Friday 20 October 2017

धर्म क्यों अफीम है ?

धर्म क्यों अफीम है ?
क्योंकि ये बात मार्क्स ने कहा था रिलिजन के बारे में ।
क्यों कहा था ?
शायद इसलिए कि लिबरल सोच वाला मार्क्स बाइबिल और चर्च के बीच सत्ता और शासन को पराधीन देखता था ।
क्योंकि 1600 में वैज्ञानिक ब्रूनो को चर्च सिर्फ इसलिए जलाकर मार् देता है क्योंकि उसने कहा कि - पृथ्वी सूर्य के चककर लगाती है ।जो कि बाइबिल में उल्लिखित सत्य के विरुद्ध है ।

वही गति गैलेलियो की भी होती है । उसको उम्र कैद देती है चर्च ।
प्रोटेस्टेन्ट और कैथोलिक्स एक दूसरे की हत्या सिर्फ इसलिए कर देते हैं क्योंकि वे एक दुसरे को अपने फेथ के विरुद्ध बर्दाश्त नही कर सकते थे ।
इसलिए वहां शासन को #Act_Religious_Tolerance का कानून बनाना पड़ता है ।

लेकिन भारत के पढ़े लिखे गुलाम वामपंथियों को जब् हर विधर्मी संस्कृति और शब्द को अपनी भाषा और संस्कृति से अनुवाद का चस्का लगा तो उन्होंने रिलिजन का अनुवाद किया धर्म में ।

धर्म की विस्तृत व्याख्या तो बहुत बड़ी है परंतु संक्षेप में -
"धृति क्षमा अक्रोधम् दमो स्तेयं च इन्द्रियनिग्रह
धी विद्या सौच --- दसकं धर्म लक्षणम् ।।
अर्थात्
धैर्य, क्षमा, क्रोध पर नियंत्रण, कर्मेन्द्रियों पर नियंत्रण, चोरी न् करना (भौतिक और आध्यात्मिक), इंद्रियों पर नियंत्रण , बुद्धि , विद्या का आलम्बन , और शारीरिक और आत्मिक स्वच्छता ,--- यही धर्म के 10 लक्षण हैं ।

क्या रिलिजन और मजहब का भी यही अर्थ होता है ?

नही होता है तो मानसिक गुलामों बुद्धि विकार दुरुस्त करो और बुद्धि जीवी होने के भ्रम से बाहर निकलो।

जय श्रीराम
जय जय श्रीराम।

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