तो चलिए पहले यही क्लियर किया जाय की मिथ क्या है ?? और माइथोलॉजी क्या है।
विलियम जोंस ने जब सन्स्कृत की तुलना ग्रीक और लैटिन से की और संस्कृत को उनसे श्रेष्ठ बताया और एक नयी बहस को जन्म दिया कि संस्कृत बोलने वाले इंडो- ईरानियन उत्पत्ति के हैं /
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Christian Theologists ने पूरी मानवता को बाइबिल के अनुसार बाइबिल में वर्णित बेबल के टावर से के अनुसार पूरी दुनिया के लोगों को को Noah के तीनों पुत्रो Jepheth Sam aur Ham के वंशजों के हिसाब से विभाजित किया तो भारत को Ham के वंशजों में वर्गीकृत किया। इसी तरह अफ्रीका के काले लोगों को भी Ham के वंशजों में वर्गीकृत किया।
बाइबिल के अनुसार प्रलय (बाढ़) के अनुसार पूरी दुनिया noah के तीनों पुत्रो के वंशजों से बसनी है ।इसलिए पूरी दुनिया के निवासियों को ऊपर वर्णित कुनबों में बांटा गया। आप गूगल करिए samites hamites तो ज्यदा स्पस्ट हो जाएगा। Noah ने अपने पुत्र Ham के वंशजों यानि Hamites को अपने बाकी दो पुत्रो के वंशजों की perpetual slavery में रहने का श्राप दिया था। अब जब यूरोपियन ने पूरी दुनिया में कॉलोनियां बनाई, तो उनको अनजानी रीति रिवाज संस्कृति और साहित्य का पता चला। यूरोप में ये गहरे बहस का विषय था कि इन लोगों को बाइबिल के अनुसार किस कुनबे में ड़ाला जाय। काले रंग के लोंगो को hamites में गणना किया गया।
--जब यूरोपियन लोगों ने पूरी दुनिया में अपना उपनिवेश बनाया और वहां के मूल निवासियों से उनका साबका पड़ा जिनकी रीति रिवाज साहित्य और धार्मिक पुस्तकें बाइबिल से भिन्न थीं / प्रसिद्द विद्वान रुडयार्ड किप्प्लिंग के अनुसार अंग्रेजों का भारतीयों पर शासन करना एक ईश्वरीय आदेश और whitemen burden था / और इसलिए मूलनिवासियों के लिए नियम कानून बनाना और उनके रीति रिवाजों और साहित्य को भी परिभाषित करना भी उनका धर्म था /" मूल निवासियों के उन साहित्य और धर्मग्रंथों को जो बाइबिल के फ्रेमवर्क में फिट नहीं बैठते थे ,खास तौर पर वो साहित्य जो 4000 यानि मूसा के पूर्व के थे ,उनको "मिथ" कहा और उसमे वर्णित इतिहास कथाओं को "माइथोलॉजी" कहा / इसी लिए महाभारत और रामायण जैसी ऐतिहासिक कथाओ को माइथोलॉजी की संज्ञा दी गयी /
साथ में मूलनिवासियों के इन ऐतिहासिक ग्रंथों और साहित्यो के आधार पर प्रचलित हजारों सालों के रीति रिवाज और तिथि त्योहारों को -"अन्धविश्वास" की संज्ञा से नवाजा गया / ।
चूंकि बाइबिल में hamites श्रापित थे तो उन काले मूलनिवासियों को बर्बर असभ्य अनैतिक दुष्ट और स्लेवरी को deserve करने लायक, जैसी उपाधियों से लादा गया।
यही से अवर्ण (discolored) की शुरुवात हुई।
white लोग सवर्ण और काले अवर्ण या असवर्ण ।
इसीलिये christianon ने वर्ण को मतलब चमड़ी के रंग से जोड़ा ।
यहाँ तक की प्रोटोस्टेंट आन्दोलन के जनक मार्टिन लूथेर ने कहा कि hamites के अन्दर शैतानी गुण और घृणा भरी होती है।
