Saturday 2 January 2016

#‎बाबा_साहेब_के_ताबूत_में_अंतिम_कील‬ : भारत के के जीडीपी के निर्माताओं के वंशजों को कुंठा हीनता अपराधबोध और घृणा से भरने के ‪#‎अपराधी‬ हैं बाबा साहब /

#‎बाबा_साहेब_के_ताबूत_में_अंतिम_कील‬ : भारत के के जीडीपी के निर्माताओं के वंशजों को कुंठा हीनता अपराधबोध और घृणा से भरने के ‪#‎अपराधी‬ हैं बाबा साहब /
मित्रों 31जनवरी है ।जो किया पिछले साल भर में वो तो नीवं थी वर्तमान की। भविष्य की ईमारत इसी नीव पर खड़ा करना है ।
शास्त्रों मे लिखा है -
"ईर्ष्या घृणी त्वसंतुस्टह क्रोधिनों नित्यसंकितह/
परभागर्योपजीवी च खड्ते दुख्भागिनह /
अर्थात ईर्ष्या घृणा स्वयं से असंतुष्ट क्रोधी सदा शंका करने वाला दूसरों के ऊपर निर्भर होना , ये छ कारण दुख भोगने वाले का /
‪#‎दलित‬ शब्द का नाम लीजिये और ये 6 कारण आपकी आँखों के सामने तिरोहित होने लगते हैं /
बाबा साहब के बाबा ईस्ट इंडिया कंपनी के सिपाही थे / उनके पिता ब्रिटिश आर्मी मे JCO थे , उस जमाने मे जब गाव मे अंग्रेजों द्वारा नियुक्त चौकीदार और अमीन भ बड़ी हस्ती हुआ करता था / गूगल बाबा बताते हैं कि बाबा को प्राइमरी पाठशाला मे किसी ब्रामहन चपरासी ने पानी नहीं पिलाया / किस ब्रामहन ने ? ये नहीं बताता / गूगल बाबा ये भी नहीं बताता कि बाबा साहब 1942 से 1946 तक किसके साथ थे जब गांधी ने ‪#‎अंग्रेजों_भारत‬ _छोड़ो का नारा लगाया था / गूगल बाबा ये भी नाही बताते कि उनके ऊपर महान ‪#‎कम्यूनिस्ट‬ नेता M N Roy के साथ मिलकर 1942 से 1946 तक सरकारी धन के ‪#‎गबन‬ का आरोप लगा था / गूगल बाबा ये भी नहीं बताते कि अमेरिका मे बाबा किसके द्वारा दान किए गए पैसे पर अदध्ययन करने गए थे ? Sunil Saxena

खैर छोड़े उस बात को /
आइये इतिहास को थोड़ा फिर से खंगालते हैं / नए शोध से पता चला है कि 0 AD से 1750 तक विश्व की 25% जीडीपी का निर्माता था और 1750 मे ब्रिटेन और अम्रीका दोनों मिलकर मात्र 2% जीडीपी के निर्माता थे / 1900 आते आते लूट और भारतीय ग्रामीण उद्योग को नष्ट करने के कारण भारत मात्र 3% जीडीपी का हिस्सेदार बचा / Will Durant अपनी पुस्तक मे लिखते है कि मनुष्य के मस्तिस्क और कारकुशीलव हस्तकला के द्वारा निर्मित विश्व मे वर्णित ऐसी कोई भी वस्तु , जिसकी बहुमूल्यता उसकी उपयोगिता के कारण हो या फिर उसकी सुंदरता के कारण , उन सब का निर्माण भारत मे होता था , जब समुद्री लुटेरे भारत की धरती पर कदम रखे थे /
http://tribhuvanuvach.blogspot.in/…/will-durant-case-for-in…
अब प्रश्न ये है कि इस जीडीपी का निर्माता कौन था ?
और इस जीडीपी के नष्ट होने के कारण उन निर्माताओं के वनसाजों का क्या हाल हुआ ?
ये प्रश्न क्या अस्वाभाविक है ? इस पर रिसर्च नहीं होना चाहिए ?
उनका हाल ये हुआ कि पॉल बाइरोच के अदध्ययन के अनुसार इन उत्पादों पर आधारित 87.5% बेरोजगार और बेघर हो गए / अमिय कुमार बघची ने हैमिल्टन बूचनन के हवाले से बताया है कि बिहार के मात्र 2 जिलों पूर्णिया और भागलपुर मे 1809 से 1813 के बीच 6.5 लाख लोग बेरोजगार हो गए / इसकी पुष्टि कार्ल मार्क्स का 1853 का लेख भी करता है कि 1815 से 1835 के बीच ढाका मे मलमल और सिल्क निर्माताओं की संख्या डेढ़ लाख से घटकर मात्र 20 हजार बचती है /
कहाँ गए ये लोग जीवन यापन के लिए ? ज़्यादातर गांवों मे कृषि मे मजदूर बन गए / कुछ मिलों मे नौकरी करने लगे / और विल दुरान्त के अनुसार जो लोग सौभाग्यशाली थे और जिनकी जमीन अंग्रेजों ने लगान न देने के कारण जब्त कर लिया था, और जो मिल और खदानों मे काम न पा सके तो शहरों मे ‪#‎गोरों_का_मैला‬ उठाने लगे क्योंकि जब नौकर इतने सस्ते हों तो शौचालय बनाने की झंझट कौन पाले /
विल दुरान्त और सखाराम देउसकर के अनुसार 1875 से 1900 के बीच 22 करोड़ भारतीयों मे से
2 करोड़ लोग प्राण त्याग दिये क्योंकि बेरोजगार हुये लोगों के वंशजों के पास अन्न खरीदने का पैसा नाही था /
1901 मे HH RIsley ने नाक की चौड़ाई के आधार पर ‪#‎आर्य_बाहर_से_आए‬ नामक फर्जी कथा को प्रमाणित करते हुये जो जनगणना की उससे ऊंची और नीची Caste का आधार बना /
1928 मे सायमन कमिसन जब भारत आया तो मात्र 3 वर्ष पूर्व , राजनीति मे कदम रखने वाले महत्वाकांछी अंबेडकर को प्रशासनिक पराश्रय दिया जाता है जो 1932 मे एक रिपोर्ट तैयार करते है लोठियन कोमेटी को सौंपने के लिए जिसमे वे प्रमाणित करते हैं कि - " जो अछूत नहीं है उसको भी कल्पना के आधार पर अछूत मानना चाहिए /
Lothian Committee - Ambedkar.org
www.ambedkar.org/.../14E.%20Dr.%20Ambedkar%20with%20the%20S.
1935 के कानून मे oppressed Class Of India act आता है और 1936 मे 529 caste की एक लिस्ट बनती है जिसको Scheduled Caste कहा गया / बाद मे गांधी के हरिजन की गाड़ी छोडकर अंबेडकर की ‪#‎पुरुष_सूक्त‬ की सीधी पर चढ़ते हुये ‪#‎ईशा‬ के आशीर्वाद से, ‪#‎वा_क_ई‬ शजिश के शिकार होते हुये आज #दलित के नाम से जाने जाते हैं /
जय हो बाबा साहेब की /

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