Friday 27 March 2015

How The Fluid Indian "Jaat Pratha" was changed into Alien / European Rigid Caste System : Part- 2

M A Shering शृंखला -3 जात और Caste का भेद 

Caste and tribes of India वॉल्यूम -१ (1872)

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kushta
इनको बनिया वर्ग में रखा ग्या है , ये ज्यादातर सिल्क के मॅन्यूफॅक्चरिंग का काम करते हैं / इनके निम्नलिखित वंश (Clans) वनारस में पाये जाते हैं, लेकिन इनकी सांख्या बहुत कॅम है / इनको निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया गया है -
१- पटवा
२- दक्खिनी
3- वनारसी
(नोट - सिल्क का मॅन्यूफॅक्चरिंग बंद होने के बाद शायद ये बचे ही नहीं/ अगर इस शब्द और वर्ग से कोई वाकिफ हो तो लिखे )

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हलवाई -
The Confectioners Caste , यद्यपि कई caste के लोग खासतौर पर वैश्य , यहाँ तक की ब्राम्हण भी मिठाइयों के निर्माण और विक्री का काम करते हैं , लेकिन बनारस और निचले दोआब में एक अलग ट्राइब इस व्यवसाय को करती है /
हालांकि लोग हलवाई को भुजवा ( दाना भूंजने वाले ) से कन्फ्यूज़ करते हैं , क्योंकि दोनों ही एक दूसरे का व्यवसाय करते हैं / लेकिन ये अलग अलग Caste हैं क्योंकि ये आपस में शादिया नहीं करते /
हलवाइयों की सात शाखाएं है /
!- कन्नौजिया २- पंचपीरिया
3- बौनिवाला 4- गौड़
5- मधेसिया 6- तिहरा
7- लखनौवा

( नोट - यहाँ फिर स्पस्ट कर दूँ कि भारतीय परंपरा जात पांत थी , इस्लाम के आगमन के बाद हुई जात विरादरी / जाति शब्द Caste का अनुवाद है / संस्कृत dictionary " अमरकोश के अनुसार जाति का अर्थ हैं - "मालती सुमन ( पुष्पों के नाम ) और सामान्य जन्म " /
जात का अर्थ हैं - किसी वंश कुल में जन्म लेना , उसकी वंश वृक्षावली , खानदान , जिसका एक regional affiliation होता हैं , और जो आपस में ही खानपान करते हैं और शादी ब्याह करते हैं , और उसका एक व्यसाय विशेष से सबंध /ऊपर वर्णित 143 साल पहले के इस लेख को देखें तो बात पूर्णतया स्पस्ट हो जाती है । तो अपने कुल परिवार पर गर्व होना एक बात है , caste के आधार पारा गिरोहबंद होना दूसरी बात है / आजकल गिरोहबंदी होती है , वंशपरम्परा पर कोई गर्व अनुभूति न्हीं होती /)




A L Basham ने लिखा कि भारत में caste system पहले rigid नहीं थी । उदहारण देखे ;

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" तेली
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ये लोग तेल विक्रेता हैं निचली जातियों में इनका एक सम्मानजनक स्थान है।इनमे से अधिकतर लोग तेल पेरते हैं और उसकी बिक्री करते हैं ।बनारस में इनकी कई शाखाएं हैं जो आपस में न शादी व्याह करते हैं और न ही एक दूसरे के यहाँ खाते पीते हैं । इनका मैंने निम्नलिखित संकलन किया है।

1- वियाहुत वंश
2- जौनपुरी
3-कन्नौजिया
4- तुर्किया तेली
5- चचरा
6- बनारासिया
7- गुलहरिया
8- गुल्हानी
9- श्रीवस्तक
10- जैस्वारा
11- लाहौरी

वियाहुत वंशी इन सबसे श्रेष्ठ समझे जाते हैं क्योंकि वे विधवा विवाह को परमिट नहीं करते।बाकी सब में विधवा विवाह की अनुमति है।जौनपुरी तेली तेल न बेंचकर एक तरह की दाल (मटर) बेंचते हैं , जोकि उत्तर पश्चिमी प्रदेशों के लोग बहुतायत से प्रयोग करते हैं । जौनपुरी कन्नौजिया लाहौरी बनारासिया, जैसा कि नाम से ही स्पस्ट है क़ि जौनपुर कन्नौज लाहौर और बनारस के मूलनिवासी हैं ।
तुर्किया तेली मुस्लमान होते हैं ।""

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