Friday 15 May 2015

#‎शब्दों_कि_यात्रा‬ : : ‪#‎हरिजन_गांधी‬ से ‪#‎दलित_अंबेडकर‬ तक की यात्रा : क्यों जरूरी थी ?

‪#‎शब्दों_कि_यात्रा‬ : : ‪#‎हरिजन_गांधी‬ से ‪#‎दलित_अंबेडकर‬ तक की यात्रा : क्यों जरूरी थी ?
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बहुत पहले मुझे ये तो नहीं याद है कि कौन सा वर्ष और कौन सा महीना , लेकिन हिन्दी अखबारों की हेडलाइन देखी थी – “ कि अगर हम भगवान की औलाद हैं तो गांधी क्या शैतान की औलाद था ?’ एक कर्कशा नारी का कर्कशा सम्बोधन गांधी के लिए / उस समय मूझे भी लगा कि बात तो सही है , क्योंकि तब मैं भी गांधी को भारत का और खास तौर पर हिंदुओं का दुश्मन ही मानता था /
वो महिला बाद मे बहुत प्रसिद्ध हुयी और उसने डॉ अंबेडकर के विचारों से प्रभावित लोगों के मत (वोट ) का खुलेआम सौदा किया / और न जाने कितने बड़े धन की मालिकाइन है आज , ये वो खुद भी नहीं जानती /
गांधी पहले व्यक्ति थे जिन्होने समुद्री डाकुवो(अंग्रेजों ) द्वारा भारत के आर्थिक तंत्र को विनष्ट करने के कारण, मैनुफेक्चुरिंग के उस्ताद लोगों को बेरोजगार और बेघर किए गए लोगों को एक सम्मानित संज्ञा दी - ‪#‎हरिजन‬, अर्थात प्रभु परमेश्वर के समान , अर्थात दरिद्रनरायन /
लेकिन गांधी भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने छुवाछूट का विरोध किया और आजीवन हरिजन बस्ती में रहे।छुवाछुट को हिंदुत्व का कलंक घोसित किया। अपने समय में कट्टर हिन्दू होने का टाइटल मिला उनको ब्रिटिश द्वारा भी और जिन्ना द्वारा भी।
तो सवाल ये पैदा होता है कि किन लोगों को जरूरत थी कि उन हरिजनों को हिन्दू गांधी के चंगुल से निकाल कर रानी विकटोरिया द्वारा प्रदत्त दलित ( depressed Class ) संज्ञा से सुशोभित करवाने की शाजिश रचने की ? इससे क्या हासिल होना था ? और किसको हासिल होना था ? उन हरिजनों को कि उनको हिन्दू गांधी के चंगुल से मुक्त करवाने वालो को ?
इसको समझने के लिए आपको उनको समझना पड़ेगा जो Event Manager हैं जिन्होने उसकी व्याख्या की – और उसे हरिजन से हरिजना बनाया गया ;यानि हरि या भगवान की औलाद ; यानि जिसके बाप का पता नहीं, यानि हरामी : तो फिर इसके मायने बदल गये , और गांधी महा मानव से शैतान की औलाद की यात्रा तय करते हैं ,और फिर गांधी ही गाली हो गए हरिजनों के लिए / और ये जुमले कामयाब हुये / कौन थी ये अंजान महिला, जिसको गांधी को गाली देने के कारण फ्रंट पेज पे जगह मिली ?? और कौन ताकतवर लोग थे जिन्होने वो जगह दिलवाई ?? उनके इरादे क्या थे ??
अगर गांधी के हरिजन का अर्थ भगवान की औलाद है : तो सदजन का अर्थ अवश्य ही सज्जन पुरुष की औलाद होगी , और दुर्जन का अर्थ अवश्य ही दुस्ट बाप की औलाद होता होगा /
कौन थे वो ‪#‎क्रॉस_ब्रेड_पोषित_हरामी‬ जिन्होंने ये व्याख्या की और उसको हर मस्तिस्क में प्लांट किया ??

वैसे मेरे हिसाब से डॉ अंबेडकर गांधी के विरोधी अवश्य थे वैचारिक स्तर पर , लेकिन उन्होने कभी ‪#‎गांधी_के_हरिजन‬ को ‪#‎अंबेडकर_के_दलित‬ से विस्थापित करने कि बात कभी की ही नहीं /
दलित चिंतकों से आग्रह है कि यदि मैं गलत हूँ तो उसको सुधारें /
नोट -- तुलसीदास जी कहते हैं –
“ हरिजन जानि प्रीति अति काढ़ी
सजल नयन पुलकावलि बाढी /”
ये बात सीताजी के भावनाओं को संदर्भित करने के लिए लिखा : जब हनुमान जी अशोकवाटिका मे सीता से मिलने जाते हैं , जहां हरिजन का अर्थ भगवान का प्रतिनिधि, भगवान का आत्मीय जन या उनही के समान /

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