#CurseOFHam : #रंगभेद_सवर्ण_असवर्ण का हिन्दू समाज पर निरूपण:
एक प्रोफेट ने अपने पुत्र को अपनी शराबखोरी के लिए श्राप दिया और उस श्राप को पूरी विश्व की मानवता ने भोगा।
ई-साइयों का इतिहास अत्याचारों से भरा पड़ा है।
Apartheid या रंगभेद पर लाखों आर्टिकल और पुस्तकें मिलेंगी, लेकिन कोई यह नहीं लिखता कि चमड़ी के रंग के कारण कोई गोरे ईसाइयों के अत्याचार का पात्र कैसे बन जाता था?
अमेरिका कहने को तो 1776 में आजाद हो गया था लेकिन वहां रंगभेद की नीति 1960 तक चलती थी।
Apartheid या रंगभेद पर लाखों आर्टिकल और पुस्तकें मिलेंगी, लेकिन कोई यह नहीं लिखता कि चमड़ी के रंग के कारण कोई गोरे ईसाइयों के अत्याचार का पात्र कैसे बन जाता था?
अमेरिका कहने को तो 1776 में आजाद हो गया था लेकिन वहां रंगभेद की नीति 1960 तक चलती थी।
कार्य कारण सिद्धांत के अनुसार हर कृत्य का कोई कारण, कोई आधार होना चाहिए।
विश्व की अकेडेमिया इस विषय मे कभी रुचि नही लेती।
क्योंकि विश्व अकेडेमिया मे ईसाइयों के वर्चश्व है।
बाकी देशी अकेडेमिया - "एलियंस और स्टूपिड प्रोटागोनिस्ट" है।
क्योंकि विश्व अकेडेमिया मे ईसाइयों के वर्चश्व है।
बाकी देशी अकेडेमिया - "एलियंस और स्टूपिड प्रोटागोनिस्ट" है।
वह अनुवादों से ही काम चला लेती है।
रंगभेद की शुरुवात तीसरी शताब्दी में हुई थी। बाइबिल की जेनेसिस में एक कथा है। कथा यह है कि गॉड मनुष्य की दुष्टता से परेशान हो जाता है तो निर्णय लेता है कि प्रलय लाकर समस्त मानवता को खत्म कर दिया जाय।
लेकिन प्रश्न यह उठा कि फिर सन्सार का निर्माण कैसे होगा? इसलिए उसने प्रोफेट नोह को एक नाव तैयार करने की सलाह दी जिसमे वह अपने परिवार के साथ हर जीव का एक जोड़ा रख ले, जिससे प्रलय के उपरांत सन्सार को पुनः निर्मित किया जा सके। ( Arc of Noah पढिये )।
जब प्रलय खत्म हुई और धरती दिखने लगी तो गॉड ने प्रोफेट नोह से कहा कि कुछ खेती बाड़ी करो। उसकी सलाह पर नोह ने अंगूर की खेती की। और उससे शराब बनाई। शराब पीकर एक दिन वह टल्ली हो गया और उसको अपने कपड़े लत्ते का होश न रहा। वह नंगा हो गया। उसके छोटे पुत्र Ham ने उसे नग्न देखा तो उसे हंसी छूट गयी। उसने बाहर आकर अपने दो भाइयों Shem और Jepheth को यह बात बतायी। उन दोनों ने अपने पिता की नग्नता से अपनी आंख छुपाकर ( मुंह दूसरी ओर फेरकर ) अपने पिता को चादर से ढक दिया।
दूसरे दिन होश में आने के बाद नोह ने सारी बात का पता लगाया। उसको जब पता चला कि Ham ने उसे नंगा देखकर हंस दिया था तो उसे बहुत क्रोध आया। उसने Ham को श्राप दिया कि उसकी संततियां पुस्त दर पुस्त, उसके बाकी दो पुत्रों की संततियों की गुलामी करेंगीं।
यूरोप के गोरे लोगों ने जब इजिप्ट पर कब्जा किया तो ईसाई धर्म उपदेशकों ने वहां के देशी लोगों के काले रंग को नोह के श्राप से जोड़ दिया। उन्होंने बताया कि उनके काले रंग का कारण नोह को हैम को दिए गए श्राप के कारण मिला है। और वे हैम की संततियां है। और वे पुस्त दर पुस्त गुलामी लायक हैं।
