"अहमन्नमहमन्नम" मैं अन्न हूँ । ( तै. उपनिषद) अन्न ब्रम्ह है। अर्थात अन्न ही एनर्जी है। अन्न ही प्राणरस है। अन्न न मिलने की स्थिति में प्राण पखेरू इस काया को त्याग देते हैं। रहीम ने लिखा: "रहिमन रहिला की भली जो परसत चित लाय। परसत मन मैला करै सो मैदा जरि। जाय ।।" चित लगाकर बनाये और परोसे गए भोजन में प्राण होता है। प्राण यानी सात्विक या पॉजिटिव एनर्जी। मां के हाँथ का बनाया गया रूखा सूखा भी दुनिया का स्वादिष्ट व्यंजन लगता है। क्योंकि उसमें मां के मन का भाव भी भोजन में ट्रांसफर हो जाता है। और उस भोजन से सात्विक ऊर्जा या पॉजिटिव एनर्जी मिलती है। इसीलिए कृष्ण ने दुर्योधन के राजसी आतिथ्य का त्यागकर विदुर के घर साग रोटी खाया था। इसीलिए भोजन वही करना चाहिए जो प्रेम से पकाया और परोसा गया हो। ये भोजन का मनोवैज्ञानिक पक्ष है । ताजे भोजन में भी सात्विक या पॉजिटिव एनर्जी मिलती है। भागवत गीता के अनुसार एक प्रहर यानी 3 घण्टे से ज्यादा बासी भोजन तामसी हो जाता है। तामसी अर्थात नेगेटिव एनर्जी। "यातयामम् गतरसम् पूति पर्युषितं च यत। उच्छिष्टमपि चामेध्यम् भोजनं तामसप्रियम्।।" ( भाग गीता 17.10) अर्थात " खाने से तीन घण्टे पूर्व पकाया गया, रसहीन, बिगड़ा एवं दुर्गन्धयुक्त जूठा एवं अश्पृश्य वस्तुओं से युक्त भोजन तामसी लोगो को प्रिय होते हैं। " तामसी अर्थात नेगेटिव एनर्जी से युक्त पर्सनालिटी। जितने भी जंक फूड हैं वे नेगेटिव एनर्जी के स्रोत होते हैं। यदि उनमे presrvative न मिलाया जाय तो वे सड़ जायँ। ( आजकल ऑर्गनिक का बड़ा जोर है। भारत मे सिरका अचार आदि जो भी बनते थे वे बिना preservative के बनते थे। अब मॉडर्न युग के लोगों को वो सब उपलब्ध नहीं है। ) नेगेटिव एनर्जी स्ट्रेस का प्रबल स्रोत होता है और स्ट्रेस से आप जानते है कि मॉनसिक अवसाद होता है उससे - डायबिटीज ब्लड प्रेशर आदि होता है। सात्विक भोजन से आयु, सत्व ( अस्तित्व), बल, आरोग्य, सुख और संतोष बढ़ता है। यानी स्ट्रेस कम होता है। पश्चिमी जीवन पद्धति नेगेटिव एनर्जी का संचय करती है और मन मे असंतोष, भय, संशय और कुंठा पैदा करती है क्योंकि उनका भोज्य प्रायः नेगेटिव एनर्जी वाला ही होता है। पैक्ड फ़ूड = जंक फूड = स्ट्रेस युक्त जीवन = ब्लड प्रेशर डायबिटीज, मॉनसिक अवसाद। #जैसा_खाय_अन्न #वैसा_बने_मन्न। |
Monday, 6 August 2018
Tribhuwan Singh's photo. #जंक_फ़ूड #नेगेटिव_एनर्जी का #स्रोत:
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment