भारत
के इतिहासकारों का भी बहुत दोष नहीं है कि वे गोरी चमड़ी वालों के चक्कर मे
कैसे घंचककर बन गए / बहुत से तथ्य ब्रिटिश सरकार ने सरकारी स्टेटमेंट मे
लिखा ही नहीं , या झूठ लिखा / जैसे भारत का दसवीं आबादी अन्न के अभाव मे
1900 आते आते काल के गाल मे समा गया /
तो कहाँ से पैदा करते ये उन तथ्यो को ? कॉपी पेस्ट विद्वान ही विश्वविदलयों मे कुर्सी कुर्सी पर कब्जा किए हैं पिछले न जाने कितने वर्षों से /
खैर आप आगे पढ़िये #दास्ताने_हिंदुस्तान J Sunderland की कलम से / ये 1929 मे लिखी गई बूक है जब ब्रिटिश और एउरोपीय ईसाई विद्वान , भारत का सवर्ण असवर्ण , आर्य द्रविड़ , depressed class और अछूत , और कास्ट मे वर्णन कर रहे थे /
पिछला पढ़ें https://www.facebook.com/tribhuwan.singh.908
" उन अकालों के बारे मे जिनकी रेपोर्टिंग तक की गई सरकारी आकड़ों मे
सच्चाई तो यही है कि , भारत मे अकाल लगातार ही पड़ते जा रहे हैं / लेकिन इन अकालों की रेपोर्टिंग ब्रिटिश सरकार नहीं करती और विश्व इन अकालों से अवगत नहीं है / यहाँ तक कि जब यहा अच्छी बारिश होती है और फसल भी अच्छी होती है , तब भी अकाल पड़ते हैं ; जिसका तात्पर्य यह है कि भुखमरी यहाँ व्यापक पैमाने पर फैली हुई है जो हजारों लाखों लोगों को मौत के आगोश मे सुला रही है , जिसके बारे मे आपको सरकार द्वारा जारी किसी भी स्टेटमेंट मे पढ़ने को नहीं मिलता , और उसके बारे मे आप तभी अवगत हो सकते हैं जब आप स्वयं अपनी आँखों से न देख लें / लाखों करोनो लोग जिनकी मौत का कारण ब्रिटिश सरकार बुखार , पेचिश या अन्य कारणों से रिपोर्ट कर रही है , वो वास्तव मे लंबे समय से अन्न के अभाव के कारण शारीरिक कमजोरी और कभी न खत्म होने वाली भुखमरी के कारण है / जब प्लेग या इंफ्लुएंजा की महामारी आती हैं तो इन भयानक मौतों का कारण , लंबे समय की भुखमरी ही होती है /
इन लगातार हो रही भयानक अकालों का कारण क्या है , जिसका कुछ अंश कभी किसी अन्य नाम से रिपोर्ट होता है , कुछ अंश सच्चाई के साथ रिपोर्ट होता है , लेकिन अधिकांश भाग की रेपोर्टिंग होती ही नहीं ?
एक सामन्य सा उत्तर है , बरसात का न होना यानि सूखा / लेकिन पिछले 100 सालों का इतिहास उठाकर देखा जाय तो पता चलता है कि ऐसा तो कट्टई नहीं है कि आज 100 साल पहले से कम बारिश हो रही हो / बावजूद उसके, सूखे के कारण अकाल क्यों पड़ेगा ? ये निर्विवाद सत्य है कि भारत जैसे विशाल देश मे इतना वृहद सूखा कभी भी नहीं पड़ा कि पर्याप्त अन्न की पैदावार न हुई हो / तब क्यों लोग भूंख से मर रहे हैं ? क्योंकि वास्तव मे अन्न का अभाव कभी था ही नहीं / और उन अकालग्रस्त इलाकों मे भी कभी अन्न का अभाव नहीं रहा , क्योंकि रेलवे पर्याप्त अनाज ढोकर लाती है , या पास पड़ोस मे अनाज उपलब्ध है / भारत मे अकाल और दुर्भिक्ष के दिनों मे भी पर्याप्त अनाज होता था , लेकिन सिर्फ उन्ही के लिए जिनकी उसे खरीदने की हैसियत होती थी / विश्वयुद्ध तक भारत मे अनाज का दाम काफी औसत दर्जे का था / ये दो ब्रिटिश की दो कमिशन की रिपोर्ट है , जिसको उन्होने गहराई से छानबीन कर लिखी थी / फिर क्यों करोनोन लोग अन्न के अभाव मे प्राण त्यागने को विवश हुये ?
