Tuesday, 11 August 2015

India in Bondage : J Sunderland

भारत के समाज संस्कृति और वैभव के बारे मे जेम्स मिल मक्ष्मुल्लर MA Sherring या आरिजिनल संस्कृत टेक्स्ट के लेखक जॉन मुईर के निगाहों से ही देखा समझा गया है , जो एक धूर्त और झूठे खडयंत्र कारियों का गिरोह भर था ।

कालांतर मे ‪#‎वाम_कुपंथियों‬ ने ‪#‎मार्क्स_मंत्र‬ के देखरेख मे उसको आगे बढ़ाया जिसने 1853 मे लिखा कि -
" अंग्रेजों के जिम्मे 2 महत्वपूर्ण काम है - (1) Asiatic सोसाइटी ( भारतीय समाज ) का विनाश , और (2) उसके ऊपर पाश्चात्य भौतिकवाद को लादना । और वो आज भी यही कर रहे हैं।
आज भी अनेकों भारतीय अंग्रेजों के दरियादिली और उनके योगदान का गुण गाते रहते है कि अंग्रेजों ने अलान किया और फलां किया।

जब 1928 मे डॉ अंबेडकर साइमन कमीसन से मुहब्बत की पींगें बढ़ा रहे थे, तो 1929 मे J Sunderland नामक अमेरीकन ने 33 साल भारत के बारे मे रिसर्च करके एक बूक लिखी - India In Bondage। उसी से उद्धृत कुछ अंश प्रस्तुत कर रहा हूँ :
" आखिर इंग्लैंड भारत मे है ही क्यूँ ? पहली बात तो ये है कि वो वहाँ गया ही क्यूँ , और अभी तक टिका हुआ क्यू है वहाँ ? अम्रीका की जब खोज हुई थी , तो यदि भारत अम्रीका कि तुलना मे प्रायः खाली स्थान वाला देश होता , और अंग्रेज़ वहाँ घर बना कर बसना चाहता था , तब भी बात समझ मे आती ।लेकिन वो तो पहले से ही (सघन आबादी से ) भरी हुयी थी , तो व्योहारिक स्तर पर ये तथ्य समझ मे आ जाता है कि अंग्रेज़ वह बसने नहीं गया था । अगर भारतीय बर्बर और असभ्य होते , जिसके कोई निशान नहीं मिलते , तो भी उनको विजित कर उनके ऊपर शासन करना उचित माना जा सकता था। लेकिन वो भारतीय ग्रेट ब्रिटेन कि तुलना मे प्राचीन काल से ही सुसंगठित शासन चलाने वाले लोग थे , जिनकी सभ्यता इंग्लैंड के पैदाइश के पूर्व ही अत्यंत विकसित हो चुकी थी।
महान दिल्ली दरबार मे 1901 मे भारत के वाइसरॉय लॉर्ड कर्जन ने कहा था कि -- " (भारत मे ) उस समय ताकतवर साम्राज्य हुआ करता था जब अंग्रेज़ जंगलों मे भटका करते थे , और ब्रिटिश कॉलोनियाँ जंगलों मे इधर उधर घूमा करती थीं। भारत ने मानवता के लिए इतिहास , दर्शन और धर्म के क्षेत्र मे , ब्रम्हाण्ड मे किसी भी सभ्यता की तुलना मे अमित योगदान दिया है "। ऐसी है वो धरती , जिसको इंग्लैंड ने जीता और Dependency की तरह शासन कर रहा है । ऐसे हैं वो लोग जिनको इंग्लैंड बंधक बनाए हुये है ; जिनको उनको भाग्य के सहारे छोड़ दिया गया है , और उनको आवाज भी उठाने नहीं दे रहा। किंग एडवर्ड के राज्याभिषेक के अवसर पर कनाडा के सम्मानित प्रधानमंत्री सर एडवर्ड लौरिएर ने घोषणा की कि -- " रोम का साम्राज्य गुलाम देशों से निर्मित था , जबकि ब्रिटिश साम्राज्य स्वतंत्र देशों की गलक्सी है । " लेकिन क्या महान भारत देश स्वतंत्र है ? सितम्बर 1927 की लीग ऑफ नेशन्स की बैठक मे सर ऑस्टिन चमबेरलीन ने ब्रिटिश साम्राज्य के बारे मे बोला कि - " ये स्वतंत्र और समान अधिकार प्राप्त लोगों का एक महान कॉमनवैल्थ है । "
ये statesman क्यों ऐसी भाषा का प्रयोग करते हैं , जब वो जानते है कि तथ्य इसके ठीक उलटे हैं ? भारत जो ब्रिटिश साम्राज्य के 80 % से ज्यादा बड़ा है , स्वतंत्र नहीं है , गुलाम है , और 20% माइनॉरिटी की तुलना मे भारत के लोगों को समानता का अधिकार प्राप्त नहीं है , जिन पर ज़ोर जबर्दस्ती से शासन किया जा रहा है। अतः हम देख सकते हैं कि ब्रिटिश साम्राज्य का 80 % हिस्सा " गलक्सी ऑफ फ्री नेशन्स , या स्वतंत्र और समान अधिकार वाले कॉमन वैल्थ " के बजाय गुलाम साम्राज्य है।
शायद गैर जिम्मेदार शासन से खतरनाक या दुस्ट प्रवृत्ति वाली कोई भी चीज नहीं होती । " 


‪#‎नोट‬ : भारत का पक्ष अभी तक मेरी जानकारी के अनुसार तीन ही लोगों ने रखा है।
1- गणेश सखरारम देउसकर 1904 - " देश की कथा "
2- J Sunderland - India in Bondage 1929
3- Will Durant - Case For India 1930
सबके सब डॉ अंबेडकर के राजनीतिक कारीयर के शुरवाती दिनों या उसके पहले की हैं । अफसोस , एक भी पुस्तक उनकी निगाहों न से न गुजरीं ?

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