Monday, 6 August 2018

हिन्दुओ को टुकडे टुकड़े में बांटने की अंग्रेजों की शाजिश को संविधान में जगह क्यों दी गयी ?

हिन्दुओ को टुकडे टुकड़े में बांटने की अंग्रेजों की शाजिश को संविधान में जगह क्यों दी गयी ?

जाहिर सी बात है कि पूरी दुनिया में अपना परचम लहराने वाले यूरोपीय ईसाईयों को जितनी संपत्ति भारत में मिली उतना ही कड़ा मुकाबला भी उनको भारत की धरती पर ही मिली ।

प्रामाणिक सूत्र आज बताते हैं कि अमेरिका में इन्होंने 1500 से 1800 AD के बीच वहां के सोने चांदी के खदानों और वेयरहाउस के मालिकों का कत्ल करके उस पर कब्जा किया और वही सोना चांदी बहुत बाद में भारत में आकर व्यापार किया ।
लेकिन इस दौरान उन्होंने 20 करोड़ रेड इंडियन का ईसाइयत का परचम गाड़ने के लिए उनका क़त्ल कर दिया ।

लेकिन भारत जैसे विकसित तकनीक के देश में वे ऐसा न कर पाए ।
क्यों ?

क्योंकि भारत के लोगों ने उनका सशस्त्र विरोध किया ।

1857 इसका एक उदाहरण है जिसको mutiny का नाम दिया उन्होंने ।

मुघलो ने राज्य किया लेकिन वे भारत के निर्माण कला और सशस्त्र भारतियों को खत्म न कर पाए ।
न वे इस देश में लुटे धन को देश के बाहर ले गए।
इसलिए 1750 तक भारत पूरी दुनिया के 25% जीडीपी का मालिक बना रहा ।

1500 तक भारत पूरी दुनिया की 35% जीडीपी का मालिक था ।

लेकिन जब उन्होंने भारतीय शिल्प को नष्ट करना शुरू किया तो 1857 में भारतीयों ने उनका सशस्त्र विरोध किया।

इसीलिए 1860 में उन्होंने Indian Arms Act बनाकर भारतियों को निशस्त्र किया ।

फिर उसके बाद भी विरोध जारी रहा तो उन्होंने भारतियों को , विशेषकर हिंदुओं को कई टुकड़ों में बांटने का सफल प्रयास किया ।
1932 में उन्होंने हिंदुओं की एक लड़ाकी कौम सिख को हिंदुओं से अलग मान्यता दिया।
उसके पहले उन्होंने वन वासी और पहाड़ वासी हिंदुओं को #Animist के नाम से अलग किया ।

फिर 1935 में भारत के इस 25% जीडीपी के निर्माताओं के वंशजों को कंगाल , बेरोजगार, और बेघर करने के उपरांत #एनिमिस्ट को शेड्यूल ट्राइब और बेरोजगार लोगों को शेड्यूल कास्ट में बाँट कर अलग हिंदुओं को अलग अलग बाँट दिया।
अपनी शाजिश को भारतीय पक्ष बनाने हेतु उन्होंने #फुले#आंबेडकर और #पेरियार को उसी तरह प्रयोग किया जिस तरह 1757 में #मीरजाफर का प्रयोग किया था ।

यही ईसाइयत की शाजिश संविधान में भी घुसेड़ दिया , संविधान निर्माताओ ने ।

देखिये आज कितने ST और SC ईसाई बन गये हैं और निरन्तर बनते जा रहे है ।

रोमन और ग्रीक सभ्यता को किस तरह नष्ट कर उन्होंने ईसाईयत फैलाई , उस अनुभव को भारत में execute किया ।

और ओबीसी उसी शाजिश की स्वतंत्र भारत में एक्सटेंशन है वरना कोई कमीशन पुरे भारत का मात्र 6 महोने में सर्वेक्षण करके किसी निर्णय पर पहुँच सकता है ?
वो भी 1989 में ?
जब लोगों के पास एक लैंडलाइन भी एक उपलब्धि थी ?

टोटल फ्रॉड विथ भारत that is India .

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