Thursday, 5 November 2015

#‎Why_should_I_Tolerate_you‬ ? #‎आइये_सहिष्णुता_सहिष्णुता_खेलें‬ :

#‎आइये_सहिष्णुता_सहिष्णुता_खेलें‬ :
‪#‎Why_should_I_Tolerate_you‬ ?
ये तथाकथित ‪#‎बुद्धू_जीवी‬ ‪#‎वामी_कुपंथी‬ , जो अनुवादों की पैदाइश है , क्या उन शब्दों के सही माने भी जानते हैं , जिनको लेकर ये ‪#‎हल्ला_हो_अखबार‬ मचाये हुये हैं ?
‪#‎सहिष्णु‬ होना यानि ‪#‎Tolerate‬ करना / इसका अपना एक इतिहास है । चर्च की क्रूर और अमानवीय नियमों के खिलाफ जब लोगों ने कैथोलॉस के विरोध में प्रोटेस्टंट ईसाइयत का एक अलग पंथ बनाया तो आपस में एक दूसरे के खिलाफ वैमनष्य और विष भरा एक माहौल तैयार हो गया ;और लोग एक दूसरे के खून के प्यासे हो गये। ऐसे में एक ‪#‎Act_of_Toleration‬ (1689) लाया गया / कि भाई आपका faith अलग है लेकिन एक दूसरे को न पसंद करो , लेकिन फेथ के नाम पर एक दूसरे की हत्या न करो , कम से कम एक दूसरे को tolerate तो करो /
आपको ज्ञात होगा 1600 मे ‪#‎ब्रुनो‬ ने जब बाइबल से इतर राय व्यक्त की कि -"पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगती है " , तो उसको चर्च ने 7 साल जेल मे रखने के बाद, आग मे जलाकर मार डालने की आज्ञा दी थी /
अम्रीका के 20 करोड़ रेड इंडियन को यूरोप के इसाइयों ने रेलीजन के नाम पर 1500 से 1800 के बीच कत्ल करके उनकी संपत्ति पर कब्जा कर ली /
बाद मे इसाइयों ने चर्च को राज्य कए कार्यों मे दाखल न देने के लिए ‪#‎सेकुलर‬ शब्द की खोज की , और फिर चर्च ने राजी के कार्यों मे प्रत्यक्ष दाखल बंद करके ‪#‎धर्म‬ परिवर्तन कि परोक्ष रूप रेखा अपनाई /
अब्राहमिक रेलीजन का तीसरा सेक्ट है , इस्लाम जो जैसा पैदा हुआ था , आज भी वैसा ही है / उसमे न Toleration कि व्यवस्था है , और न ही ‪#‎सेकुलरिस्म‬ का / उदाहरण है हाल ताज तक भारत के अंग रहे पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान / मात्र 68 साल मे पाकिस्तान मे जहां 1947 मे 22% हिन्दू थे आज 1% बचे हैं , और बांग्लादेश मे 35% हिन्दू थे , आज मात्र 7% बचे हैं /
हिंदुओं ने तो यहूद , फारसी मोपला मुसलमान , ईसाई आदि लोगों को न सिर्फ शरण दिया सम्मान भी दिया और अपने देवी देवताओं को पूजने के लिये उनको स्वतन्त्रता दी /
और आज हमे समझा रहे हो ‪#‎सहिष्णुता‬ बरतो / मैं तो कहता हूँ मैं तुम्हें क्यों tolerate करूँ ?
सिर्फ इसलिए कि तुम हमारे साथ रहते हो और तुमको नापसंद करने के बावजूद भी तुमको tolerate करूँ ?
मैं तो कहता हूँ कि tolerate मत करो एक दूसरे को , एक दूसरे का सम्मान करो , एक दूसरे की पूजा पद्धति का सम्मान करो /
हिन्दू #धर्म किसी ‪#‎संघितबद्ध‬ पुस्तक से बंधा नहीं है , इसलिए ये इजाजत वो पुस्तकें भी देती हैं और हमारे धर्म गुरु भी /
लेकिन #संघितबद्ध पुस्तकों से बंधे ‪#‎मजहब‬ और ‪#‎रेलीजन‬ के लोग क्या तुम्हारी ‪#‎पवित्र‬ पुस्तकें और तुम्हारे ‪#‎उम्मा‬ और ‪#‎theologist‬ (धर्मगुरु) क्या इसकी अनुमति देते हैं ?
और :
अंत मे कार्ल हूपर कि बात जरूर सुनना सब लोग - सहिष्णु और असहिष्णु दोनों --" Unlimited tolerance must lead to the disappearance of tolerance. If we extend unlimited tolerance even to those who are intolerant, if we are not prepared to defend a tolerant society against the onslaught of the intolerant, then the tolerant will be destroyed, and tolerance with them. [Karl Popper, "The Open Society and Its Enemies," 1962]
समझ मे न आए तो ट्रांसलते कर दू ये भी ?
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toleration (n.) Look up toleration at Dictionary.com
1510s, "permission granted by authority, license," from Middle French tolération (15c.), from Latin tolerationem (nominative toleratio) "a bearing, supporting, enduring," noun of action from past participle stem of tolerare "to endure, sustain, support, suffer," literally "to bear," from PIE *tele- "to bear, carry" (see extol).
Meaning "forbearance, sufferance" is from 1580s. The specific religious sense is from 1609; as in Act of Toleration (1689), statute granting freedom of religious worship (with conditions) to dissenting Protestants in England. In this it means "recognition of the right of private judgment in matters of faith and worship; liberty granted by the government to preach and worship as one pleases; equality under the law without regard to religion."
If any man err from the right way, it is his own misfortune, no injury to thee; nor therefore art thou to punish him in the things of this life because thou supposest he will be miserable in that which is to come. Nobody, therefore, in fine, neither single persons nor churches, nay, nor even commonwealths, have any just title to invade the civil rights and worldly goods of each other upon pretence of religion. [John Locke, "Letter Concerning Toleration," 1689]
Before any man can be considered as a member of Civil Society, he must be considered as a subject of the Governour of the Universe: And if a member of Civil Society, do it with a saving of his allegiance to the Universal Sovereign. We maintain therefore that in matters of Religion, no man's right is abridged by the institution of Civil Society and that Religion is wholly exempt from its cognizance. [James Madison, "Memorial and Remonstrance Against Religious Assessments," 1785]
Unlimited tolerance must lead to the disappearance of tolerance. If we extend unlimited tolerance even to those who are intolerant, if we are not prepared to defend a tolerant society against the onslaught of the intolerant, then the tolerant will be destroyed, and tolerance with them. [Karl Popper, "The Open Society and Its Enemies," 1962]

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