"मॉडर्न
caste सिस्टम एक सनकी रेसिस्ट ब्रिटिश ऑफीसर H H RIESLEY की दें है जिसने
1901 में नाक की चौड़ाई के आधार पर "unfailing law of Caste" का एक सनकी
व्यवस्था के तहत एक लिस्ट बनाई , जिसमे उसने नाक की चौड़ाई जितनी ज्यादा हो
उसकी सामाजिक हैसियत उतनी नीचे होती हैं , इस फॉर्मूले के तहत सोशियल
hierarchy के आधार पर जो लिस्ट बनाई वो आज भी जारी है / यही भारत की
ब्रेकिंग इंडिया फोर्सस का , और ईसाइयत मे धर्म परिवर्तन का आधार बना हुवा है /
ऐसा न्हीं है कि भारत मे जात प्रथा थी ही नहीं / ये थी लेकिन उसका अर्थ था एक कुल या वंश , जिसके साथ कुलगौरव और एक भौगोलिक आधार के साथ साथ एक पेशा भी जुड़ा हुवा था /"
अब MA शेरिंग की 1872 की पुस्तक -"caste आंड ट्राइब्स of इंडिया " से उद्धृत उस प्रथा की रूपरेखा समझने की कोशिश करें ।
M A शेरिंग की १८७२ में लिखी पुस्तक Caste and Tribes of India वॉल्यूम १ से उद्धृत उस समय के भारतीय समाज के बारे में एक शृंखला पेश करूंगा/
M A Shering श्रंखला -१
पेज - २९४-९५
विश्णुइ : Vishnui :
ये इन प्रान्तों मे बड़ा व्यापार करने वाले वैश्य वर्ग के लोग हैं जो विष्णुजी के प्रति हिन्दुओं से भी ज्यादा समर्पित हैं / इनमें से कुच्छ लोग जैसे ओसवाल और अग्रवाल जैन धर्म के अनुयायी हैं लेकिन वैश्यों का एक वर्ग (clan) हिन्दू देवताओं के triad (ब्रम्हा विष्णु महेश) मे दूसरे नम्बर के देवता विष्णु जी की ही पूजा करते हैं / सामान्यतः हिन्दू इन वष्णवों को ज्यादा सम्मान नहीं करते और न ही उनका छुवा खाते और पीते हैं / दूसरी तरफ ये वैष्णव भी उनके साथ यही व्यवहार करते हैं / इस सेक्ट के फाउंडर JHAMA जी हैं और ये ज्यादातर बिजनौर में पाये जाते हैं /
ये वैष्णव मुसलमानों की तरह कुरान पढ़ते हैं और हिन्दुओं की तरह एकादशी और पूर्णमासी का व्रत भी रखते हैं/ ये लोग हिन्दुओं की तरह लाश को चिता में न जलाकर , उनको जमीन मे गाड़ते हैं /ये caste मोरादाबाद जिले में ३०० साल से भी ज्यादा समय से बसे हुये हैं /
Sir H Illiot कहते हैं की " इस ट्राइब का महत्व रेहर शेरकोट और रोहेलखंड के आसपास बढ़ रहा है /बीकनेर में कानेर नागोर और हिसार में भी ये काफी सांख्या में पाये जाते हैं और ऊपरी दोआब मे ये छिटपुट मात्रा में पाये जाते हैं /" उनकी रीति रिवाज के बारे में वी लिखते हैं कि " वे हिन्दुओं की परंपरा के अनुसार तीन बार पूजा करते हैं और मुसलमानों की तरह ५ वक्त का नमाज़ भी पढ़ते हैं / वे साल भर में २८ दिन का अवकाश रखते हैं और रमज़ान का व्रत भी रखते हैं / वी कुरान और हिन्दू ग्रंथ दोनो का अद्ध्ययन करते हैं /
ये ट्राइब २८ शाखाओं मे बंटी हुई है /
ऐसा न्हीं है कि भारत मे जात प्रथा थी ही नहीं / ये थी लेकिन उसका अर्थ था एक कुल या वंश , जिसके साथ कुलगौरव और एक भौगोलिक आधार के साथ साथ एक पेशा भी जुड़ा हुवा था /"
अब MA शेरिंग की 1872 की पुस्तक -"caste आंड ट्राइब्स of इंडिया " से उद्धृत उस प्रथा की रूपरेखा समझने की कोशिश करें ।
