Wednesday, 18 November 2015

#‎काश_कृष्ण_पैगंबर_होते‬ /

#‎काश_कृष्ण_पैगंबर_होते‬ /
यद्यपि कृष्ण ‪#‎गो_पालक‬ थे , और ‪#‎पैगम्बर‬ और ‪#‎प्रोफेट‬ भी ऊंट और भेंड के पालक ‪#‎गड़रिये‬ थे / और सबका जन्म एशिया मे ही हुआ था /
लेकिन कृष्ण ‪#‎योगीराज‬ भी थे ,‪#‎योद्धा‬ थे , ‪#‎धर्मचार्य‬ थे , ‪#‎ऋषि_संदीपनी‬ से हर तरह के ‪#‎युद्ध‬ करने की विशेष्यगता भी प्राप्त की थी , गोपालक भी थे , ‪#‎सुदामा‬ के बचपन के मित्र भी थे जो - भाभी के द्वारा भेजे तीन मुट्ठी चावल के बदले ‪#‎तीन_लोक‬ देने के पहले - " पानी परात को हांथ छुयों नहीं, करुणा करके करुणानिधि रोये ", का उदाहरण प्रस्तुत किए /
और जब उनकी सखी द्रुपद पुत्री ‪#‎द्रौपदी‬ के सामने, सारे पांडव परास्त हो गए , तब जब अधर्म चंगुल के स्वामी एक ‪#‎वामी_दुर्योधन‬ के स्वांग और खड्यंत्र मे फंसे एक ‪#‎ब्रामहन_ऋषि‬ ‪#‎दुर्वासा‬ के भूंख को शांत करने के लिए के लिए वनवासी (एसटी ) ‪#‎युधिष्ठिर‬ के यहाँ भेजा गया ,तो #द्रौपदी की मर्यादा की रक्षा करने हेतु , अचानक धर्मनायक कृष्ण प्रकट होते हैं , और द्रोपदी से पूंछते हैं कि बहुत भुंख लगी है, कुछ खाने को मिलेगा क्या ?
द्रोपदी उस हँडिया को खोजती है जिसमे चावल पकाया था , लेकिन जिसको मांज धोकर रख दिया था / उसी को लाकर गोप्पाल्क कृष्ण के समक्ष रख देती हैं / उसमे एक चावल का टुकड़ा बचा था , उसे को कृष्ण ने खाया और बोला क्षुधा तृप्ति हो गई /
और फिर ‪#‎ऋषि_दुर्वासा‬ का और उनके शिष्यों का भी पेट भर गया /
पलट के लौटे नहीं /
लेकिन इतनी विविध व्यक्तित्व के ‪#‎कृष्ण‬ पैगंबर और प्रॉफ़ेट सिर्फ इसीलिए नही बन सके क्योंकि वे अपने शिक्षा दीक्षा और अपनी शक्ति को धर्म की जरूरत के अनुसार सबकी सहायता करते रहे / अपने लिए कुछ नहीं रखा /
इसीलिए वो भगवान बन गए /
बाकी सब भगवान गोड और अल्लाह के एजेंट गड़ेरिये / यानि कूरियर सर्विस /

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