Monday 20 October 2014

"शूद्र कौन थे"- डॉ आंबेडकर , तथ्य या मिथ..? Part-10 आर्यन मिथ का खुलासा

भारत के जीतने ऐतिहासिक ग्रंथ है जैसे कि महाभारत और रामायण - उनको ईसाई विशेषज्ञों ने कहा कि ये माइथोलोजी है / यानि मिथक / किसी हिन्दी के पीएचडी से पूंछों कि मिथक शब्द की उत्पत्ति हिन्दी से हुयी है कि अङ्ग्रेज़ी से ? तो 99% विद्वान बताएँगे कि ये हिन्दी का शब्द है / अनुवाद की समस्या किस तरह हमारे खून मे जहर बन कर बह रहा है, इससे ज्यादा अच्छा उदाहरण आपको देखने को नहीं मिलेगा /

तो चलिए पहले यही क्लियर किया जाय की मिथ क्या है ?? और माइथोलॉजी क्या है।
    विलियम जोंस ने जब सन्स्कृत की तुलना ग्रीक और लैटिन से की और संस्कृत को उनसे श्रेष्ठ बताया और एक नयी बहस को जन्म दिया कि संस्कृत बोलने वाले इंडो- ईरानियन उत्पत्ति के हैं /
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       Christian  Theologians  ने पूरी मानवता को बाइबिल के अनुसार बाइबिल में वर्णित बेबल के टावर से के अनुसार पूरी दुनिया के लोगों को को Noah के तीनों पुत्रो Jepheth Sam और Ham के वंशजों के हिसाब से विभाजित किया तो भारत को Ham के वंशजों में वर्गीकृत किया। इसी तरह अफ्रीका के काले लोगों को भी Ham के वंशजों में वर्गीकृत किया।
   बाइबिल के अनुसार प्रलय (बाढ़) के अनुसार पूरी दुनिया noah के तीनों पुत्रो के वंशजों से बसनी है ।इसलिए पूरी दुनिया के निवासियों को ऊपर वर्णित कुनबों में बांटा गया। आप गूगल करिए Semites ha-mites तो ज्यादा स्पस्ट हो जाएगा। Noah ने अपने पुत्र Ham के वंशजों यानि Hamites को अपने बाकी दो पुत्रो के वंशजों की perpetual slavery में रहने का श्राप दिया था। अब जब यूरोपियन ने पूरी दुनिया में कॉलोनियां बनाई,  तो उनको अनजानी रीति रिवाज संस्कृति और साहित्य  का पता चला। यूरोप में ये गहरे बहस का विषय था कि इन लोगों को बाइबिल के अनुसार किस कुनबे में ड़ाला जाय। काले रंग के लोंगो को hamites में गणना किया गया।
--जब यूरोपियन लोगों ने पूरी दुनिया में अपना उपनिवेश बनाया और वहां के मूल निवासियों से उनका साबका पड़ा जिनकी रीति रिवाज साहित्य और धार्मिक पुस्तकें बाइबिल से भिन्न थीं / प्रसिद्द विद्वान रुडयार्ड किप्प्लिंग के अनुसार अंग्रेजों का भारतीयों पर शासन करना एक ईश्वरीय आदेश और white men burden था / और इसलिए मूलनिवासियों के लिए नियम कानून बनाना और उनके रीति रिवाजों और साहित्य को भी परिभाषित करना भी उनका धर्म था /" मूल निवासियों के उन साहित्य और धर्मग्रंथों को जो बाइबिल के फ्रेमवर्क में फिट नहीं बैठते थे ,खास तौर पर वो साहित्य जो 4000 वर्ष ( 2000 BC ) , यानि मूसा के पूर्व के थे ,उनको "मिथ" कहा और उसमे वर्णित इतिहास कथाओं को "माइथोलॉजी" कहा / इसी लिए महाभारत और रामायण जैसी ऐतिहासिक कथाओ को माइथोलॉजी की संज्ञा दी गयी /
 साथ में मूलनिवासियों  के इन ऐतिहासिक ग्रंथों और साहित्यो  के आधार पर प्रचलित हजारों सालों के रीति रिवाज और तिथि त्योहारों को -"अन्धविश्वास" की संज्ञा से नवाजा गया / ।

   चूंकि बाइबिल में ha-mites श्रापित थे तो उन काले मूलनिवासियों को बर्बर असभ्य अनैतिक दुष्ट और स्लेवरी को deserve करने लायक, जैसी उपाधियों से लादा गया।
यही से अवर्ण (discolored) की शुरुवात हुई।
white लोग सवर्ण और काले अवर्ण या असवर्ण

