Tuesday, 12 May 2015

कौटिल्य के अर्थशास्त्र मे भी आर्य का अर्थ -- एक सज्जन व्यक्ति

ईसाई संस्कृतज्ञों ने जिनमे प्रदोष ऐच के अनुसार "maxmuller was swindeler" (google कर लें) प्रमुख था , उसने हल्ला मचाया कि आर्य यानि संस्कृत बोलने वाले बाहर से आये। हालाँकि इस झूठ को 1946 में डॉ आंबेडकर ने स्वयं नकार दिया था (Who were Shudras : page-60) ; और पिछले 15 वर्षों में इसको कई विद्वानों ने इसे झूंठ और भारत के खिलाफ " लूटो बाँटो और राज्य करो " की नीति सिद्ध कर चुके हैं ।
लेकिन ईसाई मिशनरिस और विदेशी सॉफ्ट पॉवर तथा NGOs ने भारत के ‪#‎मलनिवेशियों‬ पर मेहनत और पैसा खर्च कर मूलनिवासी का हल्लाबोल मचा रखा है ; धर्म परिवर्तन हेतु हथियार बनाकर।
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अब संस्कृत ग्रंथों से इस शब्द का क्या अर्थ है उसको समझें।
(1) अमरकोश के अनुसार
खट सज्जनस्य
महाकुल कुलीन आर्य सभ्य सज्जन साधवः।

अर्थात् सज्जन व्यक्ति को 6 नामों से संबोधित किया जाता है।
महाकुल
कुलीन
आर्य
सभ्य
सज्जन
साधु।

अब देखिये कौटिल्य अपने अर्थशास्त्र में क्या लिखते हैं ।
" चतुर्भागह् सूपह् ; सूपखोडशो लवडस्यांशः, चतुर्भागह् सर्पिषह् तैलस्य वा, एकम् आर्य भक्तं।"
अर्थात- प्रस्थ का चौथा हिस्सा दाल , दाल का सोलावह हिस्सा नमक , दाल का चौथा हिस्सा घी या तेल ; इतना ही एक आर्य की भोजन सामग्री है।

अब आर्य का क्या अर्थ है यहाँ ? ?
कि एक सभ्य सज्जन साधु प्रवित्ति के व्यक्ति के जीवन यापन के लिए इतना भोजन पर्याप्त है।
दानव और असुर प्रवित्ति के लिए कितना भी भोजन अपर्याप्त होता है।

2 comments:

  1. we know wrong information about Aryan at some time ago, but slowly-2 ,its clear that residency of Aryan is in Hindustan

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  2. we know wrong information about Aryan at some time ago, but slowly-2 ,its clear that residency of Aryan is in Hindustan

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