Tuesday, 5 January 2016

भारत की जीडीपी का 50 % #Enterpreneurs से आता है : लेकिन उनकी राह के रोड़े भारत के रेग्युलेटरी दानवीय नियम कानून है /

Link भी दूंगा ।
लेकिन अगर आप सुनना नही चाहते तो कुछ महत्वपूर्ण बिंदु : आप जानते है कि 1750 तक भारत और चाइना पूरे विश्व की 55% जीडीपी के मालिक थे , और अम्रीका और ब्रिटेन मात्र 1.8% जीडीपी के / 1820 तक ये घटकर मात्र 40% हो जाता है /
- अरविंदो ने 1917 में कहा - "जो 1820 मे शुरू हुआ था वो 2020 मे खत्म हो जाएगा "
नीचे एक ग्राफ है , उसको ध्यान से देंखे।
- जिस सामाजिक संकट से ब्रिटेन गुजर रहा है , वो समय शीघ्र ही आएगा जब ब्रिटेन आपको कहेगा कि आइये - हमारा राज्य संभालिए "/( भारत के नागरिकों की ब्रिटेन मे एक मजबूत उपस्थिति , जिसने अभी भी अपना पारिवारिक और भारतीय संस्कृति को अपने साथ लेकर चल रहा है , ये संभव भी है )
- भारत की जीडीपी का सबसे ज्यादा हिस्सा परिवार के बचत से आता है , हमे FDI की आवश्यकता नही है ‪#‎गोल्डमैन_sachs‬ 2010
- यह बचत भारत की पारंपरिक पारिवारिक संस्था में ‪#‎महिलाओं‬ के योगदान के कारण है जो बच्चे, परिवार, के लिए बचत करती हैं।
- पश्चिम में संयुक्त परिवार को कॉर्पोरेट हाउसेस ने consumer की संख्या बढा ने के लिए किया। उदाहरणस्वरूप यदि परिवार में दादा दादी काकी काका चचेरे फुफेरे ममेरे भाई बहन है , और उनका काम एक फ्रिज से चल जाता है तो उनका व्यापर कैसे बढ़ेगा । इसलिए उन्होंने न्यूक्लिअर फॅमिली को ‪#‎हैप्पी_फॅमिली‬ बनाया ,जिससे उनके प्रोडक्ट्स की खपत बढ़ सके ।आज वहां उससे आगे सिंगल पेरेंट् फॅमिली का कल्चर आ गया है । 50% गोरे और 70 % blacks अब उससे आगे निकल गए है जो अविवाहित माएं हैं जिनमे टीन ऐज की लड़कियों की संख्या बहुत ज्यादा है।सर्कार का पूरा टैक्स पेंशन बेरोजगारी भतता , वृद्धाश्रम और अनाथ बच्चों को पालने में खर्च हो रहा है ।
- अमेरिकन जिसको ग्लोबल क्राइसिस कहते है वो G-7 देशों की सामजिक और पारिवारिक क्राइसिस है जिसका वर्णन ऊपर किया गया है।
- मनमोहन सर्कार को एक विदेशी आर्थिक सलाहकार (जिसके शिष्यों को नोबल पुरस्कार भी मिला है ) ने समझाया कि ग्लोबल क्राइसिस से निकलने के लिए यहाँ की औरतों की कंजूसी को खत्म करने और पारिवारिक के लिए बचत करने से रोकने के लिए ‪#‎मॉल‬ खुलवाये। तो खरीददारी भी बढ़ेगी और जीडीपी भी ।
ऐरकंडिशनद माल खुल गए। प्रचार के लिए मीडिया को पैसा मिला वो भी खुश। लेकिन महिलाये मनमोहन से ज्यादा स्मार्ट निकली। माल में घुमी लेकिन बकवास का फालतू समान नही खरीदा।
- देश में जात आधारित कम्युनिटी मैन्युफैक्चरिंग की संख्या बहुत ज्यादा है, जो ‪#‎कारकुशीलव‬ तो है , लेकिन डिग्री नही है उनके पास ।अंग्रेजी नहीं बोल सकते। इसलिए ‪#‎मीडिया‬ से उपेक्षित है।
- भारत में मात्र 15% लोग नौकरीपेशा है ,बाकी 85% लोग ‪#‎स्वरोजगार‬ हैं ।
-भारत की कुल जीडीपी को अगर विभाजित किया जाय तो सरकार का योगदान 18% , कृषि 18% , कॉर्पोरेट 14% - कुल मिलकर 50%।
बाकी का 50% जीडीपी #स्वरोजगार से आता है ।
- @PMO को अपना नारा मेक इन इंडिया से बदलकर मेक फॉर इंडिया करना चाहिए ।क्योंकि भारत अपनी जरुरत यदि पूरी कर ले तो उसे एक्सपोर्ट की आवश्यकता ही नही है ।
- ‪#‎मोदी‬ को यदि कुछ करना है तो इन 50% ‪#‎स्वरोजगरों‬ को मौका देना होगा । लेकिन इन स्वरोजगारों के आगे एक बहुत बड़ी अड़चन भारत में बने रेगुलेटरी dranconian कानून है । उदाहरणस्वरूप ‪#‎फ़ूड‬ रेगुलेशन एक्ट - यदि मार्केटिंग इंस्पेक्टर को घूस न पहुंचा तो रेस्तरा के किसी थाली में कॉकरोच निकल आएगा , और फिर सेल्फ़ी वेदिओ और फ़ोटो लेकर मीडिया की मसाला मिल जाता है ।
कोई बताये भारत सर्कार के बोझ इन करोणपति मार्किट इंस्पेक्टर जो टैक्स से पगार लेते है , और #स्वरोजगरों को जोक की तरह चूस रहे हैं इनका समाज में कितना पॉजिटिव रोल है ?
#मोदी जी कुछ करना है तो इन स्वरोजगारो को मौका दीजिये , यही भारत निर्माण और ‪#‎मेक_फॉर_इंडिया‬ बनाकर देश की तकदीर बदल पाएंगे। संसद में रोज कानून न बनाएं ।पुराने राक्षसी कानूनों की समीक्षा कर उनको खत्म भी करें ।
https://www.youtube.com/watch?v=Hba2gbzvQbA

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