Wednesday, 2 September 2015

IS BRITAIN RULING INDIA “ FOR INDIA’S GOOD ‘” ? भाग -2


क्या ब्रिटिश भारत पर “भारत के भलाई के लिए” के लिए शासन कर रहा है ?
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यहाँ ऐसा कुछ नहीं है जैसा की हमे अक्सर सुनने को मिलता है और जो लगातार पूरे विश्व मे घोषित किया जाता है कि ग्रेट ब्रिटेन भारत मे निस्वार्थ उद्देश्यों के कारण “ भारत कि भलाई के लिए “ यहा रह रहा है ; कि ये भारतीयों का का ट्रस्टी है , जो “ईश्वरीय आदेश “ से भारत की “देखभाल” और “सुरक्षा” के लिए जिम्मेदार है , और इसलिए ये उसका कर्तव्य है कि उनको उनके इकषा और विरोध के बावजूद गुलाम बना कर रखे और उन पर शासन करे, ; और वो विवादों के बावजूद भी “गोरों के कंधो पर रखा गया बोझ “ को उठा रहा है ; यद्यपि वो उनकी स्वतन्त्रता और स्वराज्य का पक्षधर है लेकिन ये तुच्छ और अज्ञानी लोग है जो अर्धसभ्य बच्चे के समान है, जिनको उच्च किस्म के ब्रिटिश मालिकान की तुलना मे , अपने भले बुरे का ज्ञान नहीं है , इसलिए उनके साथ बच्चों जैसा ही व्योहर करने की बाध्यता है ; वास्तव मे , उसकी समवेदनाए इनके साथ जुड़ी हुयी है और वह निस्वार्थ भाव से उनको स्वराज्य के लिए शिक्षित कर रहा है , लेकिन ये काम बहुत सावधानी से और धीमे गति से करना पद रहा है क्योंकि अगर इनको तुरत फुरत मे स्वराज दे दिया जाय तो उसके परिणाम इनके लिए घातक होंगे /
लेकिन क्या ये एक दिखावा मात्र नहीं है ?
वर्ल्ड अफेयर्स के अमेरीकन विद्वान और इतिहासकर डॉ हेरबेर्ट एडम्स गिब्बंस भारत पर ब्रिटिश शासन के बारे मे अपना निर्णय सुनाते हुये लिखते हैं – “ कैप्टन ट्रोत्तर के “भारत का इतिहास “ या लोवाट फ्रेजर की “ India under Curzon and After “ को पढ़ने से , जेबी भारत की बता आती है तो आप को इन बुद्धिमान अंग्रेजों के Perverted नैतिकता का एहसास होता है /मैं कुछ बहुत ही अच्छे अंग्रेजों को जानता हूँ जिनहोने भारत मे सिविल या मिलिटरी मे अपनी सेवाएँ दी हैं / उनके मन मे कभी भी ये प्रश्न नहीं उठा कि वो भुखमरी से पीड़ित लोगों से उनकी इकषा के विरुद्ध मोटा वेतन कैसे ले रहे हैं , या सीमांत के आदिवासियों पर आक्रमण करके उनको गोलियों से भून रहे है , या किस तरह से वो भारतीयों की बेंत से पिटाई करने और उनकी हत्याओं की निंदा क्यों नहीं कर रहे , जैसा कि वे स्वयम करते यदि उनके साथ कोई ऐसा ही बर्ताव करता तो / भारत के प्रति हो रहे अन्याया की अनदेखी करना ब्रिटीशरेस की आनुवांशिक दोष है / ब्रिटिशर देशभक्त हैं / उसको ये विश्वास है कि यदि वो मानवता की सेवा नहीं कर रहा है तो अपने देश कि तो सेवा कर रहा है / लेकिन यदि वो ब्रिटिश के भारत मे शासन और उसकी उपस्थिति का आंकलन करेगा तो Whiteman ‘s Burden को सहने का क्या अर्थ है , उसको अवश्य समझ मे आएगा /
(1) एक ऐसे बाजार मे अपने समान कि बिक्री करना जहां कोई अन्य प्रतियोगी नहीं है /
(2) इनवेस्टमेंट की सुविधा और concession के एकाधिकार
(3) पायरोल्ल पर जाने का अवसर
इस बात का विरोध यह बोलकर किया जा सकता है कि भारत के व्यवसायिक शोसण के बदले उसको सुशासन प्रदान किया जा रहा है , तो उसका तात्कालिक उत्तर ये होगा कि ब्रिटेन कोई वहाँ लोकोपकारी काम नहीं कर रहा बल्कि इस शासन के बदले मे भारत से वो नकद मोटी रकम लेता है , जो ज़्यादातर अंग्रेजों को एक अनुकूल और लाभकारी रोजगार देता है, जो उसके लिए दुनिया के किसी हिस्से मे भी प्राप्त नहीं हो सकती /

पेज – 68 – 70
J Sunderland

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