#खबर_है_कि_रोमिला_थापर_क्लूज_प्राइज़ लौटाने वाली हैं #एखलाक_सिंड्रोम की पीड़ा मे/
भारत की एक प्रसिद्ध इतिहासकारा , जिनके आगे A L Basham के साथ काम करने का टैग जुड़ा हुआ है , और नेहरू के सोवियत प्रेम के कारण #वामपंथियों के लिए खोले गए ज्ञान के आगार (खजाने ) मे मचे लूट की एक हिस्सेदार हैं #रोमिला_थापर जी , जो अभी कल परसों मे #एखलाक_सिंड्रोम से पीड़ित होकर पुरस्कार लौटाने वालों के साथ मचे #हो_अल्लाह मे वो भी शामिल है /
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रोमिला थापर भारत के इतिहास के बारे मे विश्व की जानी मानी #वामपंथी शोधक इतिहासकारा हैं /
भारत की एक प्रसिद्ध इतिहासकारा , जिनके आगे A L Basham के साथ काम करने का टैग जुड़ा हुआ है , और नेहरू के सोवियत प्रेम के कारण #वामपंथियों के लिए खोले गए ज्ञान के आगार (खजाने ) मे मचे लूट की एक हिस्सेदार हैं #रोमिला_थापर जी , जो अभी कल परसों मे #एखलाक_सिंड्रोम से पीड़ित होकर पुरस्कार लौटाने वालों के साथ मचे #हो_अल्लाह मे वो भी शामिल है /
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रोमिला थापर भारत के इतिहास के बारे मे विश्व की जानी मानी #वामपंथी शोधक इतिहासकारा हैं /
लेकिन मुश्किल ये है कि ये लौटाएँ तो क्या लौटाएँ ? इनके पास ये पुरस्कार
हैं ही नहीं , और जो पुरस्कार इनके पास है , वो बहुत मोती धनराशि वाला है /
उसको क्यों लौटाएँ /
खैर /
इनको 1992 मे राश्र्तपति द्वारा #पद्मभूषण अवार्ड के लिए नामित किया गया , लेकिन उन्होने उसको ग्रहण करने से इंकार कर दिया /
पुनः 2005 मे स्वर्गीय APJ कलाम के द्वारा दुबारा इसी पुरस्कार के लिए नामित किया गया , लेकिन इनहोने उस पुरस्कार को ये कहकरलौटा दिया कि - "I only accept awards from academic institutions or those associated with my professional work, and not state awards" / अर्थात वे उनही पुरस्कारों को ग्रहण करती हैं जो कि या तो अकैडमिक संस्थाओं द्वारा प्राण किया जाता हो , या फिर इनके प्रॉफेश्नल वर्क के कारण इनको मिले, किसी रास्ट्र प्रदत्त पुरस्कार को वो स्वीकार नहीं करती / http://articles.timesofindia.indiatimes.com/…/27864821_1_pa…
लेकिन इसके साथ एक लेकिन लगा है , बल्कि दो लेकिन लगा है /
इसके मात्र एक वर्ष पूर्व रोमिला थापर ने #अमेरीकन_काँग्रेस के पुस्तकालय नामक #अकेडेमिक संस्था द्वारा Kluge Prize ग्रहण करती है , जोकि Humanities मे विशिष्ट कार्य करने वाले को दिया जाता है , जिसकी financial वजूद #नोबल_प्राइज़ के बराबर होती है , यानि एक मिलियन डॉलर /
इस पुरस्कार की स्थापना व्यक्ति दुनिया के सबसे अमीर लोगों मे से एक व्यक्ति - John Werner Kluge (/ˈkluːɡi/; September 21, 1914 – September 8, 2010[2]) was a German-born American entrepreneur who was at one time the richest person in America.[3] He was best known as a television industry mogul in the United States. है , जिसने अमेरीकन काँग्रेस librery को उसकी 200वीं वर्षगांठ पर 2000 मे 60 मिलियन डॉलर दान देकर John W. Kluge Center की स्थापना करवाता है , जिसका उद्देश्य इन नामचीन विद्वानों का अम्रीका के राजनीतिज्ञों के साथ मेल- जोल बढ़ाना है /
अंत मे --- विद्वानों की परिभ्शा और उद्देश्यों को निम्नलिखित श्लोक से समझें --
विद्या विवादाय धनम मदाय शक्ति परेशाम परपीडनाय /
खलुश्च साधोर्विपरीतम एतद ज्ञानाय दानाय च रक्षणाय //
तो इन विद्वान महानुभावों के उस भाव को आमजन को पहचानना ही होगा क्योंकि इनकी विद्वता पर कोई संदेह नहीं कर सकता / सोवियत प्रेमी नेहरू ने वामपंथियोंके लिए विद्या के आगार (खजाने ) खोल दिये थे / तो विद्यार्जन कर पहले तो ये विद्वान हो गए फिर इन #वामी_विद्वानों ने एक गिरोह बनाया जो 68 साल तक एक ताकतवर रावण की तरह अधर्म और अनीति नामक मारीचो को प्रश्रय देता रहा /
लेकिन आप ये निर्णय स्वयम करें कि ये विद्वान विद्या का उपयोग ##विवाद पैदा करने के लिए कर रहे हैं कि ज्ञान देने के लिए ?
