Monday 30 November 2015

आर्यावर्ते रेवाखंडे जम्बूद्वीपे के निवासी महाकुल कुलीन आर्य सभ्य सज्जन साधव लोग ही आर्य कहलाते हैं :Max Mueller a swindler

http://www.makingindia.co/2015/11/29/national-aryan-invasion-theory-was-given-by-a-sanskrit-illiterarte-facebook-post-by-tribhuwan-singh-online-news-in-hindi-india.html

ल्लिकार्जुन खड़गे नामक जीव ने डॉ अंबेडकर को भी ठीक से नहीं पढ़ा. शूद्र कौन थे, में आर्यों को बाहर से आने से को नकार दिया था, लेकिन ये जाहिलिया नेताओं की नेता ही जब मात्र क्लास 5 पास है, तो इनसे कुछ पढ़ने लिखने की कोई अपेक्षा करना ही मूर्खता है.
1780 में एशियाटिक सोसाइटी के संस्थापक विलियम जोन्स ने जब संस्कृत भाषा को ग्रीक और रोंमन से ज्यादा वृहद कहा, तो इसाइयों ने संस्कृत की जड़ खोदना शुरू किया. इसको पहले इंडो-इरानियन भाषा घोषित किया और भाषाविदों की एक नई शाखा ने जन्म लिया जिनको फिलोलोजिस्ट कहा जाता था. ये भाषा की उत्पत्ति के बारे में पता लगाते थे. बाद में इनको ओरिएंटलिस्ट भी कहा जाने लगा यानि जो दक्षिण एशिया के बारे में एक्सपर्ट हों. आगे जाकर इनको इंडोलोजिस्ट कहा जाने लगा.
विलियम जोन्स ने वो आधार दिया कि दुनिया की (यानि यूरोप भी) की सारी भाषाओं की उत्पत्ति एक ही भाषा से हुई है, और चूंकि बाइबल में बौबेल ऑफ टावर मेसोपोटेमिया के निकट इलाके में वर्णित है, इसलिए संस्कृत हो गई इंडो-इरानियन भाषा.
जो बाइबल के Genesis 11:1–9 में वर्णित इस verse को आधार देता था कि महाप्रलय के बाद मनुष्य पूरी दुनिया में फैलने के पूर्व एक ही भाषा बोलते थे. और वो भाषा थी संस्कृत, जो समस्त भाषाओं की जननी थी. ईरान से होते हुये संस्कृत को यूरोप ले जाया गया और अब संस्कृत हो गई इंडो-यूरोपियन भाषा.
बाद में एक संस्कृत का विद्वान पैदा हुआ जो ईस्ट इंडिया कपनी का दिहाड़ी मजदूर था, जो विद्वानों के अनुसार ऑक्सफोर्ड में प्रोफेसर था (ये उसकी पत्नी ने उसके मरणोपरांत बताया था). लेकिन उसने संस्कृत कहाँ से सीखी थी?
उसने संस्कृत सीखी Franz Bopp से. और Franz Bopp ने संस्कृत पेरिस में Alexander Hamilton से, जो 1783 में ईस्ट इंडिया का फौजी था और जो विलियम की एशियाटिक सोसाइटी का मेम्बर भी बना और 1797 में वापस चला गया एक ग्रंथ के साथ - Terms of Sanscrit Grammar, London, 1815 नामक डिक्शनरी के साथ.
उसी विद्वान की डिक्शनरी से मात्र 6 महीने में संस्कृत का एक्सपर्ट हो गया. उसी ने 1900 के आस पास ये उडाया कि आर्य बाहर से आए और संस्कृत इंडो-जर्मन भाषा हो गई. और सुप्रीम आर्य हिटलर, यूरोप के अपने ईसाई सैनिकों के भुजाओं पर स्वस्तिक छाप कर दूसरे विश्व युद्ध में 60 लाख यहूदियों और 40 लाख का कत्ल कर देता है -
I believe today that I am acting in the sense of the Almighty
Creator. By warding off the Jews I am fighting for the Lord’s work.
[Adolph Hitler, Speech, Reichstag, 1936]
आर्यों के बाहर आने से ईसाई अंग्रेजों का ये नैतिक क्लैम बना कि वे भी भारतीयों के बिछड़े भाई है जो फिर वापस आ गए हैं, दूसरी बात ये कि उनकी लूट जायज है क्योंकि आर्यों ने भी भारतीयों को लूटा और शासित किया था.
प्रदोश आइच ने गंभीर रिसर्च करके ये लिखा है कि Maxmueller, विश्वविद्यालय में प्रोफेसर तो दूर की बात है, उसने विश्वविद्यालय का मुंह भी नहीं देखा था. वो धोखेबाज था : Max Mueller a swindler - Haindava Keralam
www.haindavakeralam.com/HKPage.aspx?PageID=11325
आर्य का अर्थ बताने के पूर्व दो शब्द द्रविड़ शब्द पर : जिस तरह आर्य को एक बाहर से आई नस्ल साबित किया जिनमें सवर्ण कहा गया यानि ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य, उसी तरह दक्षिण में सन्यासी बन कर फ्रॉड करके धर्म परिवर्तन का खेल सबसे पहले Roberto de Nobili ने शुरू किया. लेकिन इसको असली जामा कालांतर में maxmuller के समकालीन विलियम मौनिएर मौनिएर तथा अन्य लोगों ने पहनाया और द्रविड़ को एक अलग नस्ल और मूलनिवासी सिद्ध किया. इस पर फिर कभी लिखूंगा.
लेकिन संस्कृत ग्रंथ के अनुसार द्रविड़ का अर्थ - धन बल और पराक्रम होता है, और आदि शंकर के अनुसार दक्षिण के श्रृंगेरी मठ के अधीन केरल, आंध्र, कर्नाटक और द्रविड़ (आजकल तमिलनाडु), एक भौगोलिक स्थान होता है न कि एक नस्ल.
अब आर्य का अर्थ जाने - अमरकोश के अनुसार सज्जन व्यक्तियों को 6 संज्ञाओं से संबोधित किया जाता है -
खट सज्जनस्य -
महाकुल कुलीन आर्य सभ्य सज्जन साधवह.
तो खड़गे जी हम सज्जन आर्य लोग उस समय से इस भारत में रह रहे हैं जब यहां -- आर्यावर्ते रेवाखंडे जम्बूद्वीपे -- के नाम से संकल्प लिया जाता था.
इस देश में बाहर से आने वाले ईसाई और कसाई है. आया कुछ समझ में?
- Tribhuwan Singh

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