Saturday, 2 January 2016

सनातन सच - एक अबोध बच्चे की जिज्ञासा - "पापा हमारे पास इतनी चॉइस क्यूँ है , जबकि बाकी लोग एक ही चीज से बंधे हुये हैं / "

एक अबोध बच्चे की जिज्ञासा - "पापा हमारे पास इतनी चॉइस क्यूँ है , जबकि बाकी लोग एक ही चीज से बंधे हुये हैं / "
मैंने पूंछा कि - मतलब ?
बच्चे ने बोला - कि मतलब हमारे पास अनेकों भगवान और ढेर सारी पुस्तके (धर्मग्रंथ) हैं जबकि बाकियों के पास एक ही भग्व्वन और एक ही किताब है /
उसका प्रश्न सनातन हिन्दू धर्म और ईसाई रेलीजन और इस्लाम मजहब के संदर्भ मे था , ये मुझे समझ मे आया /
मैं सोच मे पड गया कि इस प्रश्न का क्या जबाब दूँ ?
फिर मैंने कहा कि - बताओ प्रकृति क्या है ?
उसने कहा कि - मतलब ?
मैंने कहा कि जीवित रहने के लिए हमे आम भी चाहिए , आवला भी चाहिए , गोभी भी चाहिए और उसमे भी फूलगोभी और पत्तागोभी भी चाहिए /
मिरचा भी चाहिए जिसकी 700 प्रजातिया भारत मे हैं /
- कल को कोई बोले कि सिर्फ जीने के लिए सिर्फ आम का पेड़ लगाओ और उसकी पूजा करो / और जो ये नहीं करता उसको जीने का अधिकार नहीं है /
ये बात उसको समझ मे आ गई - कि नही पापा ऐसे कैसे जीवन चल सकता है ?
तो भैया " एक छोटे से बच्चे के मन को ये मथ रहा है कि हिन्दू धर्म और रेलीजन और मजहब मे फरक क्या है ?"
मैंने ठीक तरह से समझाया कि नहीं मुझे नही मालूम /
आप क्या समझाते ?
प्रकृति ही सबसे बड़ी विज्ञान है , ये समझ मे आएगा ?

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