा की किसी दलित चिंतक के मुहं से निकले हुए वाक्य हैं /अगले पोस्ट को पढ़ें /
he was frustrated by impossibility of mass conversion , so he used invention of caste distinction and divide and rule . He made following observations (which are argument of dalitchintaks till date);
(1) Caste was not there when Aryans entered in India (This theory havebeen proven wrong since more than one decade scientifically, though marxist and dalit chintaks dont agree)
(2) caste was invention of "wily Bramhans" , who were thirsting for rule and superior gifts
(3) It is the "wily Bramhans" who are at fault .The Bramhan is not only wily , he is "arrogant and proud","selfish", "Tyrannical", "intractable",and "ambitious".
(4) The rise of caste after the Vedic period was most certainly the result of a Bramhan Conspiracy .--"Caste therefore owes its origin to the Bramhan.It is his invention.
He then illustrates further -Although the Caste didnt exist at the beginning of Aryans life in India , The Bramhan was able to engineer it in the "childhood of the Hindus".
इन तर्कों से कोई इतर तर्क क्या आपको दलित चिन्तक दे पाते हैं ?? अगर देते हैं तो साझा करे।
एक और चीज धयान में रखने योग्य बात है की ब्राम्हण ने भारतवर्ष के इतिहास में समाज के नियम बनाये, और खुद भी उनका पालन किया / पिछले १२०० वर्षों में अगर कोई वर्ग शाशकों के निशाने पर था तो क्षत्रिय और ब्राम्हण / तुर्कों / मुग़लों के हाथ कितने ब्राम्हणों ने जान दिया, इसका अभी तक आकलन नहीं हो पाया/ हजारों साल के पुराने टेक्स्ट को आज के सन्दर्भ में संदर्भित करना कहाँ तक उचित है ?
कितने ब्राम्हणों ने धर्म परिवर्तन से और हत्या से बचने हेतु जंगलों की शरण ली ,,इसका तो पता ही नहीं है /
कुछ और तथ्य जाति के इतिहास और समाज में उसकी वर्तमान स्थिति पर जाने के पूर्व इस प्रश्न पर मैं सारे मित्रों की रे जानना चाहूँगा की क्या ब्राम्हणों ने दलितों को शिक्षा से वंचित किया ?? यदि किया तो कब से कब तक ?? क्या आदि काल से ??
दूसरी बात जो अम्बेडकरवादी ब्राम्हणत्व को प्राप्त कर चुके वे 3 पीढ़ियों से लगातार लाभ लेते जा रहें हैं। क्या वे अपनी ही विरादरी के निम्नतम पायदान पर बैठे दलित के लिए वो जगह देने के लिए तैयार हैं ?? क्योंकि मैंने तो देखा है 3 पीढ़ियों से एक ही व्यक्ति के वंशजों को आरक्षण का लाभ लेते हुए।
क्या ब्राम्हण के एक मूल चरित्र अपरिग्रह का अर्थ ये दलित ब्राम्हण समझेंगे।
क्या अधिकार की बात करने वाले कर्तव्यों की भी बात करेंगे??
Reverednd M A Shering wrote a book in 1872 known as "Hindu Tribes and caste" which is encyclopedic in coverage ,starting from Bramhans then moving towards Kshatriyas and then down the Varna scale .But unlike earlier colonial works that relied on textually derrived Varna categories as a general categories about Indian Society .Sherring used these categories as frame for his attempt to marry textual and his empirical knowledge " ---from Castes of Mind by Nicholas B dirk
Reverednd M A Shering को आंबेडकर जी ने अपनी पुस्तक में काफी क्वोट किया है ,,और यही दलितों की बाइबिल है / शेररिंग कोई सामाजिक शास्त्री नहीं थे बल्कि पादरी थे , जाति समूह और संरचना भारतीय समाज की एक ऐसी व्यवस्था थी , जिससे ईसाइयत में धर्म परिवर्तन में सबसे बड़ी बाधा थी . यही बात मॅक्समुल्लर ने भी कही है / अब देखें क्या लिखता है वो --तो आपको लगेगा की किसी दलित चिंतक के मुहं से निकले हुए वाक्य हैं /अगले पोस्ट को पढ़ें /
he was frustrated by impossibility of mass conversion , so he used invention of caste distinction and divide and rule . He made following observations (which are argument of dalitchintaks till date);
(1) Caste was not there when Aryans entered in India (This theory havebeen proven wrong since more than one decade scientifically, though marxist and dalit chintaks dont agree)
(2) caste was invention of "wily Bramhans" , who were thirsting for rule and superior gifts
(3) It is the "wily Bramhans" who are at fault .The Bramhan is not only wily , he is "arrogant and proud","selfish", "Tyrannical", "intractable",and "ambitious".
(4) The rise of caste after the Vedic period was most certainly the result of a Bramhan Conspiracy .--"Caste therefore owes its origin to the Bramhan.It is his invention.
He then illustrates further -Although the Caste didnt exist at the beginning of Aryans life in India , The Bramhan was able to engineer it in the "childhood of the Hindus".
इन तर्कों से कोई इतर तर्क क्या आपको दलित चिन्तक दे पाते हैं ?? अगर देते हैं तो साझा करे।
एक और चीज धयान में रखने योग्य बात है की ब्राम्हण ने भारतवर्ष के इतिहास में समाज के नियम बनाये, और खुद भी उनका पालन किया / पिछले १२०० वर्षों में अगर कोई वर्ग शाशकों के निशाने पर था तो क्षत्रिय और ब्राम्हण / तुर्कों / मुग़लों के हाथ कितने ब्राम्हणों ने जान दिया, इसका अभी तक आकलन नहीं हो पाया/ हजारों साल के पुराने टेक्स्ट को आज के सन्दर्भ में संदर्भित करना कहाँ तक उचित है ?
कितने ब्राम्हणों ने धर्म परिवर्तन से और हत्या से बचने हेतु जंगलों की शरण ली ,,इसका तो पता ही नहीं है /
कुछ और तथ्य जाति के इतिहास और समाज में उसकी वर्तमान स्थिति पर जाने के पूर्व इस प्रश्न पर मैं सारे मित्रों की रे जानना चाहूँगा की क्या ब्राम्हणों ने दलितों को शिक्षा से वंचित किया ?? यदि किया तो कब से कब तक ?? क्या आदि काल से ??
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