क्योंकि वे अवर्णनीय रूप से गरीब थे / भारत के इन अकालो के कारनो की काफी सोध और खोज के उपरांत एक ही निर्णय पर पहुंचा जा सका है कि इसका मुख्य कारण लोगों की गरीबी है – ऐसी भयानक गरीबी जो बहुसंख्यक जनता को भरपूर अन्न उपलब्ध होने के बावजूद , लगभग भुखमरी कि स्थिति मे जीने को बादध्य किए हुये है ; और सूखा पड़ने की स्थिति मे जब फसलों की पैदावार नहीं होती तो उनकी स्थिति असहाय हो जाती है , और उनके तथा मौत के बीच की दूरी खत्म हो जाती है , यदि बीच मे कोई मदद करने को आगे नहीं आता तो / असम के चीफ़ कमिश्नर सिर चार्ल्स इल्लीओट ने कहा – “ कृषि पर आधारित आधी जनता साल के छ महीना तो ये भी नहीं जानती कि भरपेट भोजन क्या होता है / ” आदरणीय GK Gokhale ने कहा –“ 6 से 7 करोण भारतीय कि साल मे एक बार भी भरपेट भोजन क्या होता है , इससे अवगत ही नहीं है /”
इस स्थिति मे कोई सुधार होता दिखाई भी नहीं देता / महात्मा गांधी और रेवेरेंड C F Andrew जी , जो कि अति विश्वसनीय व्यक्ति हैं, उन्होने अभी हाल मे ये निर्णय सुनाया है कि भारत के लोग दिनों दिन गरीब होते जा रहे हैं /
पेज – 11 – 14
तो कहाँ से पैदा करते ये उन तथ्यो को ? कॉपी पेस्ट विद्वान ही विश्वविदलयों मे कुर्सी कुर्सी पर कब्जा किए हैं पिछले न जाने कितने वर्षों से /
खैर आप आगे पढ़िये #दास्ताने_हिंदुस्तान J Sunderland की कलम से / ये 1929 मे लिखी गई बूक है जब ब्रिटिश और एउरोपीय ईसाई विद्वान , भारत का सवर्ण असवर्ण , आर्य द्रविड़ , depressed class और अछूत , और कास्ट मे वर्णन कर रहे थे /
पिछला पढ़ें https://www.facebook.com/tribhuwan.singh.908
" उन अकालों के बारे मे जिनकी रेपोर्टिंग तक की गई सरकारी आकड़ों मे
सच्चाई तो यही है कि , भारत मे अकाल लगातार ही पड़ते जा रहे हैं / लेकिन इन अकालों की रेपोर्टिंग ब्रिटिश सरकार नहीं करती और विश्व इन अकालों से अवगत नहीं है / यहाँ तक कि जब यहा अच्छी बारिश होती है और फसल भी अच्छी होती है , तब भी अकाल पड़ते हैं ; जिसका तात्पर्य यह है कि भुखमरी यहाँ व्यापक पैमाने पर फैली हुई है जो हजारों लाखों लोगों को मौत के आगोश मे सुला रही है , जिसके बारे मे आपको सरकार द्वारा जारी किसी भी स्टेटमेंट मे पढ़ने को नहीं मिलता , और उसके बारे मे आप तभी अवगत हो सकते हैं जब आप स्वयं अपनी आँखों से न देख लें / लाखों करोनो लोग जिनकी मौत का कारण ब्रिटिश सरकार बुखार , पेचिश या अन्य कारणों से रिपोर्ट कर रही है , वो वास्तव मे लंबे समय से अन्न के अभाव के कारण शारीरिक कमजोरी और कभी न खत्म होने वाली भुखमरी के कारण है / जब प्लेग या इंफ्लुएंजा की महामारी आती हैं तो इन भयानक मौतों का कारण , लंबे समय की भुखमरी ही होती है /
इन लगातार हो रही भयानक अकालों का कारण क्या है , जिसका कुछ अंश कभी किसी अन्य नाम से रिपोर्ट होता है , कुछ अंश सच्चाई के साथ रिपोर्ट होता है , लेकिन अधिकांश भाग की रेपोर्टिंग होती ही नहीं ?
