Sunday, 10 January 2016

Riddle of modern Caste sysyem ; ‪#‎रिसलेस्मृति‬

Riddle of modern Caste system ; ‪#‎रिसलेस्मृति‬
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भारत में ब्रिटिश राज में जनगणना 1872 से शुरू हुई ।1872 और 1881 मे जनगणना वर्ण और धर्म के आधार पर हुई । 1885 का Gazetteer of India भी हिन्दू समाज को वर्ण के आधार पर ही classify करता है ।1891 में भी एबबस्तों भारत की जनगणना पेशे को मुख्य आधार बनाकर करता है ।

लेकिन 1901 में लार्ड रिसले कास्ट ( Caste एक लैटिन शब्द Castas से लिया गया है ) के आधार पर जनगणना करवाता है जिसमे 1738 कास्ट और 42 नश्ल को आधारहीन तरीके से anthropology को आधार बनाकर करता है । 19वीं शताब्दी मे यूरोप के ईसाई लगभग पूरी दुनिया पर कब्जा कर चुके थे और और स्वाभाविक तौर पर उनके मन मे श्रेष्ठता का भाव जाग्रत हो गया था / यहीं से एक नए विज्ञान का जन्म होता है जिसका नाम था Race Science , जिसमे चमड़ी के रंग और शरीर की संरचना के आधार पर दुनिया के विभिन्न देशों के लोगों को विभिन्न नशलों मे बांटने का काम किया /
अब ये तरीका क्या था ? उसको सुनिए और समझिये जरा । " उसने एक लॉ का ईजाद किया 6000 लोगों पर प्रयोग करके बंगाल में कि जिसकी नाक चौड़ी है उसकी सामाजिक हैसियत कम है नीची है और जिसकी नाक पतली या सुतवां है उसकी सामजिक हैसियत ऊँची है ।यही लार्ड ‪#‎Risley‬ का ‪#‎unfailing_law_of_caste‬ है।इसी को आधार बना कर उसने 1901 की जनगणना की जो लिस्ट बनाई वो अल्फाबेटिकल न बनाकर ; नाक की चौड़ाई के आधार पर वर्गों की सामाजिक हैसियत तय की हुई social Hiearchy के आधार पर बनाई / यही लिस्ट आज भारत के संविधान की थाती है / इसी unfailing law के अनुसार चौड़ी नाक वाले लोग लिस्ट में नीचे हैं ।ये नीची जाति के लोग माने जाते हैं ।और पतली नाक वाले लोग लिस्ट में ऊपर हैं वो ऊँची जाति वाले लोग माने जाते हैं।

