ग्वालियर का सिंधिया राज परिवार 300 साल पुराना है या 400 साल, ये नहीं पता।
लेकिन उनके बारे में तीन बातें सत्य हैं।
1-1857 में वे नग्रेजो के साथ थे।
2- आज उनकी कितनी संपत्ति और भूमि भारत के विभिन्न शहरों में हैं, सम्भवतः वह भी नहीं जानते।
2- आज उनकी कितनी संपत्ति और भूमि भारत के विभिन्न शहरों में हैं, सम्भवतः वह भी नहीं जानते।
3- और आप यह नही जानते कि 1989 के मंडल आयोग के निर्देशों के अनुसार वे ओबीसी हैं।
यदि आपको यह नहीं लगता कि जो इतिहास समाज शास्त्र और संविधान आपको पढ़ाया जा रहा है, वह एक बड़े झूंठ - फेक न्यूज़ पर आधारित नहीं है तो?
न लगे ऐसा तो एक ही बात संभव है।
आपको किसी मेन्टल डॉक्टर से मिलना चाहिए।
ये देखिये यह स्वयं बोल रहे हैं कि वे जाति के कुर्मी हैं।
यदि ऐसा सच है तो?
दो बातें।
यदि ऐसा सच है तो?
दो बातें।
भारत मे कुर्मी ओबीसी और अन्य लोग भी राजा हो सकते थे। उनके राजा होने पर तो किसी को संदेह नही है।
यदि यह सच है तो भारत मे पिछले 100 वर्षों में, पिछले 3000 वर्षों से जातिगत भेदभाव का जो रण्डी रोना मचा हुआ है, उसके पीछे कोई गम्भीर रहस्य छुपा है, कोई षड्यन्त्र छुपा हुआ है।
यदि यह सच है तो भारत मे पिछले 100 वर्षों में, पिछले 3000 वर्षों से जातिगत भेदभाव का जो रण्डी रोना मचा हुआ है, उसके पीछे कोई गम्भीर रहस्य छुपा है, कोई षड्यन्त्र छुपा हुआ है।
अभी पिछले वर्ष मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक एफीडेविट दिया है जिसमें उन्होंने 1000 वर्ष के जातिगत भेदभाव को स्वीकारा है।
उनको अपने एफीडेविट को रिव्यु करना चाहिए।
उनको अपने एफीडेविट को रिव्यु करना चाहिए।
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भारत के संविधान को समझो - जो आज भी राजघराने से उतपन्न जीव है, और उसकी तीन पीढ़ी संसद में थी, वह ओबीसी है ?
ओबीसी भी राजा हो सकता था मनु स्मृति के विधान से।
भारत उन्नति के पथ पर है, या क्षरण के पथ पर ?
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