नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को क्या पता है कि पॉल्युशन का मुख्य कारण वन और
जंगलों का घटता क्षेत्रफल और धरती पर बढ़ती हुई आबादी है ? ये ही
पॉल्युशन के मूल कारण हैं।
जंगल काटे जा रहे हैं प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और कृषि कार्य हेतु। इनके दोहन का उपयोग और उपभोग कौन कर रहा है - बढ़ती हुई आबादी।
अब आबादी किसकी और क्यों बढ़ रही है ?
जिनको स्वयं के निर्णय नही बल्कि अल्लाह के निर्णय और रहमोकरम को ही बढ़ती आबादी का कारण समझते है। और मनुष्य द्वारा विकसित किये गए जनसंख्या वृद्धि रोकने के उपायों को अल्लाह की मर्जी में मनुष्य का दखल समझते है।
जनसंख्या उनकी भी बढ़ रही है जो काफिरियत के सिद्धांत या थ्योरी ऑफ इंफीडेलिस्म के नाम पर गला काट रहे हैं या फिर निरन्तर लालच और फरेब का खेल खेल कर बपतिस्मा करवाते हैं।
सनातन में तो सत चित आनंद को छोड़कर समस्त माया का जाल परिवर्तनशील है, तो ट्रेडिशन भी परिवर्तनशील हो सकता है।
हमारे यहां तो प्राणवायु का शरीर से संपर्क टूटते ही शरीर मिट्टी हो जाती है। रही बात उसके पंच तत्व में विलीन होने की - तो चलिए लकड़ी से न जलाकर इलेक्ट्रिक क्रेमटोरिम में जला दिया जाएगा।
लेकिन उनका क्या होगा जो 2000 वर्षो से लाखों करोड़ मिट्टी हो चुके लोगों के लिए सैकङो करोड़ एकड़ भूभाग पर कब्जा करके ग्रेव यार्ड और कबरिस्तान के नाम पर, सिर्फ इसलिए खण्डहर बना रखा है कि आख़िरत के दिन जीसस और अल्लाह इन कब्र में गड़े मुर्दो का हिसाब किताब करेंगे।
वो दिन कब आएगा क्या ये बात गॉड और अल्लाह के बंदों ने बताया है ?
उनका भी जगह खाली करवाने की सलाह दीजिये जिससे उन खण्डहरों में पेड़ पौधे लगाया जा सके। उनको खेत खलिहान में तब्दील कर उसमें अन्न उगाया जा सके जिससे भूखे पेट सो रही मानवता का पेट भरा जा सके। और प्रकति की प्रदूषण से बचाया जा सके।
#स्वच्छ_भारत
जंगल काटे जा रहे हैं प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और कृषि कार्य हेतु। इनके दोहन का उपयोग और उपभोग कौन कर रहा है - बढ़ती हुई आबादी।
अब आबादी किसकी और क्यों बढ़ रही है ?
जिनको स्वयं के निर्णय नही बल्कि अल्लाह के निर्णय और रहमोकरम को ही बढ़ती आबादी का कारण समझते है। और मनुष्य द्वारा विकसित किये गए जनसंख्या वृद्धि रोकने के उपायों को अल्लाह की मर्जी में मनुष्य का दखल समझते है।
जनसंख्या उनकी भी बढ़ रही है जो काफिरियत के सिद्धांत या थ्योरी ऑफ इंफीडेलिस्म के नाम पर गला काट रहे हैं या फिर निरन्तर लालच और फरेब का खेल खेल कर बपतिस्मा करवाते हैं।
सनातन में तो सत चित आनंद को छोड़कर समस्त माया का जाल परिवर्तनशील है, तो ट्रेडिशन भी परिवर्तनशील हो सकता है।
हमारे यहां तो प्राणवायु का शरीर से संपर्क टूटते ही शरीर मिट्टी हो जाती है। रही बात उसके पंच तत्व में विलीन होने की - तो चलिए लकड़ी से न जलाकर इलेक्ट्रिक क्रेमटोरिम में जला दिया जाएगा।
लेकिन उनका क्या होगा जो 2000 वर्षो से लाखों करोड़ मिट्टी हो चुके लोगों के लिए सैकङो करोड़ एकड़ भूभाग पर कब्जा करके ग्रेव यार्ड और कबरिस्तान के नाम पर, सिर्फ इसलिए खण्डहर बना रखा है कि आख़िरत के दिन जीसस और अल्लाह इन कब्र में गड़े मुर्दो का हिसाब किताब करेंगे।
वो दिन कब आएगा क्या ये बात गॉड और अल्लाह के बंदों ने बताया है ?
उनका भी जगह खाली करवाने की सलाह दीजिये जिससे उन खण्डहरों में पेड़ पौधे लगाया जा सके। उनको खेत खलिहान में तब्दील कर उसमें अन्न उगाया जा सके जिससे भूखे पेट सो रही मानवता का पेट भरा जा सके। और प्रकति की प्रदूषण से बचाया जा सके।
#स्वच्छ_भारत
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