Sunday 30 August 2015

क्या ब्रिटिश भारत पर “भारत के भलाई के लिए” के लिए शासन कर रहा है ? - J Sundreland इंडिया इन Bondage



IS BRITAIN RULING INDIA “ FOR INDIA’S GOOD ‘” ? भाग _-1
 क्या ब्रिटिश भारत पर “भारत के भलाई के लिए” के लिए शासन कर रहा है ?
क्या भारत मे रह रहे ब्रिटिश मुख्यतः भारत की अच्छाई के लिए निवास कर रहे हैं या फिर अपने स्वार्थों की वजह से ? यह एक ऐसा प्रश्न है , जो भारत मे ब्रिटिश शासन के संवन्ध  मे लगभग सभी पुस्तकों और वार्तालाप मे इतना महत्वपूर्ण स्थान  रखता है कि इस पर एक सावधान विवेचना की आवश्यकता है , जिसका कोई जिम्मेदार उत्तर मिल सके /
John Morley ने लिखा : जो दूसरों के साथ अन्याय और शोसन करते हैं उनका बहाना होता है , कि उनका उद्देश्य उनकी भलाई करना है /
ये उन लोगों पर विशेष कर लागू होता है जो दूसरों पर  मिलिटरी ताकत जरिये विजय प्राप्त  कर उन पर शासन करते हैं / ये नए खोजे हुये रेकोड्स को देखना अत्यंत रुचिकर है कि किस तरह प्राचीन इजिप्त बेबीलोनिया और अस्स्यरिया पर साम्राज्य  स्थापित करने वाले कितने उदार थे – और कितने सावधान थे,  जब उन्होने उन देशों मे सेनाओं को आक्रमण करने और  विजित  करने और गुलाम बनाने के पूर्व जो संदेश भेजा था कि वे वहाँ उनके “ मित्र “ की तरह आ रहे थे और “ उनका भला करने  के लिए “ उन प्र शासन करने वाले थे / महान सिकंदर भी जिन देशों को जीता वो उनके भले के लिए ही जीता था / स्पेनिश लोगों ने मेक्सिको पेरु और नए संसार को जीतने के पूर्व भी यही घोषणा ज़ोर शोर से की थी कि वे वहाँ के लोगों का भला करने के लिए ही उनको जीतने आए थे , और उनको हर संभव लाभ पाहुचना ही उनका उद्देश्य था , खास तौर पर उनको इसाइयत का उपहार  देकर , जिससे उनकी आत्मा सुरक्शित रह सके,  भले इसमे उनको अपने घर परिवार और जीवन से हाथ धोना पड़ा हो / नेपोलेयन कि विजय यात्रा के पूर्व ये घोषणा हुयी थी कि जिन देशो को जीतने वाला था वहाँ के लोगों को मुक्ति दिलवाना और अच्छा शासन प्रदान करना ही उसका उद्देश्य था / अंततः यूरोप आधी शताब्दी तक “ अपने भलाई “ के हेतु खून की होली खेलता रहा /
मुझे यह कहते हुये पछतावा हो रहा है कि यूनाइटेड स्टेट्स भी उसी तरह से लोगों की भलाई करने मे लगा हुआ है / हमने हैती पर आक्रमण ( वास्तव मे ही आक्रमण किया , चाहे युद्ध का एलन न भी किया हो तो ) किया वहाँ की सरकार को सत्ताच्युत किया , वहाँ के लोगों को एक विदेशी संविधान मे बांधा ,उनकी परम्पराओं का हरण किया और सैकड़ो लोगों को बिना वार्निंग दिये गोली मार दी ; लेकिन हमारा दावा यही है कि ये सब हमने हैती के भले के लिए किया / हमने साल्वाडोर निकारगुवा और पणामा के लोगों के अधिकारों को बिभिन्न तरीके से कुचल कर रख दिया , लेकिन हमारा दावा यही बना हुआ है कि ये उनके भले के लिए किया गया /
हमारे निस्वार्थ साम्राज्यवाद का सर्वोत्तम उदाहरण  अभी हाल मे हमारी फिलीपींस पर जीत है / उस जीत के संदर्भ मे हैममे से बहुतों को याद होगा कि किस तरह हम अपने सैनिकों और अपनी साम्राज्यवादी नीतियों के बारे मे प्रायः  बात करते थे , बहुतेरे राजनेता और कुछ धार्मिक गुरु किस तरह “ गोरों के कंधो के बोझ “ (whiteman’s burden ) , जिसको हम तुच्छ लोगों के ऊपर शासन ,  अपनी “पवित्र ज़िम्मेदारी” समझकर एक पवत्र कार्य कर रहे हैं , और किस तरह एक “ भलाई भरा तानाशाही “ जैसे महत्वपूर्ण कार्यों से संसार भरा पड़ा है / इस तरह हम अपनी आत्मा को बहलाकर शांत करते थे कि कि हम ये सब कार्य उनकी भलाई के लिए कर रहे हैं , जबकि सच्चाई ये है कि हमने उन लोगों के खिलाफ युद्ध लड़ा जिन्होने  हमे कभी रत्ती भर नुकसान नहीं पहुंचाया था , और हमें हजारों लोगों का कत्ल  किया ,उनके सैकड़ों गाव आग के हवाले कर दिया , उनके गणतन्त्र को नष्ट  कर उनको अपने नियम कानून मानने को विवश कर दिया /
ग्रेट ब्रिटेन ने अपने विजय अभियान  को धरती पर , किसी अन्य देश कि तुलना मे ,ज्यादा विस्तृत रूप से चलाया , जिसमे उसके योद्धा लड़ते रहे और मरते रहे , जबतक कि सारी जमीन और समुद्री छोर , रुयार्ड किपलिंग के शब्दों मे , “ उनकी हड्डियों से नीले नहीं हो गए “ ( Blue with their bones ) / क्यों ? हमेशा एक ही बयान था : उन्हीं विजित लोगों की “ भलाई “ के लिए , जिनहोने ब्रिटिश शासन के आगे घुटने टेक दिये – भारत उन गुलाम बनाए हुये देशो  मे सबसे महत्वपूर्ण था /
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