Monday, 6 August 2018

Don't Take yourself too seriously: stress releasing #Mantra

Don't Take yourself too seriously: stress releasing #Mantra

मद और मत्सर:
नहिं कोउ अस जन्मा जग माहीं
प्रभुता पाई जाहिं मद नाहीं।।

श्रीमद वक्र न कीन्हि केहिं प्रभुता बधिर न काहि।

ये 6 मनोविकारों में दो भाव ऐसे है जो आपके मन मे दूसरों के प्रति जगते हैं। जो आपसे हीन है उसके प्रति मद( अहंकार ) और जो आपसे श्रेष्ठ है उसके प्रति मत्सर ( द्वेष ईर्ष्या) का भाव।

ये प्रकृति प्रदत्त होता है इसमें कोई अपराध भाव जागृत न कोजिये।

लेकिन इसी से आपके मन मे stress का जन्म होता है क्योंकि आप खुद को बहुत सीरियसली लेते हैं।

मुख्य बात ये है कि जिस तरह हरी घास में छुपा हुआ हरा सर्प नही दिखता उसी तरह ये विकार स्वयं को नही दिखते।
दूसरे लोग दूसरों के इस विकार को तड़ से ताड़ लेते हैं ।
लेकिन ये मामला सॉफ्टवेयर का है।
आपका सॉफ्टवेयर आप खुद ही अपडेट कर सकते हैं दूसरा नहीं।
इसलिए इसमें आपकी मदद आप स्वयं कर सकते हैं दूसरा नहीं।
लेकिन समस्या ये है कि हम सदैव दूसरे का सॉफ्टवेयर ही सुधारने के फिराक में रहते हैं। क्योंकि अपने सॉफ्टवेयर में झांकने के लिए जिन एप्प्स को डाउनलोड करना पड़ता है उसे डाउनलोड करना, आधुनिक शिक्षा के कारण संभव नही होता है। क्योंकि सॉफ्टवेयर की मेमोरी corrupt फ़ाइलों से भरी हुई होती है आधुनिक शिक्षा की सूचनाओं से ।

तो क्या किया जाय ?

De Educate yourself.
Don't take yourself too seriously.
You are only single piece out of 6 bullion humans on this earth.

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