Tuesday 19 May 2015

मध्यकालीन भारत का वैभव और समाज का वर्णन एक अरेबिक यात्री ABD-ER-RAZZZAK की यात्रा वृत्तांत से


 अब इसी पुस्तक से एक अन्य यात्री ABD-ER-RAZZZAK की यात्रा वृत्तांत के बारे में ।
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साल 845 ( 1442 AD) , इस यात्रा वृत्तांत का लेखक Abd-er- razzak , Ishak का पुत्र सार्वभौमिक नरेश के आदेश के पालन हेतु Omurz प्रान्त से समुद्र तट की ओर चल देता है ।
अंततः 18 दिनों की यात्रा के उपरांत , वहां के राजा और शासक की मदद से हमारी नौका कालीकट में जा खड़ी हुई ।अब इस विनम्र दास इस देश के वैभव और परम्पर और संस्कृति की चर्चा सुनें।
कालीकट एक सुरक्षित बंदरगाह है जहा Omurz की तरह हर देश और शहर से व्यापारी अपना सामान ले आते हैं ।यहाँ पर मूल्यवान वस्तुओं का भंडार है जो कि Abyssinia Zirbad (दक्कन) Zanguebar से आते हैं। समय समय पर अल्लाह के घर (मक्का) से जहाज आते रहते हैं ।इस कस्बे में काफ़िर (infidels) रहते हैं।जोकि इस hostile समुद्री तट के किनारे बसे हुए हैं।
यहाँ पर्याप्त मात्रा में मुसलमान भी रहते हैं जिन्होंने यहाँ दो मस्जिद बना रखी है और जिसमे हर शुक्रवार को वो नमाज पढ़ने जाते हैं । यहाँ एक क़ाजी है जो Schfei समुदाय का है।

 इस कसबे में सुरक्षा और न्याय इस तरह से स्थापित है कि अन्य देशो से सबसे धनी व्यापारी जब समुद्री मार्ग से अपना सामान ले आते है तो जहाज से सामान उतरवाकर सीधे बिना किसी हिचकिचाहट के सामन सीधे बाजार में भेज देते है ; यहाँ तक कि उसका हिसाब किताब रखने की या उस पर निगाह रखने की आवाश्याकता भी महसूस नहीं करते। कस्टम हाउस के अधिकारी स्वयं इन समानो की देख रेख का इंतजाम करते हैं जो इन पर 24 घण्टे निगाह रखते हैं।जब सामन बिक जाता है तो सामान की कीमत 1/40 वां One fortieth हिस्सा ड्यूटी के रूप में देना पड़ता है।जो सामान नहीं बिकता उस पर कोई टैक्स नहीं लगता।
( N । B । याद रखें कि उस समयकाल में कालीकट में हिन्दू राजाओ का राज्य था।अब दूसरे बंदरगाहों का क्या हाल था ?)
 दूसरे बंदरगाहों में अजीब सी रिवायत है।जैसे ही कोई जहाज दुर्योग से हवा की रुख के कारन वहां पहुचता है , वहां के निवासी उसको लूट लेते हैं।लेकिन कालीकट में ऐसा नहीं है , हर जहाज चाहे वो जहाँ से भी आई हो और कही भी उतरती हो , जब भी बंदरगाह पर लगती है तो उससे एक सा ही व्योहार किया जाता है , और किसी को कोई समस्या नहीं होती।

