News Feed

 ये चुनौती प्रस्तुत कर रहा हूँ मैं , उन लेखको और चिंतकों के समक्ष , जो अंग्रेजों को अपना माई बाप मानते है / जो इस बात के लिए उनके आभारी है कि अंग्रेजों ने उनको पढ़ने लिखने की स्वतन्त्रता दिलवाई वरना उनको तो हजारों सालों से शिक्षा से वंचित रखा मनुवादियों ने / ये चुनौती उन विद्वानों के समक्ष भी रख रहा हूँ जो , भारत के समाज शास्त्र को मनुस्मृति से व्याख्यायित करने की कोशिश पिछले 100 वर्षों से कर रहे हैं ?
आइये अगर अपनी माँ का दूध पिया है तो इन तथ्यों को गलत साबित करिए , या इसको मनुस्मृति से इक्सप्लेन कीजिये /
वरना डूब मरो चुल्लू भर पानी मे / शक्ल न दिखाना अपनी किसी पब्लिक प्लेटफोरम पर /
वरना ये पब्लिक है , सब जानती है / अब आपका स्वागत भी करेगी ये पब्लिक /
---------------------------------------------------------------------------------------------------------
अगर आप नए साथी हैं तो कुछ लिंक पेश हैं उनको पहले पढ़ ले /
(1) https://www.facebook.com/tribhuwan.singh.908/posts/1086055251424541
(2) https://www.facebook.com/tribhuwan.singh.908/posts/1087230404640359
(3) https://www.facebook.com/tribhuwan.singh.908
(4) https://www.facebook.com/tribhuwan.singh.908
(5) https://www.facebook.com/tribhuwan.singh.908/posts/1088984154464984
बाकी आगे पढे
------------------------------------------------------------------------------------------------------
ये कुछ झ्ंकियाँ है भारत की असली तस्वीर की / ये वो भारत नहीं है जो एक सामान्य यात्री कॉमन निर्धारित रास्तों पर चलते हुये देखता है , जो लंदन और पेरिस के तर्ज पर बने हुये होटेलों मे ठहरता है , और देश के अंग्रेज़ लॉट साहबान से मिलता जुलता है / ये वो भारत नहीं है , जिसको ब्रिटिश “ गर्व के साथ दिखाता है “ , और जिसके बारे मे अपनी पुस्तकों और कमर्शियल रिपोर्ट मे वर्णित करता है / लेकिन ये भारत का अंतरतम है , जिसको अंदर से देखने पर पता चलता है , ये भारतीयों का भारत है , यहाँ के स्त्री पुरुष और बच्चों का भारत है , जो इसके असली मालिक हैं , जो टैक्स देते है और सारा भार सहते हैं , और महंगी वेदेशी सरकार के खर्चे उठाती है / ये उन स्त्री पुरुषों और बच्चों का भारत है , जो अकाल आने पर भुंख से अपनी जान दे देते हैं / ये उन भारतीय पुरुषों और महिलाओं का भारत है , जो अपनी स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष कर रहे हैं , क्यूंकि यही उनकी एक मात्र आस है , इस देश को शोसन से बचाने का , और इस दरिद्रता और असहायता से मुक्ति पाने का /
भारत कि इस गरीबी का एक कारण तो है भारी टैक्स वसूली / इंग्लैंड और स्कॉटलैंड मे भी भरी टैक्सेशन है , जिसके लिए वे सामान्य और शांतिकाल मे भी हल्ला मचाते रहते हैं / लेकिन भारत के लोगों पर इंग्लैंड की तुलना मे दो गुना और स्कॉटलैंड की तुलना मे तीन गुना है / ब्रिटिश के हाउस ऑफ कोम्मोंस मे मिस्टर Cathcart Watson , MP ने कहा –“ हमें पता है कि सकल उत्पाद का भारत मे बाकी देशों कि तुलना मे दुगना टैक्स वसूली हो रही है / “ लेकिन स्कॉटलैंड इंग्लैंड और अम्रीका मे भारी टैक्स वसूली से वो तबाही नहीं हो रही जितना कि भारत मे , क्यूंकी इन देशों मे लोगों की आय भारतीयों की तुलना मे बहुत ज्यादा है / Herbert Spincer ने इसके विरोध मे कहा कि , “ ये निर्दयता पूर्वक भारत के गरीब रैयत ( किसानों ) से उनकी पैदावार का आधा हिस्सा टैक्स के रूप मे वसूल रहे हैं / “ आज टैक्सेशन Spincer के समय काल से ज्यादा है / कितनी भी दिक्कतें आए लेकिन टैक्सेशन दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है /
एक उदाहरण के तौर पर नमक की बात करते है / दुनिया के तमाम सभ्य देश इस बात से सहमत हैं कि नमक की गिनती उन अंतिम वस्तुओं मे आता है , जिन पर टैक्स लगाया जाना चाहिए / इसके दो कारण हैं : एक ये हर जगह ‘ जीवन उपयोगी ‘ वस्तु है , और इसलिए ऐसा कुछ भी नहीं होना चाहिए जिससे लोगों की इसकी पर्याप्त मात्रा न मिल सके ; दूसरे इसका बोझ सबसे ज्यादा गरीब लोगों के कंधे पर पड़ता है / लेकिन ये ऐसा टैक्स है , जिसको वसूलना आसान है , और अगर इसकी दर ऊंची हो तो ये भारी रेविन्यू पाइयदा कर सकता है , क्योंकि नमक एक ऐसी वस्तु है जिसको या तो इस्तेमाल करो या इसके अभाव मे प्राण त्याग करो / और इसलिए ये सरकार की फिक्स पॉलिसी रही है कि भारतीय लोगों पर भारी नमक टैक्स लगाओ / पिछले दिनों मे भारत के करोनो गरीब लोग, मेडिकल अथॉरिटी द्वारा स्वास्थ्य के लिए आवश्यक जीने नमक की आवश्यकता होती है , उसकी आधी मात्रा मे ही जीवन यापन करने को मजबूर हैं /
भारत की गरीबी का दूसरा कारण , ब्रिटिश शासन द्वारा भारत के मैनुफेक्चुरिंग का विनष्ट किया जाना है / जब ब्रिटिश यहाँ के परिदृश्य मे उपस्थित हुआ तो , भारत दुनिया के सबसे धनी देशों मे से एक हुआ करता था ; वस्तुतः ये उसका वैभव ही था जिसने ब्रिटिश को यहाँ आने को मजबूर किया था / भारत के इस धन वैभव का श्रोत मुख्यतः उसका विशाल मैनुफेक्चुरिंग था / उसका सूती वस्त्र , सिल्क के सामान , ढाका का मलमल , अहमदाबाद का brocades , rugs , सिंध की pottery , ज्वेलरी , मेटल वर्क , और Lapidary Work , एशिया मे ही प्रसिद्ध नहीं थे , बल्कि उत्तरी अफ्रीका और एउरोप के बड़े बाज़ारों मे भी प्रसिद्ध थे /
J Sunderland page 14 - 16