लेकिन प्रश्न यह उठा कि फिर सन्सार का निर्माण कैसे होगा? इसलिए उसने प्रोफेट नोह को एक नाव तैयार करने की सलाह दी जिसमे वह अपने परिवार के साथ हर जीव का एक जोड़ा रख ले, जिससे प्रलय के उपरांत सन्सार को पुनः निर्मित किया जा सके। ( Arc of Noah पढिये )।
जब प्रलय खत्म हुई और धरती दिखने लगी तो गॉड ने प्रोफेट नोह से कहा कि कुछ खेती बाड़ी करो। उसकी सलाह पर नोह ने अंगूर की खेती की। और उससे शराब बनाई। शराब पीकर एक दिन वह टल्ली हो गया और उसको अपने कपड़े लत्ते का होश न रहा। वह नंगा हो गया। उसके छोटे पुत्र Ham ने उसे नग्न देखा तो उसे हंसी छूट गयी। उसने बाहर आकर अपने दो भाइयों Shem और Jepheth को यह बात बतायी। उन दोनों ने अपने पिता की नग्नता से अपनी आंख छुपाकर ( मुंह दूसरी ओर फेरकर ) अपने पिता को चादर से ढक दिया।
दूसरे दिन होश में आने के बाद नोह ने सारी बात का पता लगाया। उसको जब पता चला कि Ham ने उसे नंगा देखकर हंस दिया था तो उसे बहुत क्रोध आया। उसने Ham को श्राप दिया कि उसकी संततियां पुस्त दर पुस्त, उसके बाकी दो पुत्रों की संततियों की गुलामी करेंगीं।
यूरोप के गोरे लोगों ने जब इजिप्ट पर कब्जा किया तो ईसाई धर्म उपदेशकों ने वहां के देशी लोगों के काले रंग को नोह के श्राप से जोड़ दिया। उन्होंने बताया कि उनके काले रंग का कारण नोह को हैम को दिए गए श्राप के कारण मिला है। और वे हैम की संततियां है। और वे पुस्त दर पुस्त गुलामी लायक हैं।
"यह नया सिद्धांत अलेक्सेन्द्रीय के ओरिजन ( Origen of Alaxandria 185- 254 CE) ने दिया था जो ईसाइयों के सर्वप्रथम धर्म उपदेशकों में से एक था।" ( Breaking India - राजीव मल्होत्रा)
वास्कोडिगामा और कोलम्बस के बाद पूरी दुनिया की मानवता पर इस माइथोलॉजी को निरूपित किया गया।
भारत मे सवर्ण और असवर्ण का बंटवारा इसी माइथोलॉजी को आधार बनाकर आर्यन अफवाह के टेम्लेट को लागू करके किया गया।
वास्कोडिगामा और कोलम्बस के बाद पूरी दुनिया की मानवता पर इस माइथोलॉजी को निरूपित किया गया।
भारत मे सवर्ण और असवर्ण का बंटवारा इसी माइथोलॉजी को आधार बनाकर आर्यन अफवाह के टेम्लेट को लागू करके किया गया।
1517 से 1840 के बीच 20 मिलियन ( 2 करोड़) अफ्रीकन को पकड़कर अमेरिका ले जाया गया और उनके साथ जो व्यवहार किया गया वह किसी हौलोकास्ट से कम नहीं था।
राजीव मल्होत्रा ने Haynes नामक लेखक का संदर्भ देते हुए लिखा है कि " स्लेवरी के समर्थक सम्मानित डॉक्टर, वकील,नेता, प्रोफेसर, और पादरी थे, जो हैम को दिए गए श्राप को एक ऐतिहासिक तथ्य मानते थे।"
राजीव मल्होत्रा ने Haynes नामक लेखक का संदर्भ देते हुए लिखा है कि " स्लेवरी के समर्थक सम्मानित डॉक्टर, वकील,नेता, प्रोफेसर, और पादरी थे, जो हैम को दिए गए श्राप को एक ऐतिहासिक तथ्य मानते थे।"
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