इस न fail होने वाली कनून के निर्माता लार्ड रिसले ने 1901 में जो जनगणना की लिस्ट सोशल higharchy के आधार पर तैयार की वही आज के मॉडर्न भारत के समाज के Caste System को एक्सप्लेन करता है ।1921 की जनगणना में depreesed class (यानि दलित समाज ) जैसे शब्दों को इस census में जगह मिली ।लेकिन depressed class को परिभाषित नहीं किया गया / 1935 मे इसी लिस्ट की सबसे निचले पायदान पर टंकित जातियों को एक अलग वर्ग मे डाला गाय जिसको शेडुले कहते है / उसी से बना शेडुल कास्ट /
इस व्याख्यान को अगर आगे बढ़ाया जाय तो उसको आप कह सकते हैं कि ईस्ट इंडिया कंपनी के दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी ने जब 20वी शताब्दी के अंत मे एक ‪#‎अफवाह‬ उड़ाई कि ‪#‎आर्य‬ बाहर से आए थे / आर्य यानी ब्रामहन क्षत्रिय और वैश्य , और भारत का वो वर्ग जो 2000 वर्षों तक पूरे विश्व मे 25% जीडीपी का निर्माता यानि शूद्र कर्म करने वाला कंगाली और भुखमरी के कगार पर पहुँच गया था 1900 आते आते, वो यहाँ का मूलनिवासी था , द्रविड़ था /
विल दुरान्त और गणेश सखाराम देउसकर ने इस बात को प्रमाण के साथ लिखा है कि ‪#‎अंग्रेजों‬ ने भारत मे ‪#‎Genocide‬ किया , अकाल और भुखमरी को बढ़ावा देकर , जिसके फलस्वरूप 1875 से 1900 के बीच 22 करोड़ जनसंख्या मे से 2 करोड़ लोग ‪#‎भूंख‬ से मर जाते हैं / इसलिए नहीं मर जाते कि अन्न की कमी थी , बल्कि इसलिए मर जाते हैं कि उनके पास अन्न खरीदने का पैसा नहीं था /
अभी एक indologist ‪#‎Pradosh_Aich‬ ने सप्रमाण लिखा है कि प्रोफेसर मक्ष्मुल्लर क्लास 10थ पास थे / और उनको संस्कृत का स भी नहीं आता था / लेकिन भारत सरकार ने जर्मन दूतावास को ‪#‎मक्ष्मुल्लर‬ भवन का नाम दिया है , उदारता का असीम उदाहरण है ये / प्रदोश आइच कहते हैं कि - ‪#‎मक्ष्मुल्लर_एक_ठग‬ था Maxmuller was a swindler , (गूगल कर ले )
खैर सच तो ये है कि यही फर्जी AIT आज आपके ‪#‎संविधान‬ का अंग है / क्योंकि चार वर्णों मे से तीन वर्ण सामान्य श्रेणी मे हैं , जिनको वर्ण से निकालकर जाति बना दिया था अंग्रेज़ इसाइयों ने / बाकी एक वर्ण असामान्य है जिसको ST और OBC के नाम पर शायद आज 4000 से ऊपर जातियों मे विभक्त कर रखा है संसद ने /
हाँ एक जाति और है ‪#‎विमुक्ति_जाति‬ / ये किस वर्ग मे है ये नहीं पता - सामान्य कि आसमान्य ? लेकिन ये वो लोग हैं जिनकी जनसंख्या आज करीब 6 करोड़ है जिनको अंग्रेजों ने ‪#‎पैदायशी_अपराधी‬ घोसित करके Criminal Tribes Act बनाया था / क्यों ? इसलिए कि ये अंग्रेजों से इनकी रोजी रोटी वाणिज्य व्यापार और जंगल काटने का खुला विरोध करते थे / मात्र महाराष्ट्र मे इनकी 126 से ज्यादा जातियाँ है / 1951 मे जवाहरलाल नेहरू ने उनको denotify करके ‪#‎विमुक्त‬ कर दिया / इसीलिए विल दुरान्त लिखते है - कि 1857 के बाद जब लुटेरों ने लूट हत्या और बर्बर शासन को कानून का नाम दिया तो ये विजेताओं का गुलामों को नियंत्रित करने के बनाए गए नियम थे - अर्थात Hipocrisy की एक नई मिशाल /
अब इन दलित चिंतकों और ‪#‎मरकस_बाबा‬ के नकलची बंदरों से आग्रह है कि इस रिसले स्मृति को व्याख्यसयित करने का कष्ट करें ।अब सवर्ण यानि जिनके चमड़ी का रंग गोरा है ( ये मेरी कल्पना है क्योंकि ईसाई विद्वानों ने वर्ण का अर्थ मात्र चमड़ी का रंग बताया है ) भी इस लिस्ट में ऊपर टंकित हैं ।वही हुये ऊंची जाति वाले / नीचे हुये असवर्ण यानि नीची जाति वाले / सवर्ण औए असवर्ण को किस संस्कृत ग्रंथ से उद्धृत क्या गया है ?ये किस मनु और नारद स्मृति में लिखा है ?ये तो रिसले स्मृति का व्याख्यान है ।"

2 comments:

  1. सर जी
    पूर्वांचल में भर एक जाती है जो विमुक्त जाती की श्रेणी में आती है शाशन में कारन वही आज भी है की ये लूट मार करने वाली जाती है अंग्रेजो को कोई इनके नेतृत्व ने बहुत ही परेशान किया था इसीलिए

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  2. इसी प्रकार अंग्रेजो ने उत्तर भारतीय ब्राह्मण राजपूत बंगाली कुछ मराठे जातियां सेना में सर्वोच्च जनरल नहीं बन सकते क्यों की देशभक्त और महत्वकांक्षी जातियां है और वो नियम आज भी लागु है, सेना के जनरलों का इतिहास देख ले। विजय सिंह अपवाद रहे है लेकिन तख्ता पलट का आरोप लग ही गया अंततः

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