Thursday, 26 July 2018

भारतीय गुरुकुल और पाठशाला वाली शिंक्षा को विनष्ट क्यों किया अंग्रेजो ने?



भारतीय गुरुकुल और पाठशाला वाली शिंक्षा को विनष्ट क्यों किया अंग्रेजो ने?
जबकि उसी भारतीय पद्धति को मद्रास सिस्टम ऑफ एजुकेशन के नाम से अपने यहां आम जन तक शिंक्षा पहुंचाई। जिसको एंड्रू बेल एजुकेशन सिस्टम का नाम दिया गया। 
भारतीय गुरुकुलों को नष्ट करके अंग्रेजी भाषा मे शिंक्षा देने के पीछे कई कुटिल षड्यंत्र थे। 
प्रथम षड्यंत्र तो यह था कि भारत के बारे में भारतीयों को अपने प्राथमिक सूत्रों से ज्ञान न मिलकर, यूरोपीय ईसाइयो द्वारा लिखे गए सेकेंडरी सोर्सेज से पढ़ने और समझने को मिले।
दूसरा षड्यंत्र यह था कि जिन देशों का अपना कोई इतिहास नहीं था यथा - अमेरिका कनाडा अफ्रीका आदि, उनके इतिहास को अपने मनमाने तरीके से लिखा जाए।परंतु जिन देशों का इतिहास था , यथा भारत- उसको मनमाने हिसाब से तोड़ फोड़कर लिखा जा सके।
तीसरा षड्यंत्र यह था - कि शिंक्षा मात्र एलीट क्लास तक ही पहुंच सके, और उस एलीट क्लास का माइंड मैनिपुलेसन अपनी आवस्यकता अनुरूप किय्या जा सके।
आज भी नग्रेजी माध्यम से पढा लिखा भारतीयो का रोल मॉडल Shashi Tharoor जैसा स्नॉब है जो हवाई जहाज की इकॉनमी क्लास को कैटल क्लास समझता है।
वही भारतीयों का एक पढ़ा लिखा विशिष्ट वर्ग ऐसा है जिसको नग्रेजी भाषा मे लिखा हुआ कुछ देखकर जुड़ी और बुखार चढ़ जाता है। #दिलीप_चु_मंडल या @ Ravish Kumar जैसे प्रबुध्द लोग इस दूसरी श्रेणी में आते हैं।
तिलक भारतीयों की शिक्षा के प्रबल समर्थक थे। और गांधी के पूर्व भारत के सबसे बड़े नेता थे। यदि वे जिंदा रहते तो गांधी को शायद राजनीति में जगह भी नही मिलती।
विल दुरान्त ने जोर देकर लिखा है कि -" 1911 में हिन्दुओ के प्रतिनिधि गोखले ने " भारत मे यूनिवर्सल कंपल्सरी प्राइमरी एजुकेशन बिल का प्रस्ताव रखा जिसको ( विसरेगल समिति) के ब्रिटिश और सरकार द्वारा चयनित सदस्यों ने खारिज कर दिया। 1916 में पटेल ने भी ऐसा ही बिल प्रस्तावित किया, जिसको ब्रिटिश और सरकार द्वारा चयनित सदस्यों ने खारिज कर दिया"। 
( The Case for India : Will Durant ,P. 45-46)
अब एनालिसिस इस बात की होनी चाहिए कि आखिर ऐसा करने के पीछे मंशा क्या थी? क्यों ब्रिटिश नही चाहते थे कि यूनिवर्सल प्राइमरी एजुकेशन बिल लागू न हो? सती प्रथा के क्रेडिट लिए तो सबकी शिंक्षा के विरुद्ध क्यो थे ?
क्योंकि उन्होंने अभी तक भारत को लूटा और विनष्ट किया था। बिगोट रिलीजन के अनुयायियों का उद्द्देष्य मात्र काफिरों को लूटना ही नही होता। उनका लांग टर्म उद्द्देष्य होता है धर्म परिवर्तन करना।
1906 में उन्होंने हिन्दुओ और मुसलमानों को बांटा था। 
मुसलमानों का धर्म बदलवाने की क्षमता ऊनमें नहीं है वे जानते थे। तो उन्होंने हिन्दुओ को निशाने पर लिया।
1911 और 1916 में यूनिवर्सल प्राइमरी एजुकेशन बिल को खारिज करके 1917 में "एजुकेशन फ़ॉर डिप्रेस्ड क्लास" नामक पाखंडी कागजी कृत्य किया। 
1921 में #डिप्रेस्ड_क्लास शब्द को जनगणना में उद्धरित करते हुए इस शब्द को वैधानिक शब्द बनाया। अभी तक उंनको राजा राम मोहन राय और महात्मा फुले के अतिरिक्त ऐसा कोई व्यक्ति नही मिल पॉया था जिसके मुहं से वे ब्रिटिश और ईसाइयत को श्रेष्ठ और भारत और हिंदूइस्म को निम्न बोलवा सकें। 
1928 में अम्बेडक़र जी को उन्होंने निशाने पर लिया और वे उनके जाल मे फँस गए। किसको लोकेषणा नही होती। लेकिन लोकेषणा की किस चीज की कीमत पर। 
साइमोंड कमीशन से 1928 में अम्बेडकर जी ने गंठजोड़ की तो डिप्रेस्ड क्लास संविधान का अंग बन गया।
इस तरह वे भारत के संविधान के माध्यम से आज तक धर्म परिवर्तन करते आ रहे हैं।
और इसका क्रेडिट "ब्रिटिश एडुकेटेड इंडियन बररिस्टर्स" को जाता है।

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