Saturday 21 September 2019

#महानता_की_भारतीय_और_पाश्चात्य_परिभाषा में भेद:

किसी ने कमेंट किया - गुरु जी गूगल से पढ़ रहा हूँ हर कोई अपनी जाति को महान बता रहा है।
राडार बाबा - अपनी जाति को महान बताना कोई बुराई नही है।
जाति का अर्थ कुल होता है।
कुलीन होना अच्छी बात है।
कुलीन का अर्थ ही होता है आर्य।
संस्कृत डिक्शनरी के अनुसार आर्य का अर्थ होता है :
षट सज्जनस्य - महाकुल कुलीन आर्य सभ्य सज्जन साधवः।
लेकिन अपनी जाति को महान बताने वाले महानता का अर्थ भी जानते हैं क्या?
लेकिन आर्य की युरोपियन परिभाषा भारत की परिभाषा से अलग है।
युरोपियन की महानता की परिभाषा थी आर्यन हिटलर के नेतृत्व में ईसाइयों द्वारा 60 लाख यहूदियों और 40 लाख जिप्सियों का नरसंहार।
भारत मे महानता की परिभाषा अलग है।
इस श्लोक में युरोपियन और भारतीय महानता की परिभाषा में स्पष्ट अंतर दिख जाएगा।
"विद्या विवादाय धनं मदाय शक्ति परेशां परपीड़नाय।
खलुश्च साधोर्विपरीतं एतद ज्ञानाय दानाय च रक्षणाय।।
विद्या विवाद के लिए, धन मदान्ध होने के,और शक्ति दूसरों को परेशान करने के लिए होती है - लेकिन यह खलु ( युरोपियन महान ) लोगो की दृष्टिकोण है।
साधु ( भारतीय महान ) के लिए विद्या ज्ञान बांटने, धन दान देने और शक्ति दूसरों की रक्षा करने हेतु होती है।

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