Tuesday, 11 August 2015

आखिर इन अकालों का अर्थ क्या है ? J Sunderland : India in Bondage ; 1929

आखिर इन अकालों का अर्थ क्या है / यहाँ एक सम्मानित ब्रिटिश नागरिक , जोकि भारत मे वर्षों तक सेवारत रह चुके हैं , और ज्ंको भारत की गहरी समझ है , उनकी पुस्तक से एक चित्रण पेश कर रहा हूँ / चूंकि वो ब्रिटिश है इसलिए अगर उनको कोई पूर्वाग्रह होगा तो अपने देशवासियों के पक्ष मे ही होगा / मिस्टर WS Lilly ने अपनी पुस्तक “ इंडिया अँड इट्स प्रॉब्लेम्स “ मे निम्नांकित रूप से लिखते है :
“ 19वीं शताब्दी के पहले 80 वर्षों मे अकाल से भारत मे एक करोड़ अस्सी लाख मौतें हुयी / मात्र उसी एक वर्ष मे , जिस वर्ष मे रानी विक्टोरिया सत्तासीन होती हैं , दक्षिण भारत मे 50 लाख लोग भुंख से मर जाते हैं / बेल्लारी जिला , जिससे मैं व्यक्तिगत रूप से परिचित हूँ – जिसका क्षेत्रफल वेल्स की यूलना मे दो गुना होगा , 1876 – 1877 मे वहाँ की पूरी आबादी का एक चौथाई हिससा अकाल के कारण मौत के मुह मे समा जाता है / मैं अपना खुद का अकाल का वो अनुभव नहीं भूल पाऊँगा जब घोड़े पर प्रतिदिन सुबह जेबी मै नरकंकालों की भीड़ के बीच से गुजरता था , तो सड़क के किनारे पड़ी लावारिश लाशे, जिनको दफनाया भी नहीं गया था , उनको नोच नोच कर कुत्ते और गिद्ध खा रहे थे / उससे भी दुखद दृश्य उन बच्चों का था , जिनको ग्रीक मे “ विश्व के आनंद का श्रोत “ के नाम से सम्वोधित किया गया है , जो अपनी माताओं से वंचित , जिनकी ज्वार से तपती कटोंरो मे धँसी चमकती आंखे , जो मात्र मांसमज्जा रहित अस्थिपंजर मात्र, जिनके सर के स्थान पर एक अस्थि खोपड़ी बची थी , जिंका पूरा व्यक्तित्व ही घृनित बीमारी का घर तब से है जब से वो अपनी माँ के गर्भा मे आयें होंगे , और जन्म से लेकर आज तक जिनकी परवरिश इनहि आकाओं के बीच हुयी होगी – वो दृश्य और वो घटना जब भी मुझे याद आती है आज भी मुझे विचलित कर देती है / भारत मे जो भी व्यक्ति उन अकालों के समय रहा है , और अंदर तक झाँका है , वो इन सबसे परिचित है /
मिस्टर लिली का अनुमान 80 सालों मे 18,000,000 मौतों का है / इसका अर्थ समझते है –- मात्र दो पीढ़ियों के समयकाल जरा से ज्यादा समय मे अन्न के अभाव मे इतने लोगों की मौत हुयी जिसकी तुलना , कनाडा न्यू इंग्लैंड स्टेट्स , डेलावेर और फ्लॉरिडा की पूरी आबादी , और फ़्रांस की आधी आबादी को मिलकर होगी / लेकिन सबसे ज्यादा आश्चर्य की बात ये है कि जैसे जैसे समय गुजरता गया , वैसे ही इन अकालों की संख्या और इनकी भयवहता बढ़ती गई /
ब्रिटिश सरकार लाखों लोगों की मौतों का कारण बुखार , पेंचिस या अन्य इन्हीं तरह की बीमारियाँ की रिपोर्ट तैयार करता है , जबकि ये अकाल मौतें लंबे समय के अन्नाभाव और endless starvation के कारण हो रही है / मान ले यदि पिछले शताब्दी को 25 साल के कालखण्ड में बांटे तो पहले 25 वर्ष में 5 अकाल आये सुर 10 लाख लोगों की मौत हुई । दुसरे 25 वर्षों में दो अकाल आये और 4 लाख लोगों की मौत हुई । तीसरे 25 वर्ष में 6 अकाल और 50 लाख मौतें । और शताब्दी के अंतिम 25 वर्षों में -- हम क्या पाते हैं ? 18 अकाल और हुई मौतों की संख्या आश्चर्यजनक रूप से कुल 1.5 करोड़ से 2.6 करोड़ ।और इनमे वो लाखो मौते शामिल नहीं है which are kept alive ( over 6,000,000 ) by government doles .

जब भी प्लेग या इंफ्लुएंजा जैसे epidemic होते हैं , इन मौतों का कारण लंबे समय से अन्नाभाव मे बिताया गया भूंख से व्यतीत किया गया जीवन है /
J Sunderland page 11-13
यानि भारत की कुल आबादी का दसवां हिस्सा अन्नाभाव के कारण मौत के मुंह में समा जाता है जिसका कारन डॉ आंबेडकर ने ‪#‎मनुस्मृति‬ में खोज निकाला।

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