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    इस देश के काले लोग सर्वथा नंगे रहते हैं, मात्र शरीर के मध्यभाग में एक कपड़ा लपेटे रहते हैं जिसको लंगोटा (Lankautah) कहते हैं जो नाभि से घुटने तक लटकता है।उनके एक हाँथ में भारतीय तलवार (Poignard) होती है जो एक पानी की बूँद की तरह चमकदार
    होती है; और दूसरे हाँथ में एक ढाल (Buckler of oxide) होती है ।ये परंपरा राजा से लेकर रंक तक सब के लिए एक सामान है। This custom is common to the king and beggar.
    जहाँ तक मुसलमानों की बात है वे अरबों की तरह शानदार (Apparel ) और हर बात में बैभव (Luxury) का प्रदर्शन करते हैं।
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    कुछ समय अवधि के बाद जब मेरे पास पर्याप्त काफिरों और मुसलमानों को देखने का अनुभव हो गया , और पर्याप्त सुविधा से मेरे आवास की व्यवस्था हो गयी और तीन दिनों के उपरांत राजा से मिलने का अवसर प्राप्त हुवा तो मैंने बाकी ऊपर वर्णित हिंदुओं की वेश - भूसा वाले नंगे बदन के जिस व्यक्ति को देखा उसे समरी '(Sameri) के राजा ' के नाम से जाना जाता था।जब इसकी मृत्यु होगी तो इसके बहन के लड़कों को इसका उत्तराधिकार मिलेगा ; न कि इसके बेटों या भाइयों को या अन्य किसी रिष्तेदार को उत्तराधिकार मिलेगा। ताकत के दम पर ( जोर जबरदस्ती ) कोई सिंहासनारूढ़ नहीं हो सकता।
     यहाँ काफ़िर काफी गुटों में बंटे हुए है जैसे Bramins (ब्राम्हण) Djogis (जोगी) व अन्य। यद्यपि सारे लोग बहुदेवबाद और मूर्तिपूजा के मूलभूत सिद्धांतों से सहमत हैं लेकिन सब समुदायों के अपने विशेष रीति रिवाज हैं।
    (Forbes की हिंदुस्तानी डिक्शनरी के अनुसार Djoghis हिन्दू Ascetics ( संत) हैं : ये हिन्दूओं की एक जाति है जो मुख्यतः बुनकर हैं )
     