इसीलिये ईसाई संस्कृतज्ञों ने वर्ण को मतलब चमड़ी के रंग से जोड़ा ।
यहाँ तक की प्रोटोस्टेंट आन्दोलन के जनक मार्टिन लूथेर ने कहा कि hamites के अन्दर शैतानी गुण और घृणा भरी होती है।

    रंगभेद इसाइयत के शुरुवात से ही है।चर्च के शुरुवाती फाउंडर अलेक्सांद्रिया के Priest Origen(185-254CE) ने Egyptians की गुलामी का कारण ही उनका discolor /Black होना है क्योंकि वे दुस्ट Ham के वंशज हैं ।
   यानि सवर्ण और असवर्ण भी मॉडर्न फलसफा है और भारत को इसाई फलसफा की गिफ्ट है/
   इसीलिए महाभारत और रामायण एक मिथक हैं/
   रंग के आधार पर अफ्रीका का इतिहास सब जानते हैं। लेकिन शायद ये न पता हो की इसके मूल में बाइबिल के निहित मूलमंत्र हैं।
 वापस आते हैं आर्यन (जिन लोगों की भाषा संस्कृत है ) invasion मिथ पर / जब विलियम जॉन ने संस्कृत भाषा को यूरोपियन भाषाओँ की जननी स्थापित कर लिया तो उनके, बाद के यूरोपीय विद्वानो ने ये सिद्ध करना शुरू किया भारत/इंडो ईरानियन ही समस्त   मानवजगत के जनक हैं / जिनको आर्यन रेस के नाम से जाना जाता है /
इनके दो समूह पूर्व से पश्चिम की तरफ माइग्रेट किये तो जो लोग जर्मनी पहुंचे ,उन्होंने संस्कृत संस्कृति को , जो कि एक डायनामिक उत्तम और प्रकृति के रहस्यों को ज्यादा बढ़िया तरीके से एक्सप्लेन करती है , उसकी शुद्धता जर्मन निवासियों ने   शुरुवात से अक्षुण रखा वो विशुद्ध जर्मन आर्यन रेस है /
आर्यों (संस्कृत बोलने वाले ) का दूसरा मानव समूह जो पश्चिमी विश्व कि तरफ गए वे  ग्रीक और रोमन कल्चर के जन्मदाता हैं , लेकिन वे संस्कृत कि शुद्धता बरक़रार न रख पाये, वे आर्य होते हुए भी जर्मन आर्यों से इन्फीरियर रेस हैं , इसलिए फ्रांस जो ग्रीक और रोमन कल्चर का वाहक है ,और इसीलिये उसको पुनर्जागरण की जरूरत है /
लेकिन एक बात जो दोनों में कॉमन है वो है --monogod के उपासक हैं यानि क्रिस्चियन हैं , क्योंकि आर्य मूलतः एकब्रम्ह के उपासक थे /
एक तीसरा आर्यों का मानव समूह जो पूर्व यानि भारत और फिर दक्षिणी भारत कि और माइग्रेट किया, वो Degenerate  हो गया क्योंकि वे मूर्तिपूजक और बहुदेव वाद के उपासक हो गए /
अब आगे इसी में ये कहानी गढ़ी जायेगी कि जो भारतीय आर्य थे, उन्होंने भारत के मूल निवासी "द्रविड़ों" को दक्षिण कि और खदेड़ दिया / लेकिन उसके बारे में बाद में /


 नोट -  दुनियां के वे धर्म जो धर्म परिवर्तन में यकीन रखते हैं, उनके राजनीती के साथ साथ धर्म परिवर्तन का एजेंडा साथ साथ जुड़ा होता है / भारतीय इतिहास के सन्दर्भ में हिन्दुओं को पृथ्वीराज के साम्राज्य के पतन के बाद, शिवाजी पहले वे व्यक्ति थे जिनको, इस्लामिक आक्रान्ताओं कि नीति समझ में आयी / दूसरी बात हिन्दुओं ने कभी दूसरे धर्मों कि धर्मपुस्तकों को कभी पढ़ा नहीं , इसलिए उनके राजनैतिक और धार्मिक फलसफा को समझ न पाये / ब्राम्हणवाद को किस तरह भारत में demonize किया गया उसकी कहानी आगे आएगी /
 आगे  देखिये-  जर्मनी आर्यन मिथ को कैसे देश में ,,देश की अस्मिता को , देश के स्वाभिमान को जागृत करने के लिए करता है , जिससे वो barbaric जर्मनस कि उपाधि से और अंधकूप से देश को बाहर निकालता है , लेकिन उसके पहले अंग्रेजों को क्या लाभ हुवा आर्यन मिथ को जन्म देकर ?

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