Tuesday, 11 August 2015

गावँ में पहले एक प्रथा थी । अगर निमन्त्रण मिल जाय तो कुछ पण्डित जी लोग एक या दो दिन भोजन नही करते थे , अपनी भूखे रहने की क्षमता के अनुसार ।केवल नमक चाट कर पानी पीकर काम चलाते थे।
ये परंपरा ऋषियों ने शुरू की होगी , जिसका सामजिक और वैज्ञानिक दोनों पक्ष है ।
आज दुनिया की सबसे भयानक समस्या ‪#‎मोटापा‬ Obesity है । जिसके कारण diabetese ब्लड प्रेशर गठिया (OA ) जैसी बीमारियों का भरमार होना है ; जिनके अपने अनेक अलग complications होते हैं ।
सामजिक पहलू ये है कि भूंखे रहने के उपरांत जब आप किसी के यहाँ भोजन करने जाते है तो सुखी रोटी भी जन्नत का सुख प्रदान करती है , और आप आतिथेय के भोजन में खोंट निकालकर उसका अनादर करने से बच जाते है ।
दूसरी बात जब आप कैलोरी एडवांस में खर्च कर देते हैं तो चर्बी कहाँ से जमा होगी यानि मोटापा से छुटकारा ।
लेकिन जब हम लोगों ने उस प्रथा को अपमानित करना शुरू किया कि कैसा दरिद्दर बाभन है कि न्योता मिलने पर घर पर खाना बन्द कर देता है ?
तो शर्म के मारे उन्होंने भी उस प्रथा को त्याग दिया।
आज Sunil Saxena ने एक भूखे रहने यानि व्रत रखने का एक नया फायदा बताया कि मॉडर्न साइंस कह रहा है कि इसके कारण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है ।

 http://ac.els-cdn.com/S1934590914002033/1-s2.0-S1934590914002033-main.pdf?_tid=34f18aaa-3c09-11e5-9382-00000aab0f27&acdnat=1438844774_cb62605eaee55c67709eebfd958f3601

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