" कंपनी के एक ऊँचे ओहदेदार रॉबर्ट नाइट ने 1849 में लिखा जो कि 1851में
पैम्फलेट में छपा , उन्होंने गुजरात के क्षय के बारे में लिखा -
" हमारे 1807 में गुजरात आने के पूर्व ढेर सारे समृद्ध परिवार वाले लोगों के तन पर आज एक कपड़ा तक नहीं है। हमारी ताल्लुकेदरों से पैसे की मांग जितना वो देते थे उसका तीन गुना ज्यादा बढ़ गयी है जिसके बदले में उनको कोई भी लाभ नहीं मिलता।और जिन लोगों से वे पैसा उधार लेने को बाध्य हैं उनके व्याज की दर बहुत ज्यादा है ; जिसके कारण वे कर्ज में लगातार डूबते जा रहे हैं और उनके उबरने की कोई गुंजाईश नहीं है।
अब इनके बढ़ते परिवार का क्या होगा ?"
पेज- 46
"बेर्नियर (औरंगजेब का फिजिशियन था) से दीवानी पे कब्जा होने तक जितनी भी सूचनाएं उपलब्ध हैं , वो यही बताती हैं कि बंगाल और देश के दूसरे भागों से मोरो की खाड़ी , फारस की खाड़ी और मालाबार कोस्ट के बीच सघन व्यापार होता था।यूरोपियन कंपनियों से मसालों और बाकी सामान तथा पूर्व से अफीम के बदले सीधे सोना आता था।
लेकिन 1765 के बाद परिस्थिति एकदम उल्ट गयी है।कंपनी जो भी सामान ले जाती है बदले में कुछ खास वापस नहीं लाती "। - Sir John Shore in 1787
Page - 38
From : poverty and Unbritish Rule in India
Dada Bhai Nauroji
" हमारे 1807 में गुजरात आने के पूर्व ढेर सारे समृद्ध परिवार वाले लोगों के तन पर आज एक कपड़ा तक नहीं है। हमारी ताल्लुकेदरों से पैसे की मांग जितना वो देते थे उसका तीन गुना ज्यादा बढ़ गयी है जिसके बदले में उनको कोई भी लाभ नहीं मिलता।और जिन लोगों से वे पैसा उधार लेने को बाध्य हैं उनके व्याज की दर बहुत ज्यादा है ; जिसके कारण वे कर्ज में लगातार डूबते जा रहे हैं और उनके उबरने की कोई गुंजाईश नहीं है।
अब इनके बढ़ते परिवार का क्या होगा ?"
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"बेर्नियर (औरंगजेब का फिजिशियन था) से दीवानी पे कब्जा होने तक जितनी भी सूचनाएं उपलब्ध हैं , वो यही बताती हैं कि बंगाल और देश के दूसरे भागों से मोरो की खाड़ी , फारस की खाड़ी और मालाबार कोस्ट के बीच सघन व्यापार होता था।यूरोपियन कंपनियों से मसालों और बाकी सामान तथा पूर्व से अफीम के बदले सीधे सोना आता था।
लेकिन 1765 के बाद परिस्थिति एकदम उल्ट गयी है।कंपनी जो भी सामान ले जाती है बदले में कुछ खास वापस नहीं लाती "। - Sir John Shore in 1787
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