M A शेरिंग की १८७२ में लिखी पुस्तक Caste and Tribes of India वॉल्यूम १ से उद्धृत उस समय के भारतीय समाज के बारे में एक शृंखला पेश करूंगा/
M A Shering श्रंखला -१
पेज - २९४-९५
विश्णुइ : Vishnui :
ये इन प्रान्तों मे बड़ा व्यापार करने वाले वैश्य वर्ग के लोग हैं जो विष्णुजी के प्रति हिन्दुओं से भी ज्यादा समर्पित हैं / इनमें से कुच्छ लोग जैसे ओसवाल और अग्रवाल जैन धर्म के अनुयायी हैं लेकिन वैश्यों का एक वर्ग (clan) हिन्दू देवताओं के triad (ब्रम्हा विष्णु महेश) मे दूसरे नम्बर के देवता विष्णु जी की ही पूजा करते हैं / सामान्यतः हिन्दू इन वष्णवों को ज्यादा सम्मान नहीं करते और न ही उनका छुवा खाते और पीते हैं / दूसरी तरफ ये वैष्णव भी उनके साथ यही व्यवहार करते हैं / इस सेक्ट के फाउंडर JHAMA जी हैं और ये ज्यादातर बिजनौर में पाये जाते हैं /
ये वैष्णव मुसलमानों की तरह कुरान पढ़ते हैं और हिन्दुओं की तरह एकादशी और पूर्णमासी का व्रत भी रखते हैं/ ये लोग हिन्दुओं की तरह लाश को चिता में न जलाकर , उनको जमीन मे गाड़ते हैं /ये caste मोरादाबाद जिले में ३०० साल से भी ज्यादा समय से बसे हुये हैं /
Sir H Illiot कहते हैं की " इस ट्राइब का महत्व रेहर शेरकोट और रोहेलखंड के आसपास बढ़ रहा है /बीकनेर में कानेर नागोर और हिसार में भी ये काफी सांख्या में पाये जाते हैं और ऊपरी दोआब मे ये छिटपुट मात्रा में पाये जाते हैं /" उनकी रीति रिवाज के बारे में वी लिखते हैं कि " वे हिन्दुओं की परंपरा के अनुसार तीन बार पूजा करते हैं और मुसलमानों की तरह ५ वक्त का नमाज़ भी पढ़ते हैं / वे साल भर में २८ दिन का अवकाश रखते हैं और रमज़ान का व्रत भी रखते हैं / वी कुरान और हिन्दू ग्रंथ दोनो का अद्ध्ययन करते हैं /
ये ट्राइब २८ शाखाओं मे बंटी हुई है /
( Caste and tribes of India Volume -1, 1872)
"" Pathel /पटेल
(पेज -295)
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ये कुनबी की मुख्य कृषक वर्ग है ।गुजरात में पटेल खेती बारी व अन्य छोटे मोठे काम करते हैं । लेकिन इन्ही के प्रतिनिधि जो बनारस में रहते हैं , वो सिर्फ ट्रेड (व्यवसाय) करते हैं , इसलिए ये वैश्य की श्रेणी में आते हैं । उस शहर में इनके लगभग 20 परिवार हैं , जिसमे मुख्य रूप से गोपाल दास और मुन्नीदास हैं , जो शहर के मुख्य सड़क पर स्थित चौखम्भा में निवास करने वाले धनी व्यापारी हैं । पटेल 2 वंशों (clans) में बंटे हैं ;--
1. Barhua
2. पटेल
ये आपस में शादी व्याह करते हैं ।
पेज 297 केशरवानी
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अकेले बाँदा जिले में ही इस ट्राइब के तीस हजार से ऊपर लोग निवास करते हैं । बनारस जिले में ये ट्राइब धनी है और काफी संख्या में है।इनमे से कुछ बड़े व्यापारी हैं और कुछ छोटे मोटे। केशरवानी 3 वंशों (clans) में विभक्त हैं ।
1. कश्मीरी
2. पुरबिया
3. इलाहाबादी।""
नोट : पटेल और केशरवानी से खास तौर पर और बाकी मित्रों से भी आग्रह है कि कुछ प्रकाश डालें इन तथ्यों पर।
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