    नोट -- इस तर्क पर कबीर को समझें। उनका समयकाल भी लगभग इसी के आस पास का है ।
     जब मैं राजकुमार से मिलने गया तो पूरा हाल दो या तीन हजार हिन्दुओ से भरा हुवा था , जिनकी वेश भूषा ठीक वैसे ही थी जिसका पूर्व में जिक्र किया जा चूका है ; मुस्लमाओं के भी प्रमुख लोग वहां थे।
     अब्देररज्जाक को जब विजयनगर के राजा का आमन्त्रण मिलता है तो , वो बतलाता है कि यद्यपि सामरी (कालीकट का राजा ) जिसके राज्य में कालीकट जैसे 300 बंदरगाह थे और जिसके राज्य का पूरा चक्कर लगाने में 3 महीना गुजर जाय विजयनगर के राजा के अधीन नहीं था लेकिन वो उनका बहुत सम्मान करता था और उनके डर ( सम्मान होना चाहिए क्योंकि एक अरब सिर्फ ताकत की जुबां ही जानता है ) से खड़ा हो जाता है।
     कालीकट से जहाज लगातार मक्का जाते रहते हैं जिसमे मुख्यतः काली मिर्च भरा होता था।
    कालीकट के निवासी बहुत साहसी सामुद्रिक नाविक हैं जिनको Techini - betechegan (चीनी के पुत्र ) के नाम से जाना जाता है और समुद्री लुटेरों की हिम्मत इनके जहाजों पर आक्रमण करने की नहीं पडती है।
     इस बंदरगाह पर हर इच्छित चीज उपलब्ध है । सिर्फ एक ही चीज की मनाही है और वह है गोबध और उसका मांस भक्षण : यदि ऐसे किसी व्यक्ति का पता चल जाय कि किसी ने गाय का वध किया है या उसका मांस खाया है तो उसको तुरंत मृत्यदंड दी जाती है। यहाँ पर गायों का इतना सम्मान है कि लोग गाय के सूखे गोबर का तिलक लगातेहैं । पेज -123
     इसके बाद जब रज्जाक बेलूर (Belour) पहुँचता है तो उसका भी वर्णन करता है --" यहाँ के घर पैलेस की तरह विशाल हैं और यहाँ की औरतों ने मुझे हूरों की खूबसूरती की याद दिला दी । अगर मैं इन भवनों के बारे में वर्णन करूँगा तो लोग मुझ पर अतिशयोक्ति का आरोप लगाएंगे। लेकिन एक सामान्य खाका खींचना उचित होगा । कस्बे के मध्य में एक 10 घेज़ (Ghez) का खुला मैदान है जिसकी तुलना जन्नत के बाग़ से की जा सकती है। पेज - 126
     इस कसबे में दो तीन दिन बिताकर अप्रैल के अंत में हम विजयनगर शहर पहुँचते है।राजा अपने अनुचरों को हम लोगों से मिलने के लिए भेजता है और हमारे निवास की खूबसूरत व्यवस्था करता है।
     अब्दुर्रज़्ज़ाक ने विजयनगर का भी वर्णन किया है।उसने एक विशाल जनसंख्या वाली जगह देखी जिसका राजा महान और विशाल राज्य का स्वामी था जो सेरेंडिब से kalbergah तक फैला हुवा था। बंगाल के सीमान्त से मालाबार तक एक हजार Parasang ( ये दुरी की पर्शियन इकाई है जसका अर्थ 3.5 मील या 5.6 किलोमीटर होता है ) से ज्यादा विशाल साम्राज्य है
    इसकी जमीन उपजाऊ है और ये उत्तम कृषि वाला देश है , जिसके अंतर्गत लगभग 300 बंदरगाह हैं। यहाँ 1000 से ज्यादा विशालकाय हांथी हैं जो दैत्य जैसे भयानक और पहाड़ जैसे विशालकाय हैं।यहाँ की सेना में 11 लाख सैनिक हैं । पेज - 127
     पूरे हिंदुस्तान में राय (राजाओं) का एकाधिकार है । इस देश के राजा क़ी टाइटल भी राय है ।इसके बाद दूसरा नंबर ब्राम्हणो का है जो सामाजिक रूप से बाकियो से श्रेष्ठ माने जाते हैं
    kalilah और dimna (कालिदास और वेद ??) की पुस्तकें , विद्वता के साहित्य की उत्क्रिस्ट कृतिया हैं जो पर्शियन भाषा में भी उपलब्ध है।
     विजयनगर एक ऐसा शहर है जिसकी बराबरी विश्व में कोई भी नहीं कर सकता है और ऐसा शहर न लोगों ने न अपनी आँखों से देखा होगा न कानों से सुना होगा। पेज - 127
     इस साम्राज्य में इतनी विशाल जनसंख्या निवास करती है कि इसकी विस्तृत व्याख्या किये बगैर इसके बारे में बताना असंभव है। राजा के महल में अनेक कोठरियां हैं जो धन दौलत से भरी पड़ी हैं।
    इस देश के सभी निवासी ( All inhabitants of this country) , चाहे वो ऊचें राजप
    द पर हों या नीचे राजपद पर हों , या फिर बाजार के अर्टिसन ( down to the artisan of the Bazar) , सबके सब अपने कानों में मोती या अन्य महगें पथरो से मढ़ी हुई बालियां , हार अगुंठिया बाजूबंद अपने कानों गले उँगलियों और भुजाओं में धारण करते हैं।
    All the inhabitants of the country , both those of exalted rank and of the inferior class down to the artizans of Bazaar , wear pearls , or rings adorned with precious stones , in their ear , on their arms , on upper part of the hand and on the fingers. पेज -- 130।

    नोट - इससे और लेख इसी पेज से उद्धृत करना है।

     India in the fifteenth century .
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    being a collection of
    "Narratives of Voyages of India"
    By
    R. H. Major Esq., F.S.A.

    से उद्धृत

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