Friday 27 March 2015

knowledge and wisdom

एषां न विद्या तपो न दानं ज्ञानं न शीलं गुणों न धर्मः
ते मर्त्यलोके भुविभारभूता मनुष्य रूपेण मृगश्चरंति।।

इसी दर्शन को आज कल wisdom के नाम से बुलाते हैं ।
ज्ञान का संग्रहित रूप ही विजडम कहलाता है ।इसके 6 आयाम होते हैं । और हर आयाम का व्यक्ति के विजडम में एक सामान भागीदारी होती है : 
(1) cognitive knowledge - ये आपके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पहलु हैं आपके कैरिअर के लिए, रोजी कमाने के लिए जो ज्ञान आप प्राप्त करते है उसे cognitive knowledge कहते हैं , जैसे डॉ इंजीनियर वकील पत्रकार शिक्षक IAS , PCS आदि ।
हमारे समाज का पूरा जोर मात्र इसी ज्ञान को प्राप्त करने पर है क्योंकि जीवन का आधार "अर्थ" प्राप्ति का यही साधन है ।
लेकिन wisdom के 6 facet में ये मात्र एक अंग है। लेकिन महत्वपूर्ण है । उदाहरणस्वरूप गांधी ने एक आंदोलन को दुबारा रिपीट नहीं किया। जब भी वे नया आंदोलन शुरू किया नए तरीके से।दूसरी तरफ मिनी गांधी यानि अन्ना एक साल पहले सुपरहिट लेकिन हाल में फुस्स। क्योंकि ले दे के जंतर मंतर और भूख हड़ताल।
ये फर्क इसलिए हुवा कि दोनों के cognitive knowledge के स्तर में फर्क था।

दुर्भाग्य की बात ये है कि मात्र cognitive knowledge वाले लोग ही समाज और देश की नीतियां बना रहे है । बाकी 5 facet उनके व्यक्तित्व में कही स्थान ही नही रखते।

(2) Emotional Knowledge : ये भी बहुत महत्व्पूर्ण है ।इसका अर्थ ये होता है कि आप कैसे अपनी बात को रखें कि लोगों को अपील करे। वाणी में चाशनी कैसे घोलें कि सामनेवाला मन्त्रमुग्ध हो जाय। पुराने जमाने में कृष्ण थे और नए में Sumant Bhattacharya सर हैं ।
नेताओं में ये ज्ञान प्रचुरता से पाया जाता है ।
(नोट: लेकिन पता चलता है कि ज्ञानी भी हैं वाणी में अद्भुत मिठास भी है लेकिन चोर है ससुरा।क्योंकि शास्त्रों में लिखा है - "अति मधुरम् चौरस्य लक्षणम्"। तो फिर ? आगे देखें
(3) Moral Knowledge : आप के अंदर नीति और अनीति को समझने का विवेक होना चाहिए। नीरछीर विवेकी, कि गलत क्या है सही क्या है ।
(नोट- आदमी ज्ञानी भी मधुर वाणी भी हो उचित अनुचित (आवांछकी) का ज्ञान भी हो लेकिन उसको देश समाज से सरोकार ही न हो तो ? सामने हो किसी स्त्री की लाज लूटी जा रही हो और उसकी परवाह ही न करे तो ? आगे देखें )
(4) Social Knowledge: समाज और देश उचित अनुचित के प्रति हमारा धर्म क्या है इसका ज्ञान होना social knowledge कहलाता है ।
महाभारत में जब कृष्ण दुर्योधन को समझाते हैं कि ये धर्म और अधर्म का तुम्हे ज्ञान नहीं है क्या ?
तो दुर्योधन कहता है -
" जानामि धर्मः न च प्रवृत्तिः
जानामि अधर्मः न च निवृत्तिः ।"
तो समाज के प्रति आपका क्या धर्म है उसको पालन करने की प्रवृत्ति भी होना चाहिए।
(नोट - ज्ञानी भी हो मृदुभाषी भी हो नैतिक भी हो समाज के प्रति दायित्व भी निभा रहा हो , लेकिन आने वाली पीढ़ियों की जरूरते कैसे पूरी होंगी , इसका कोई विचार ही न हो तो ? आगे पढ़ें
(5) Ecological knowledge: प्रकृति की पूजा , उसका संरक्षण ।जितने की आवश्यकता हो प्रकृति का उतना ही दोहन करें । प्रकृति के नजदीक रहें । प्राकृतिक जीवन जीने का प्रयास करें । इसी को sustainable development के नाम से जाना जाता है। भारत इस जीवनशैली का विश्व गुरु रहा है। और इन सबको धारण करने के लिए आपके अंदर चाहिए क्या ? आगे पढ़ें
(6) Spiritual Knowledge: इसको प्राप्त करने के लिए मस्तिस्क में Neural wi fi होना चाहिए ।विश्व में क्या हो रहा है उसको समझने की शक्ति । और इसको विकसित करने के लिए धर्म के दस लक्षण आपकी मदद करेंगे ये दस लक्षण Arun Tripathi जी बताएँगे। पूजा पाठ उसका पूर्वपक्ष है ज्ञान कांड उसका उत्तरपक्ष।

एक प्रयास है विजडम को समझने का। आशा है कि आप लोग इसमें सुधार करेंगे अपना योगदान देकर।

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