मैं #मुसहर हूँ ,
तुम #मुसबिल्ले
नाव डूबती छोड़ के भागो
नहीं तो होगे ##इलले_इलले
खैर /
इनको 1992 मे राश्र्तपति द्वारा #पद्मभूषण अवार्ड के लिए नामित किया गया , लेकिन उन्होने उसको ग्रहण करने से इंकार कर दिया /
पुनः 2005 मे स्वर्गीय APJ कलाम के द्वारा दुबारा इसी पुरस्कार के लिए नामित किया गया , लेकिन इनहोने उस पुरस्कार को ये कहकरलौटा दिया कि - "I only accept awards from academic institutions or those associated with my professional work, and not state awards" / अर्थात वे उनही पुरस्कारों को ग्रहण करती हैं जो कि या तो अकैडमिक संस्थाओं द्वारा प्राण किया जाता हो , या फिर इनके प्रॉफेश्नल वर्क के कारण इनको मिले, किसी रास्ट्र प्रदत्त पुरस्कार को वो स्वीकार नहीं करती / http://articles.timesofindia.indiatimes.com/…/27864821_1_pa…
लेकिन इसके साथ एक लेकिन लगा है , बल्कि दो लेकिन लगा है /
इसके मात्र एक वर्ष पूर्व रोमिला थापर ने #अमेरीकन_काँग्रेस के पुस्तकालय नामक #अकेडेमिक संस्था द्वारा Kluge Prize ग्रहण करती है , जोकि Humanities मे विशिष्ट कार्य करने वाले को दिया जाता है , जिसकी financial वजूद #नोबल_प्राइज़ के बराबर होती है , यानि एक मिलियन डॉलर /
इस पुरस्कार की स्थापना व्यक्ति दुनिया के सबसे अमीर लोगों मे से एक व्यक्ति - John Werner Kluge (/ˈkluːɡi/; September 21, 1914 – September 8, 2010[2]) was a German-born American entrepreneur who was at one time the richest person in America.[3] He was best known as a television industry mogul in the United States. है , जिसने अमेरीकन काँग्रेस librery को उसकी 200वीं वर्षगांठ पर 2000 मे 60 मिलियन डॉलर दान देकर John W. Kluge Center की स्थापना करवाता है , जिसका उद्देश्य इन नामचीन विद्वानों का अम्रीका के राजनीतिज्ञों के साथ मेल- जोल बढ़ाना है /
अंत मे --- विद्वानों की परिभ्शा और उद्देश्यों को निम्नलिखित श्लोक से समझें --
विद्या विवादाय धनम मदाय शक्ति परेशाम परपीडनाय /
खलुश्च साधोर्विपरीतम एतद ज्ञानाय दानाय च रक्षणाय //
तो इन विद्वान महानुभावों के उस भाव को आमजन को पहचानना ही होगा क्योंकि इनकी विद्वता पर कोई संदेह नहीं कर सकता / सोवियत प्रेमी नेहरू ने वामपंथियोंके लिए विद्या के आगार (खजाने ) खोल दिये थे / तो विद्यार्जन कर पहले तो ये विद्वान हो गए फिर इन #वामी_विद्वानों ने एक गिरोह बनाया जो 68 साल तक एक ताकतवर रावण की तरह अधर्म और अनीति नामक मारीचो को प्रश्रय देता रहा /
लेकिन आप ये निर्णय स्वयम करें कि ये विद्वान विद्या का उपयोग ##विवाद पैदा करने के लिए कर रहे हैं कि ज्ञान देने के लिए ?
मैं #मुसहर हूँ ,
तुम #मुसबिल्ले
नाव डूबती छोड़ के भागो
नहीं तो होगे ##इलले_इलले
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