सुबह सोकर उठते ही शरीर चाहे जो करे, मस्तिष्क माइंड या मन स्वतः ऑन हो जाता है। स्वनियंत्रित ऑटो मोड पर। कभी भूत काल की तलहटियों में गोते लगाकर आपके मन को दुखी करता है, कभी भविष्य में होने वाली काल्पनिक अनहोनी को लेकर भयभीत हो जाता है, और उससे निबटने की योजनाएं बनाने लगता है।
इस दौरान आप दिन भर अपना कार्य करते रहते हैं। उसमें तात्कालिक रूप से इन्वॉल्व भी होते हैं। परंतु माइंड ऑटो मोड में बीच बीच मे उस समय भी अपने ढर्रे पर चला जाता है भूत या भविष्य में।
लेकिन यह बात आप नोटिस ही नहीं करते। क्योंकि ऐसा ही मानव मन का स्वभाव होता है।
यह कार्य तब तक चलता रहता है जब तक आप सो नहीं जाते।
सुबह उठते ही पुणः यही क्रम शुरू हो जाता है।
इस दौरान आप दिन भर अपना कार्य करते रहते हैं। उसमें तात्कालिक रूप से इन्वॉल्व भी होते हैं। परंतु माइंड ऑटो मोड में बीच बीच मे उस समय भी अपने ढर्रे पर चला जाता है भूत या भविष्य में।
लेकिन यह बात आप नोटिस ही नहीं करते। क्योंकि ऐसा ही मानव मन का स्वभाव होता है।
यह कार्य तब तक चलता रहता है जब तक आप सो नहीं जाते।
सुबह उठते ही पुणः यही क्रम शुरू हो जाता है।
और यह हर स्वभाव हर मनुष्य का होता है। धर्म रिलीजन और मजहब इसमें आड़े नहीं आता।
यह सार्वभौमिक स्वभाव होता है विश्व के हर मानव का - चाहे वह सिटीजन हो या गवांर।
चाहे वह प्रयाग में रहे, या कैलिफ़ोर्निया में।
यह सार्वभौमिक स्वभाव होता है विश्व के हर मानव का - चाहे वह सिटीजन हो या गवांर।
चाहे वह प्रयाग में रहे, या कैलिफ़ोर्निया में।
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