Friday 19 February 2016

‪#‎JNU‬ और ‪#‎रोहित_वेमुल्ला‬ के ड्रामे के पीछे इन फाइलों की काली साया है :नेताजी सुभास चन्द्र बोस की फाइलों का

नेताजी सुभास चन्द्र बोस की फाइलों मे लिखा क्या है ? ‪#‎JNU‬ और ‪#‎रोहित_वेमुल्ला‬ के ड्रामे के पीछे इन फाइलों की काली साया है /
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भारत को लूट का अड्डा समझकर पिछले 68 वर्षों मे नेहरू परिवार ने जो करिश्मा कर दिखाया है , और मीडिया उसकी किस तरह अनुचर रही है , ये किसी से छुपा नहीं है /
कहानी शुरू होती है पंडित नेहरू के प्रधानमंत्री बनने से / नेहरू अपनी आत्मकथा मे लिखते हैं कि उनके दादा ‪#‎गंगाधर_नेहरू‬ 1857 के भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के समय दिल्ली यानि ‪#‎मुग़ल‬ बहादुरशाह जफर के कोतवाल थे , जिन्की वेश भूषा मुग़लों जैसी थी और उनके दोनों हांथों मे तलवार थी / कोई रेकॉर्ड इस बात को प्रमाणित करने के लिए उपलब्ध नहीं है सिवा नेहरू के मुखश्री से निकले वचनों को छोडकर / एक वर्ष पूर्व तक गूगल पर गंगाधर की वो तस्वीर भी थी , लेकिन शायद अब वो भी वहाँ से गायब है /
बाबर के समयकाल से बहादुर शाह जफर तक के जमाने तक मोघल राजधानी का कोतवाल मात्र ‪#‎अशरफ‬ मुसलमान होता आया है , यहाँ तक कि अरजाल और अजलफ मुसलमान भी नहीं / तो फिर एक हिन्दू , और वो भी एक पंडित किस तरह दिल्ली का कोतवाल हो सकता है, ये विचारणीय प्रश्न है /
अब जब ये पूरी तरह स्पस्त हो चुका है कि नेहरू ने जिस हवाई जहाज के दुर्घटनाग्रस्त होने से नेताजी की मौत होने का दावा किया था , वो उड़ा ही नहीं , तो फिर नेताजी की मौत कैसे हुयी , इसका रहस्य भारत सरकार द्वारा सार्वजनिक किए गए फाइलों मे ही छुपी होगी /
अब थोड़ा इतिहास को और खंगालें - गांधी की मौत के लिए जिम्मेदार गोंडसे के साथ एक और व्यक्ति भी था - मदनलाल पाहवा / पाहवा को ब्रिटिश पुलिस गांधी के हत्या के कुछ माह पूर्व गिरफ्तार करती है गांधी की हत्या की शजिश रचने के खडयंत्र मे, लेकिन एड्मिरल माउंटबेटेन ने एक माह पूर्व उसको छोडने का आदेश दिया / क्यों ? माउंटबेटेन और नेहरू का समवंध जगजाहिर है /
पंडित ? नेहरू को भारत पर अबाध रूप के कई पीढ़ियों तक शासन करने और लूटने के लिए अपने सामने अपने विरोधियों को चुनचुन कर हटाना था /
गांधी ने भारत मे एक मजबूत विपक्ष देने के लिए राष्ट्रपति बनने वाले पद के लिए जे बी कृपलानी के नाम का अनुमोदन किया लेकिन नेहरू ने चालाकी से उस प्रस्ताव को खारिज कर सहज प्रवृत्ति डॉ राजेंद्र प्रसाद को उस पद के लिए चुना /
गांधी की दूसरी सबसे बड़ी गलती थी - उनका लास्ट टेस्टमेंट जो मृत्यु के मात्र कुछ दिन पूर्व ही उन्होने लिखा था जिसमे - काँग्रेस को भंग करने की शिफारिश की थी / जब कोंग्रीस ही न बचती तो नेहरू किस तरह पीढ़ी दर पीढ़ी राज करते ?
इसलिए गांधी को रास्ते से हटाना जरूरी था / इसीलिए मदन लाल पाहवा को जेल से छोड़ा गया / गांधी की हत्या गोंडासे की गोली से हुयी तो उसने तो तीन ही गोली चलायी थी ? फिर चौथी गोली जो विदेशी रिवॉल्वर से चली थी , उसको किसने चलाया था ? Dr.Subramanian swamy ने ये प्रश्न कुछ दिन पूर्व उठाया था /
अब एक और कद्दावर नेता था - ‪#‎वीर_सावरकर‬ , जिसने 1857 की गदर को भारत का प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम का नाम दिया था , और जिसने अपनी पुस्तक - 1857 का स्वतन्त्रता संग्राम , जिसको अंग्रेजों ने ban कर रखा था , उसमे साफ साफ लिखा है कि - शिवाजी के जमाने मे मुग़लों का विरोध ठीक था , लेकिन अब सामने जब दुश्मन गोरा अंग्रेज़ है तो हिन्दू और मुसलमान दोनों को कंधे से कंधा मिलाकर लड़ना चाहिए / उस नेता को गांधी की हत्या मे फंसाकर नेहरू ने अपने पिछलग्गू ‪#‎मरकसिए_इतिहासकारों‬ से ‪#‎सांप्रदायिक‬ घोसित करवाया /
अब असली बाधा नेहरू के सामने थे - नेताजी सुभाषचंद्र बोस , जो हर भारतीय के खून मे जोश भरते थे /
उनको मृत घोसित करने के लिए स्टालिन के साथ शजिश रची / अब जब वो दस्तावेज़ बाहर आ गये हैं जो नेहरू और काँग्रेस की जड़ खोद कर उनको दो गज जमीन के नीचे दफना सकते हैं , तो ‪#‎एखलाक‬ , #रोहित_वेमुल्ला , और अब ये नया नाटक ‪#‎अशरफ_गुरु‬ का नाटक खेला जा रहा है , जिसमे काँग्रेस पोषित मीडिया हाउस साथ दे रही है / लेकिन सोश्ल मीडिया भी उन दस्तावेजों को खँगालने के बजाय इनके बिछाए जाल मे फंस चुकी है /
ज्ञातव्य हो कि नेहरू परिवार के सिवा जो भी नेता कोङ्गेस्स के शीर्ष पद पर गया , उसकी दुर्दशा करने मे कोंग्रेसियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी /
‪#‎ललबहादुर‬ शास्त्री की ताशकंद ( मरकस का गढ़ ) मे रहस्यमय तरीके से मौत होती है , लेकिन उनका पोस्ट मार्टेम नहीं होता कि किस कारन से मौत हुयी ?
‪#‎सीताराम_केसरी‬ को लात जूतों से मारकर उनको काँग्रेस के दफ्तर से भगाया गया जो वो काँग्रेस के अदध्यक्ष थे /
और आज तक सबसे सफल कोंग्रेसी प्रधानमंत्री ‪#‎नरसिंघराओ‬ को मृतयोपरांत दिल्ली मे अंतिम संस्कार नहीं करने दिया ‪#‎सोनिया‬ और उसके चमचों ने /
तो भाइयों इस नाटक मे न फाँसों नेता जी की फाइलों को खँगालो

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