Sunday 27 December 2015

#‎अकबर‬ जाहिल था ।

#‎सेकुलर‬ महान अकबर की कुल उपलब्धि - ‪#‎शिया_सुन्नी_एक_ही_मस्जिद‬ मे ‪#‎नमाज‬ पढ़ते थे /
‪#‎अकबर‬ जाहिल था ।
लोगों ने बताया कि उसने तालीम हासिल नही की थी ।यानि पढ़ा लिखा नहीं था यानि ‪#‎जाहिलिया‬
उसने बुतखाना नही बनवाया था , इबादतखाना बनवाया था ।
जिसमे इतिहासकार ‪#‎इरफ़ान_हबीब‬ ने बताया है कि वो सर्वधर्म समभाव रखता था।
लेकिन उसने ‪#‎दीने_ऐ_इलाही‬ चलाया था ।
हमारे यहाँ ‪#‎दीन_हीन‬ बहुत से लोग हैं।
लेकिन कुछ शब्दों का प्रयोग किया है इस प्रसिद्ध इतिहासकार ने ।

‪#‎चिरा_दस्तिए_ख्याल‬ - मस्तिस्क के महानतम प्रयास ।
लेकिन हबीब मियां कहते हैं कि - इसलिए अकबर ने हिंदुओं की मूर्तिपूजा और मुसलमानों के नमाज दोनों की ‪#‎अवमानना‬ की । उसके द्वारा ‪#‎मूर्ति_पूजा‬ की अवमानना हमें उस समय विशेष रूप से प्रभावित करती है जब अकबरनामा का लेखक ‪#‎टोडरमल‬ को 'सीधा सादा' (‪#‎सादा_लौह‬) कहता है, क्योंकि वह जिन मूर्तियों की पूजा करता था उनके खो जाने पर उसने शोक प्रकट किया। वह टोडरमल को 'परंपरा तथा संकीर्णता का अंधभक्त ' कहता है ।
अकबर की कुल उपलब्धि - ‪#‎शिया_सुन्नी_मस्जिद‬ मे #नमाज पढ़ते थे /
‪#‎इबादतखाना‬ बनवाया ।
‪#‎बुतपरस्ती‬ का विरोध किया ।
‪#‎बुतखाना‬ नहीं बनवाया ।
फिर भी अकबर भी सेक्युलर और इरफ़ान हबीब भी सेक्युलर ।

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