एक सामन्य सा उत्तर है , बरसात का न होना यानि सूखा / लेकिन पिछले 100 सालों का इतिहास उठाकर देखा जाय तो पता चलता है कि ऐसा तो कट्टई नहीं है कि आज 100 साल पहले से कम बारिश हो रही हो / बावजूद उसके, सूखे के कारण अकाल क्यों पड़ेगा ? ये निर्विवाद सत्य है कि भारत जैसे विशाल देश मे इतना वृहद सूखा कभी भी नहीं पड़ा कि पर्याप्त अन्न की पैदावार न हुई हो / तब क्यों लोग भूंख से मर रहे हैं ? क्योंकि वास्तव मे अन्न का अभाव कभी था ही नहीं / और उन अकालग्रस्त इलाकों मे भी कभी अन्न का अभाव नहीं रहा , क्योंकि रेलवे पर्याप्त अनाज ढोकर लाती है , या पास पड़ोस मे अनाज उपलब्ध है / भारत मे अकाल और दुर्भिक्ष के दिनों मे भी पर्याप्त अनाज होता था , लेकिन सिर्फ उन्ही के लिए जिनकी उसे खरीदने की हैसियत होती थी / विश्वयुद्ध तक भारत मे अनाज का दाम काफी औसत दर्जे का था / ये दो ब्रिटिश की दो कमिशन की रिपोर्ट है , जिसको उन्होने गहराई से छानबीन कर लिखी थी / फिर क्यों करोनोन लोग अन्न के अभाव मे प्राण त्यागने को विवश हुये ?
क्योंकि वे अवर्णनीय रूप से गरीब थे / भारत के इन अकालो के कारनो की काफी सोध और खोज के उपरांत एक ही निर्णय पर पहुंचा जा सका है कि इसका मुख्य कारण लोगों की गरीबी है – ऐसी भयानक गरीबी जो बहुसंख्यक जनता को भरपूर अन्न उपलब्ध होने के बावजूद , लगभग भुखमरी कि स्थिति मे जीने को बादध्य किए हुये है ; और सूखा पड़ने की स्थिति मे जब फसलों की पैदावार नहीं होती तो उनकी स्थिति असहाय हो जाती है , और उनके तथा मौत के बीच की दूरी खत्म हो जाती है , यदि बीच मे कोई मदद करने को आगे नहीं आता तो / असम के चीफ़ कमिश्नर सिर चार्ल्स इल्लीओट ने कहा – “ कृषि पर आधारित आधी जनता साल के छ महीना तो ये भी नहीं जानती कि भरपेट भोजन क्या होता है / ” आदरणीय GK Gokhale ने कहा –“ 6 से 7 करोण भारतीय कि साल मे एक बार भी भरपेट भोजन क्या होता है , इससे अवगत ही नहीं है /”
इस स्थिति मे कोई सुधार होता दिखाई भी नहीं देता / महात्मा गांधी और रेवेरेंड C F Andrew जी , जो कि अति विश्वसनीय व्यक्ति हैं, उन्होने अभी हाल मे ये निर्णय सुनाया है कि भारत के लोग दिनों दिन गरीब होते जा रहे हैं /
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