#काश_कृष्ण_पैगंबर_होते /
यद्यपि कृष्ण #गो_पालक थे , और #पैगम्बर और #प्रोफेट भी ऊंट और भेंड के पालक #गड़रिये थे / और सबका जन्म एशिया मे ही हुआ था /
लेकिन कृष्ण #योगीराज भी थे ,#योद्धा थे , #धर्मचार्य थे , #ऋषि_संदीपनी से हर तरह के #युद्ध करने की विशेष्यगता भी प्राप्त की थी , गोपालक भी थे , #सुदामा के बचपन के मित्र भी थे जो - भाभी के द्वारा भेजे तीन मुट्ठी चावल के बदले #तीन_लोक देने के पहले - " पानी परात को हांथ छुयों नहीं, करुणा करके करुणानिधि रोये ", का उदाहरण प्रस्तुत किए /
यद्यपि कृष्ण #गो_पालक थे , और #पैगम्बर और #प्रोफेट भी ऊंट और भेंड के पालक #गड़रिये थे / और सबका जन्म एशिया मे ही हुआ था /
लेकिन कृष्ण #योगीराज भी थे ,#योद्धा थे , #धर्मचार्य थे , #ऋषि_संदीपनी से हर तरह के #युद्ध करने की विशेष्यगता भी प्राप्त की थी , गोपालक भी थे , #सुदामा के बचपन के मित्र भी थे जो - भाभी के द्वारा भेजे तीन मुट्ठी चावल के बदले #तीन_लोक देने के पहले - " पानी परात को हांथ छुयों नहीं, करुणा करके करुणानिधि रोये ", का उदाहरण प्रस्तुत किए /
और जब उनकी सखी द्रुपद पुत्री #द्रौपदी के सामने, सारे पांडव परास्त हो गए , तब जब अधर्म चंगुल के स्वामी एक #वामी_दुर्योधन के स्वांग और खड्यंत्र मे फंसे एक #ब्रामहन_ऋषि #दुर्वासा के भूंख को शांत करने के लिए के लिए वनवासी (एसटी ) #युधिष्ठिर
के यहाँ भेजा गया ,तो #द्रौपदी की मर्यादा की रक्षा करने हेतु , अचानक
धर्मनायक कृष्ण प्रकट होते हैं , और द्रोपदी से पूंछते हैं कि बहुत भुंख
लगी है, कुछ खाने को मिलेगा क्या ?
द्रोपदी उस हँडिया को खोजती है जिसमे चावल पकाया था , लेकिन जिसको मांज धोकर रख दिया था / उसी को लाकर गोप्पाल्क कृष्ण के समक्ष रख देती हैं / उसमे एक चावल का टुकड़ा बचा था , उसे को कृष्ण ने खाया और बोला क्षुधा तृप्ति हो गई /
और फिर #ऋषि_दुर्वासा का और उनके शिष्यों का भी पेट भर गया /
पलट के लौटे नहीं /
लेकिन इतनी विविध व्यक्तित्व के #कृष्ण पैगंबर और प्रॉफ़ेट सिर्फ इसीलिए नही बन सके क्योंकि वे अपने शिक्षा दीक्षा और अपनी शक्ति को धर्म की जरूरत के अनुसार सबकी सहायता करते रहे / अपने लिए कुछ नहीं रखा /
इसीलिए वो भगवान बन गए /
बाकी सब भगवान गोड और अल्लाह के एजेंट गड़ेरिये / यानि कूरियर सर्विस /
द्रोपदी उस हँडिया को खोजती है जिसमे चावल पकाया था , लेकिन जिसको मांज धोकर रख दिया था / उसी को लाकर गोप्पाल्क कृष्ण के समक्ष रख देती हैं / उसमे एक चावल का टुकड़ा बचा था , उसे को कृष्ण ने खाया और बोला क्षुधा तृप्ति हो गई /
और फिर #ऋषि_दुर्वासा का और उनके शिष्यों का भी पेट भर गया /
पलट के लौटे नहीं /
लेकिन इतनी विविध व्यक्तित्व के #कृष्ण पैगंबर और प्रॉफ़ेट सिर्फ इसीलिए नही बन सके क्योंकि वे अपने शिक्षा दीक्षा और अपनी शक्ति को धर्म की जरूरत के अनुसार सबकी सहायता करते रहे / अपने लिए कुछ नहीं रखा /
इसीलिए वो भगवान बन गए /
बाकी सब भगवान गोड और अल्लाह के एजेंट गड़ेरिये / यानि कूरियर सर्विस /
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