विलियम जोंस ने जब सन्स्कृत की तुलना ग्रीक और लैटिन से की और संस्कृत को उनसे श्रेष्ठ बताया और एक नयी बहस को जन्म दिया कि संस्कृत बोलने वाले इंडो- ईरानियन उत्पत्ति के हैं /
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Christian Theologists ने पूरी मानवता को बाइबिल के अनुसार बाइबिल में वर्णित बेबल के टावर से के अनुसार पूरी दुनिया के लोगों को को Noah के तीनों पुत्रो Jepheth Sam aur Ham के वंशजों के हिसाब से विभाजित किया तो भारत को Ham के वंशजों में वर्गीकृत किया। इसी तरह अफ्रीका के काले लोगों को भी Ham के वंशजों में वर्गीकृत किया।
बाइबिल के अनुसार प्रलय (बाढ़) के अनुसार पूरी दुनिया noah के तीनों पुत्रो के वंशजों से बसनी है ।इसलिए पूरी दुनिया के निवासियों को ऊपर वर्णित कुनबों में बांटा गया। आप गूगल करिए samites hamites तो ज्यदा स्पस्ट हो जाएगा। Noah ने अपने पुत्र Ham के वंशजों यानि Hamites को अपने बाकी दो पुत्रो के वंशजों की perpetual slavery में रहने का श्राप दिया था। अब जब यूरोपियन ने पूरी दुनिया में कॉलोनियां बनाई, तो उनको अनजानी रीति रिवाज संस्कृति और साहित्य का पता चला। यूरोप में ये गहरे बहस का विषय था कि इन लोगों को बाइबिल के अनुसार किस कुनबे में ड़ाला जाय। काले रंग के लोंगो को hamites में गणना किया गया।
--जब यूरोपियन लोगों ने पूरी दुनिया में अपना उपनिवेश बनाया और वहां के मूल निवासियों से उनका साबका पड़ा जिनकी रीति रिवाज साहित्य और धार्मिक पुस्तकें बाइबिल से भिन्न थीं / प्रसिद्द विद्वान रुडयार्ड किप्प्लिंग के अनुसार अंग्रेजों का भारतीयों पर शासन करना एक ईश्वरीय आदेश और whitemen burden था / और इसलिए मूलनिवासियों के लिए नियम कानून बनाना और उनके रीति रिवाजों और साहित्य को भी परिभाषित करना भी उनका धर्म था /" मूल निवासियों के उन साहित्य और धर्मग्रंथों को जो बाइबिल के फ्रेमवर्क में फिट नहीं बैठते थे ,खास तौर पर वो साहित्य जो 4000 यानि मूसा के पूर्व के थे ,उनको "मिथ" कहा और उसमे वर्णित इतिहास कथाओं को "माइथोलॉजी" कहा / इसी लिए महाभारत और रामायण जैसी ऐतिहासिक कथाओ को माइथोलॉजी की संज्ञा दी गयी /
साथ में मूलनिवासियों के इन ऐतिहासिक ग्रंथों और साहित्यो के आधार पर प्रचलित हजारों सालों के रीति रिवाज और तिथि त्योहारों को -"अन्धविश्वास" की संज्ञा से नवाजा गया / ।
चूंकि बाइबिल में hamites श्रापित थे तो उन काले मूलनिवासियों को बर्बर असभ्य अनैतिक दुष्ट और स्लेवरी को deserve करने लायक, जैसी उपाधियों से लादा गया।
यही से अवर्ण (discolored) की शुरुवात हुई।
white लोग सवर्ण और काले अवर्ण या असवर्ण ।
इसीलिये christianon ने वर्ण को मतलब चमड़ी के रंग से जोड़ा ।
यहाँ तक की प्रोटोस्टेंट आन्दोलन के जनक मार्टिन लूथेर ने कहा कि hamites के अन्दर शैतानी गुण और घृणा भरी होती है।
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